उत्तर प्रदेश में दलित समुदाय के खिलाफ हिंसा और उत्पीड़न के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे। हाल ही में गोंडा जिले में रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स यानी आरपीएफ की कस्टडी में 35 वर्षीय दलित युवक संजय कुमार सोनकर की संदिग्ध मौत ने पूरे राज्य में आक्रोश की लहर पैदा कर दी है। उधर, बुलंदशहर के अहमदगढ़ थाना क्षेत्र में दलित जनप्रतिनिधि और पूर्व प्रधान मुकेश खटीक की निर्मम हत्या ने परिवार को दोहरी त्रासदी में डुबो दिया है। एक साल पहले उनके बेटे की हत्या के बाद भी पुलिस की लापरवाही का आरोप लग रहा है। भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने इसे कानून-व्यवस्था की विफलता करार देते हुए सरकार से कड़ी कार्रवाई की मांग की है। सवाल उठ रहा है कि क्या उत्तर प्रदेश में दलितों पर अत्याचार बढ़ रहा है?
यूपी में दलितों पर हिंसा बढ़ी? गोंडा- कस्टडी में मौत, बुलंदशहर- पूर्व प्रधान की हत्या
- उत्तर प्रदेश
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- 7 Nov, 2025

गोंडा में पुलिस हिरासत में दलित युवक की मौत और बुलंदशहर में पूर्व प्रधान की हत्या ने उत्तर प्रदेश में दलितों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। क्या योगी सरकार दलित हिंसा रोकने में नाकाम है?

प्रतीकात्मक तस्वीर
'टॉर्चर देकर मारा गया, तीन सस्पेंड'
गोंडा जिले के किंकी गांव निवासी संजय कुमार सोनकर को 4 नवंबर को सरसों के तेल की चोरी के आरोप में आरपीएफ़ ने हिरासत में लिया। परिवार का आरोप है कि पूछताछ के दौरान सब-इंस्पेक्टर सुरेंद्र कुमार, सब-इंस्पेक्टर करण सिंह यादव और कांस्टेबल अमित कुमार यादव ने उन्हें बुरी तरह पीटा और इलेक्ट्रिक शॉक दिया। संजय की हालत बिगड़ने पर उन्हें गोंडा मेडिकल कॉलेज ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट अभी अस्पष्ट है, लेकिन विसेरा फोरेंसिक जाँच के लिए सुरक्षित कर लिया गया है।
























