उत्तर प्रदेश में दलित समुदाय के खिलाफ हिंसा और उत्पीड़न के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे। हाल ही में गोंडा जिले में रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स यानी आरपीएफ की कस्टडी में 35 वर्षीय दलित युवक संजय कुमार सोनकर की संदिग्ध मौत ने पूरे राज्य में आक्रोश की लहर पैदा कर दी है। उधर, बुलंदशहर के अहमदगढ़ थाना क्षेत्र में दलित जनप्रतिनिधि और पूर्व प्रधान मुकेश खटीक की निर्मम हत्या ने परिवार को दोहरी त्रासदी में डुबो दिया है। एक साल पहले उनके बेटे की हत्या के बाद भी पुलिस की लापरवाही का आरोप लग रहा है। भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने इसे कानून-व्यवस्था की विफलता करार देते हुए सरकार से कड़ी कार्रवाई की मांग की है। सवाल उठ रहा है कि क्या उत्तर प्रदेश में दलितों पर अत्याचार बढ़ रहा है?