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ये यूपी हैः जहां एम्बुलेंस को ट्रैक्टर खींचता है...कहां गया हेल्थ बजट

यूपी में स्वास्थ्य सेवाएं कितनी बेहतर हैं, उसका नमूना आज देखने को मिला। एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है, जिसमें एक एम्बुलेंस को ट्रैक्टर खींच रहा है। यह घटना मेरठ की है। 

मामले की चर्चा जब ज्यादा फैली तो मेरठ के सीएमओ अखिलेश मोहन को बयान देना पड़ा कि वो एम्बुलेंस मेरठ की नहीं थी। बल्कि वो बिजनौर से मेरठ आ रही थी। उसमें डीजल खत्म हो गया था। तो एम्बुलेंस के ड्राइवर ने एक ट्रैक्टर वाले से अनुरोध किया कि वो मेरठ तक एम्बुलेंस को खींच कर पहुंचा दे।

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सीएमओ मेरठ के मुताबिक उस एम्बुलेंस में डीजल तब खत्म हुआ था, जब मेरठ उस जगह से चार किलोमीटर दूर रह गया था। इसलिए एम्बुलेंस ड्राइवर ने ट्रैक्टर वाले की मदद ली। 

दरअसल, इस एम्बुलेंस में एक महिला मरीज थी। बिजनौर में जब उसकी हालत ज्यादा बिगड़ गई तो वहां के डॉक्टरों ने मेरठ ले जाने की सलाह दी। लेकिन महिला के परिवार को यह अंदाजा नहीं था कि एम्बुलेंस में डीजल खत्म हो जाएगा। 

ऐसा नहीं है कि यूपी में यह बहुत रेयर घटना है। यूपी और बिहार ऐसे राज्य हैं जहां कई बार ऐसे दृश्य देखने को मिलते हैं जब मरीज को साइकल पर ले जाया जाता है, जब शव को साइकल या रिक्शा पर रखकर ले जाया जाता है। बहुत सारे इलाकों में मरीज का परिवार एम्बुलेंस का किराया तक वहन करने की हालत में नहीं है। 

योगी आदित्यनाथ की सरकार ने 2021 में जो बजट पेश किया था, उसमें सभी के लिए चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए 100 करोड़ का बजट था। उसे मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना नाम दिया गया था। उसी बजट में आयुष्मान योजना के नाम पर 142 करोड़ और महिलाओं की चिकित्सा सुविधा के लिए 320 करोड़ रखे गए थे। इनके अलावा भी स्वास्थ्य को लेकर अनेक योजनाओं में 50 करोड़ से कम किसी में नहीं रखे गए थे। यह बजट कागज या टैब में था। लेकिन इस बजट की जमीनी हकीकत मेरठ में एम्बुलेंस को ट्रैक्टर खींचने वाला दृश्य है। इतने लंबे चौड़े स्वास्थ्य बजट का पैसा कहां जाता है, कोई पता नहीं है। जबकि ईमानदार सोच की सरकार का दावा किया गया है।

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बहरहाल, सोशल मीडिया पर लोग इस घटना पर तरह तरह से प्रतिक्रिया दे रहे हैं। कुछ लोग सवाल पूछ रहे हैं कि क्या यही डबल इंजन सरकार है। कुछ लोगों ने लिखा है कि ऐसा तब होता है जब आप असली मुद्दों की बजाय काल्पनिक खतरों की वजह से किसी को वोट देते हैं। कुछ लोगों ने कोरोना की दूसरी लहर में यूपी के हालात याद दिलाए हैं और कहा कि जिस जनता ने इन लोगों को फिर से चुना है, वो भी ऐसी घटनाओं के लिए कम जिम्मेदार नहीं है। 

हालांकि सरकार का बचाव करने वाले भी मैदान में हैं। बचाव करने वालों का कहना है कि पहले कितनी एम्बुलेंस थी, अब कितनी है। इसको देखो। पहले तो एम्बुलेंस खड़ी रहती थी, उसमें फ्यूल होता ही नहीं था।

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क़मर वहीद नक़वी
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