क्या विपक्षी दलों का ऐंकरों का बहिष्कार ग़लत है?
क्या विपक्षी दलों द्वारा टीवी ऐंकरों का बहिष्कार ग़लत है? क्या उनके इस क़दम को आपातकाल से जोड़ना ठीक है? क्या ऐंकरों को दुरुस्त करने का विपक्ष के पास यही एक रास्ता बचा था? क्या उन्हें चैनलों के मालिकों पर हल्ला बोलना चाहिए? क्या उन्हें कानून का दरवाज़ा खटखटाना चाहिए?