9 अगस्त 2024 को जब कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज की पोस्टग्रेजुएट ट्रेनी डॉक्टर के बलात्कार और हत्या की खबर सामने आई तो पूरा देश हिल गया। महिला होने के नाते ख़ुद को यह समझाना मुश्किल था कि उच्च शिक्षण संस्थानों में पढ़ने वाली लड़कियाँ भी सुरक्षित नहीं हैं। छोटी क्लास से लेकर पोस्टग्रेजुएट तक, सामान्य शिक्षा से लेकर उच्च स्तरीय तकनीकी शिक्षा तक, कहीं कोई सुरक्षित नहीं है, यह एहसास रीढ़ में सिहरन देने वाला है। यह एहसास बहुत चुभन और ग़ुस्सा पैदा करता है कि एक महिला का अस्तित्व पुरुष की निगाह में एक शरीर से ज़्यादा कुछ नहीं। एक महिला कितनी भी योग्य क्यों न हो, पुरुष के पास उसकी योग्यता को पढ़ने या समझने के लिए कोई रिसीवर नहीं है, वह सिर्फ़ शरीर से अधिक कुछ पढ़ ही नहीं पाता। इन तमाम बलात्कार की घटनाओं से उत्पन्न असुरक्षा का बेहिसाब ‘फोर्स’ महिलाओं को घरों के भीतर रहने को मजबूर कर रहा है। हर एक सरकार, हर एक नेता, हर एक दल महिलाओं में सुरक्षा का भाव पैदा करने में नाकाम रहा है।