डॉ. भीमराव आंबेडकर ने कहा था कि ‘भारत में लोकतंत्र केवल एक ऊपरी परत (top-dressing) है, जबकि इस देश की ज़मीन मूल रूप से गैर-लोकतांत्रिक है।’ आंबेडकर कहना चाह रहे थे कि भारत में लोकतंत्र ऊपर-ऊपर से दिखता है, लेकिन समाज की जड़ें असमानता और भेदभाव में गहराई तक धंसी हैं। आंबेडकर के अनुसार, जाति-प्रथा ही भारतीय जीवन के इस गैर-लोकतांत्रिक स्वभाव का मुख्य कारण है, क्योंकि यह मनुष्य को जन्म के आधार पर ऊँच-नीच में बाँट देती है, जिससे बराबरी और स्वतंत्रता की भावना पनप नहीं पाती। आंबेडकर कहना चाहते थे कि जब तक समाज में जाति-भेद रहेगा, तब तक भारत का लोकतंत्र सिर्फ ऊपर से दिखने वाला नकली आवरण ही रहेगा, असली लोकतंत्र नहीं बन पाएगा।