वर्तमान भारत में ‘गैर-जिम्मेदारी’ को ‘परिसंपत्ति’ के रूप में चिन्हित करने की परंपरा आकार ले रही है। भारतीय लोकतंत्र के लगभग हर स्तंभ में यह समस्या आ रही है। गुजरात उच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति समीर दवे की बेंच ने एक बलात्कार पीड़िता की गर्भपात से संबंधित याचिका पर सुनवाई करते हुए पीड़िता से बोला, “पहले 14-15 साल की उम्र में शादी और 17 साल की होने से पहले ही बच्चे का जन्म देना सामान्य था।”