वर्तमान भारत में ‘गैर-जिम्मेदारी’ को ‘परिसंपत्ति’ के रूप में चिन्हित करने की परंपरा आकार ले रही है। भारतीय लोकतंत्र के लगभग हर स्तंभ में यह समस्या आ रही है। गुजरात उच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति समीर दवे की बेंच ने एक बलात्कार पीड़िता की गर्भपात से संबंधित याचिका पर सुनवाई करते हुए पीड़िता से बोला, “पहले 14-15 साल की उम्र में शादी और 17 साल की होने से पहले ही बच्चे का जन्म देना सामान्य था।”
एक गैर-जिम्मेदार व्यवस्था के घमंड की भेंट चढ़ता देश!
- विमर्श
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- 29 Mar, 2025

भारत में लोकतांत्रिक व्यवस्था की महत्वपूर्ण बातों को रेखांकित करतीं स्तंभकार वंदिता मिश्रा की यह टिप्पणीः