कोई भी भली सरकार यही चाहती है कि देश या राज्य में कोई विवाद न हो; समाज में टकराव न हो, अमन-चैन बना रहे। लेकिन कुछ सरकारें ऐसी होती हैं जो ख़ुद विवाद पैदा करती रहती हैं और रोज़ाना कुछ कुछ ऐसा करती हैं जिससे समाज में कड़वाहट पैदा हो, बेचैनी बढ़े। भारत का दुर्भाग्य है कि यहाँ पिछले 12 सालों से ऐसी ही विवादप्रिय और विभाजनकारी सरकार राज कर रही है। अभी पिछले हफ़्ते भारत सरकार ने और भारतीय जनता पार्टी शासित राज्य सरकारों ने ‘वंदे मातरम’ नामक गीत की 150वीं वर्षगाँठ मनाने का जो फ़ैसला किया है, वह उसकी इसी विभाजनकारी नीति का हिस्सा है।
वंदे मातरम विवादः राष्ट्रवाद की आड़ में समाज को ध्रुवीकृत करने की कुटिल चाल
- वक़्त-बेवक़्त
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- 10 Nov, 2025

Vande Mataram Controversy: वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ मनाने की मंशा के पीछे सरकार का कुटिल इरादा साफ नज़र आ रहा है। इसे समाज को ध्रुवीकृत करने के एक हथियार के रूप में इस्तेमाल करने की कोशिश हो रही है। चिंतक और स्तंभकार अपूर्वानंद की टिप्पणीः

लोकप्रिय गीत वंदे मातरम को चुनाव में हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है।





















