पश्चिम बंगाल में NRC और SIR को लेकर तनाव बढ़ता जा रहा है। एक और व्यक्ति की आत्महत्या के बाद ममता बनर्जी ने कहा कि बीजेपी की विभाजनकारी राजनीति जिम्मेदार है।
ममता बनर्जी वोटर लिस्ट विशेष निरीक्षण
पश्चिम बंगाल में एक और 'एनआरसी आत्महत्या' हुई है। चुनाव आयोग की एसआईआर प्रक्रिया शुरू होने के तीन दिनों के भीतर दूसरी ऐसी आत्महत्या की घटना सामने आने से राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया है। बुधवार रात बीरभूम जिले के इलामबाजार में 95 वर्षीय क्षितिज मजूमदार ने कथित तौर पर मतदाता सूची सत्यापन की आशंका से त्रस्त होकर आत्महत्या कर ली। तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसे बीजेपी की 'डर, विभाजन और नफरत की राजनीति' का परिणाम बताया।
क्षितिज मजूमदार को उनकी बेटी के घर में एक कमरे की छत से लटका हुआ पाया गया। द टेलीग्राफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार एक पुलिस अधिकारी ने बताया, 'परिवार का आरोप है कि बुजुर्ग व्यक्ति मतदाता सूची सत्यापन प्रक्रिया से बाहर होने के डर से गंभीर तनाव में थे।' परिवार के सदस्यों ने खुलासा किया कि मजूमदार 2002 की मतदाता सूची में अपना नाम न पाकर चिंतित थे। एक रिश्तेदार ने कहा, 'वे अक्सर कहते थे कि 2002 की सूची में नाम न होने से क्या उन्हें बांग्लादेश जाना पड़ेगा?' इससे वे मानसिक रूप से गंभीर तनाव में थे। यह घटना एसआईआर ड्राइव शुरू होने के बाद दूसरी मौत है। चार नवंबर से बूथ लेवल ऑफिसर्स यानी बीएलओ घर-घर जाकर 2002 की सूची से मतदाताओं का मिलान और लिंकिंग करेंगे। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने सोमवार को एसआईआर की घोषणा की थी।
ममता का बीजेपी पर तीखा हमला
ममता बनर्जी जून में बिहार के लिए एसआईआर की घोषणा के बाद से ही आपत्ति जता रही हैं। अब उन्होंने एक्स पर पोस्ट कर मजूमदार की मौत को बीजेपी की साजिश बताया। उन्होंने लिखा, 'बीजेपी की डर, विभाजन और नफरत की राजनीति के दुखद परिणाम सामने आ रहे हैं। बीजेपी के इशारे पर बंगाल में थोपी गई चुनाव आयोग की एसआईआर की घोषणा के 72 घंटों के भीतर एक के बाद एक त्रासदी हो रही है।'
ममता ने तीन घटनाओं का जिक्र किया
- 27 अक्टूबर: पानीहाटी, खड़दह के 57 वर्षीय प्रदीप कर ने आत्महत्या की, सुसाइड नोट में लिखा—'एनआरसी मेरी मौत का जिम्मेदार है।'
- 28 अक्टूबर: दिनहाटा, कूच बिहार के 63 वर्षीय व्यक्ति ने एसआईआर से उत्पीड़न के डर से जान देने की कोशिश की।
- 30 अक्टूबर: 95 वर्षीय क्षितिज मजूमदार (कोतवाली, पश्चिम मेदिनीपुर निवासी, इलामबाजार) ने परिवार की जमीन छिनने के डर से जीवन त्याग दिया।
उन्होंने सवाल उठाया, 'राजनीतिक रूप से थोपी गई त्रासदियों का जवाब कौन देगा? केंद्रीय गृह मंत्री जिम्मेदारी लेंगे? बीजेपी और उसके सहयोगी, जिनके राज में यह डर का माहौल फैला, बोलने की हिम्मत दिखाएंगे?' ममता ने इसे राष्ट्र की अंतरात्मा पर गहरा घाव बताया, '95 साल का बुजुर्ग, जिसने इस मिट्टी को अपना जीवन समर्पित किया, उसे अपनी नागरिकता साबित करने के लिए मरना पड़े? यह मानवता का विश्वासघात है।'
पश्चिम बंगाल से और ख़बरें
मुख्यमंत्री ने नागरिकों से शांत रहने की अपील की और आश्वासन दिया कि उनकी सरकार एनआरसी को बंगाल में लागू नहीं होने देगी। उन्होंने कहा, 'हर नागरिक से अपील: उकसावे में न आएं, विश्वास न खोएं, कोई कड़ा कदम न उठाएं। हमारी मां-माटी-मानुष सरकार आपके साथ है। एनआरसी न सामने के दरवाजे से आएगी, न पीछे के। अपनी आखिरी सांस तक हम लोगों के अधिकारों की रक्षा करेंगे और बीजेपी की समाज को तोड़ने की साजिश को हराएंगे।'
तृणमूल का 'साइलेंट रिगिंग' का आरोप
तृणमूल कांग्रेस ने चुनाव आयोग और बीजेपी पर मतदाता सूची से हजारों नाम हटाने की साजिश रचने का आरोप लगाया। गुरुवार सुबह प्रेस कॉन्फ्रेंस में पार्टी प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा, 'यह साइलेंट रिगिंग है। एक क्षेत्र में 2002 की सूची में 717 मतदाता थे, अब केवल 140 दिख रहे हैं। क्या सब एक साथ मर गए? कई बूथों पर सैकड़ों नाम गायब हैं, बिना कोई स्पष्टीकरण।' घोष ने कहा कि अशोकनगर विधानसभा के गुमा-1 ग्राम पंचायत में एक बूथ पर 2002 में करीब 900 नाम थे, अब शून्य दिख रहा है।
उन्होंने आरोप लगाया, 'यह सुनियोजित क़दम है असली मतदाताओं को हटाने का। साज़िश बीजेपी दफ्तरों में रची गई और चुनाव आयोग के पोर्टल से लागू की जा रही है।' राज्य मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने कहा कि अनियमितताएं बीजेपी पर उल्टी पड़ रही हैं, क्योंकि उनके कुछ समर्थकों के नाम भी गायब हैं। तृणमूल ने चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कर पूर्ण जांच की मांग की, इसे लोकतंत्र को विकृत करने का खतरनाक प्रयास बताया।