पश्चिम बंगाल उर्दू अकादमी ने 'हिंदी सिनेमा में उर्दू' कार्यक्रम को शुरू होने से कुछ घंटे पहले रद्द क्यों कर दिया? क्या सिर्फ़ इसलिए कि इस्लामी संगठनों को गीतकार जावेद अख़्तर को अतिथि के तौर पर बुलाया जाना नागवार गुजरा? बंगाल उर्दू अकादमी ने तो सिर्फ़ इतना कहा है कि 'टाली न जा सकने वाली परिस्थितियों' की वजह से इसको रद्द किया गया है, लेकिन रिपोर्टें हैं कि जावेद अख़्तर को कार्यक्रम में बुलाए जाने पर कुछ इस्लामी संगठनों ने आपत्ति की थी। और सरकार? कुछ महीनों में होने वाले चुनाव से पहले तो राजनीतिक दल जोखिम नहीं ही लेना चाहेंगे!