क्या पश्चिम बंगाल में SIR, NRC और 'भाषा आंदोलन' के मुद्दे पर राज्य में उबाल आ रहा है? पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता और बीजेपी के वरिष्ठ नेता शुभेंदु अधिकारी के काफिले पर मंगलवार को कूचबिहार जिले के खग्राबारी इलाके में हमला हुआ। बीजेपी ने इस हमले के लिए सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को जिम्मेदार ठहराया है, जबकि टीएमसी ने इन आरोपों को 'पूर्व नियोजित नाटक' करार देकर खारिज किया है। बीजेपी नेताओं ने दावा किया है कि यह हमला टीएमसी के शीर्ष नेतृत्व की सहमति के बिना संभव नहीं हो सकता था। इस घटना ने पश्चिम बंगाल की सियासत में एक नया तूफान खड़ा कर दिया है, क्योंकि SIR, NRC और 'भाषा आंदोलन' के मुद्दे पर बीजेपी और टीएमसी आमने-सामने हैं।

घटना मंगलवार दोपहर करीब 12:35 बजे कूचबिहार के खग्राबारी क्रॉसिंग पर हुई, जब शुभेंदु अधिकारी अपने काफिले के साथ जिला पुलिस अधीक्षक के कार्यालय की ओर जा रहे थे। अधिकारी वहां बीजेपी की एक विरोध रैली का नेतृत्व करने के लिए गए थे, जिसका उद्देश्य जिले में पार्टी कार्यकर्ताओं पर कथित हमलों और कानून-व्यवस्था की स्थिति पर सवाल उठाना था। यह रैली कलकत्ता उच्च न्यायालय की अनुमति के बाद आयोजित की जा रही थी, जिसमें अधिकारी को पुलिस अधीक्षक से मिलने की अनुमति दी गई थी।
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जैसे ही काफिला खग्राबारी इलाके से गुजर रहा था, एक भीड़ ने कथित तौर पर टीएमसी के झंडे और काले झंडे लहराते हुए नारेबाजी शुरू कर दी। प्रदर्शनकारियों ने 'जॉय बांग्ला' और 'गो बैक' के नारे लगाए। आरोप है कि काफिले पर पत्थर फेंके गए और बांस के डंडों से वाहनों पर हमला किया गया। इस हमले में काफिले की कम से कम एक गाड़ी के शीशे टूट गए। सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में प्रदर्शनकारियों को टीएमसी के झंडों के साथ वाहनों पर हमला करते और जूते फेंकते देखा गया। इसमें किसी के घायल होने की ख़बर नहीं है।

शुभेंदु अधिकारी ने दावा किया कि वह एक बुलेटप्रूफ गाड़ी में होने के कारण सुरक्षित बच गए। उन्होंने कहा, 'मुझे पहले से जानकारी थी कि मुझ पर हमला हो सकता है। बीजेपी सांसद निशीथ प्रमाणिक ने मुझे बुलेटप्रूफ गाड़ी में बैठने की सलाह दी थी, क्योंकि उन्हें खुफिया जानकारी मिली थी कि मेरी गाड़ी को आग लगाने की साजिश थी।' अधिकारी ने यह भी आरोप लगाया कि हमलावरों में रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठिए शामिल थे और बंगाल पुलिस ने हमले का समर्थन किया।

बीजेपी का आरोप: टीएमसी की साज़िश

बीजेपी ने इस हमले को पूर्व नियोजित और लोकतंत्र पर हमला क़रार दिया है। पश्चिम बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष समिक भट्टाचार्य ने कहा, 'हम पूरे राज्य में उत्तर बंगाल से दक्षिण बंगाल तक विरोध प्रदर्शन करेंगे।' पूर्व बीजेपी राज्य अध्यक्ष और लोकसभा सांसद सुकांत मजूमदार ने कहा, 'यह अस्वीकार्य है। हमारे विपक्ष के नेता पर टीएमसी के गुंडों ने हमला किया। यह टीएमसी के शीर्ष नेतृत्व की सहमति के बिना नहीं हो सकता।'

बीजेपी के पूर्व सांसद निसिथ प्रमाणिक ने भी इस हमले को टीएमसी की हताशा का परिणाम बताया। उन्होंने कहा, 'यह एक सुनियोजित हमला था। हमने अपने सुरक्षा गार्ड को शांत रहने के लिए कहा, ताकि स्थिति और बिगड़े नहीं।' बीजेपी नेताओं ने यह भी आरोप लगाया कि टीएमसी राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर यानी एनआरसी और विशेष गहन संशोधन यानी एसआईआर के मुद्दे पर लोगों को भड़काने की कोशिश कर रही है।
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टीएमसी का जवाब: 'बीजेपी का नाटक'

टीएमसी ने इन सभी आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए इसे बीजेपी का 'पूर्व नियोजित नाटक' करार दिया। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार कूचबिहार जिले के टीएमसी अध्यक्ष पार्थ प्रतिम रॉय ने कहा, 'आज बंगाल के लोग और टीएमसी कार्यकर्ताओं ने बीजेपी के खिलाफ काले झंडे दिखाकर और शांतिपूर्ण प्रदर्शन करके विरोध जताया।' टीएमसी ने दावा किया कि प्रदर्शनकारी एनआरसी, बंगाली भाषा के अपमान और प्रवासी श्रमिकों के उत्पीड़न के खिलाफ विरोध कर रहे थे। पार्टी ने यह भी आरोप लगाया कि बीजेपी इस घटना को राजनीतिक लाभ के लिए बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रही है। टीएमसी ने अपने आधिकारिक बयान में कहा, 'शुभेंदु अधिकारी अशांति फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। यह हमला नहीं, बल्कि बीजेपी का एक सुनियोजित ड्रामा है।'

एनआरसी और एसआईआर का मुद्दा

टीएमसी ने दावा किया कि कूचबिहार में 19 स्थानों पर उनके कार्यकर्ताओं ने शुभेंदु अधिकारी के काफिले के रास्ते में विरोध प्रदर्शन किए। 

ये प्रदर्शन एनआरसी और बिहार में चल रहे विशेष गहन संशोधन यानी एसआईआर के खिलाफ थे। इसे टीएमसी बैकडोर एनआरसी करार दे रही है। ममता बनर्जी ने हाल ही में बोलपुर में 'भाषा आंदोलन' शुरू किया था, जिसमें उन्होंने बंगाली भाषा और संस्कृति की रक्षा का वादा किया।

शुभेंदु अधिकारी ने हाल ही में दावा किया था कि पश्चिम बंगाल में '1 करोड़ अवैध रोहिंग्या और बांग्लादेशी मुस्लिम' मौजूद हैं और उन्होंने पूरे देश में बिहार जैसे एसआईआर की मांग की थी। टीएमसी ने इन बयानों को भड़काऊ और सांप्रदायिक करार देते हुए इसका विरोध किया।

प्रदर्शनकारियों ने कथित तौर पर अधिकारी के काफिले के गुजरने के बाद सड़कों को गोबर और पानी से "शुद्ध" करने का भी प्रयास किया, जिसे बीजेपी ने अपमानजनक बताया।
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पुलिस और प्रशासन की भूमिका

शुभेंदु अधिकारी ने बंगाल पुलिस पर हमलावरों का समर्थन करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, 'पुलिस मूकदर्शक बनी रही और हमलावरों को खुली छूट दी।' पुलिस ने अभी तक इस मामले में कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है, और जांच जारी होने की बात कही जा रही है। हालाँकि, सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में देखा जा सकता है कि केंद्रीय सुरक्षा बल के जवान स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे थे। बीजेपी ने मांग की है कि इस हमले की निष्पक्ष जांच हो और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।

सियासी तनाव

इस घटना ने पश्चिम बंगाल में पहले से चली आ रही बीजेपी-टीएमसी की सियासी जंग को और हवा दे दी है। बीजेपी ने पूरे राज्य में विरोध प्रदर्शन की घोषणा की है, जबकि टीएमसी ने इसे बीजेपी की नौटंकी करार दिया है। पश्चिम बंगाल की राजनीति में एनआरसी और एसआईआर जैसे मुद्दे पहले से ही विवादास्पद रहे हैं। ममता बनर्जी और उनकी पार्टी ने केंद्र सरकार पर बंगाल में बैकडोर एनआरसी लागू करने की कोशिश का आरोप लगाया है, जबकि बीजेपी का कहना है कि वे केवल अवैध घुसपैठियों को हटाने की मांग कर रहे हैं।