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आईपीएस से इस्तीफा देकर बीजेपी से पर्चा भरा था, अब उम्मीदवारी ही रद्द

बीरभूम से बीजेपी उम्मीदवार देबाशीष धर का नामांकन रद्द हो गया है। पूर्व आईपीएस अधिकारी धर ने हाल ही में चुनाव लड़ने के लिए आईपीएस से इस्तीफा दिया था। चुनाव आयोग ने देबाशीष धर का नामांकन इसलिए रद्द किया, क्योंकि वह 'नो ड्यूज सर्टिफिकेट' पेश करने में विफल रहे। उन्होंने पिछले महीने आईपीएस पद से इस्तीफा तो दे दिया था, लेकिन वह इस्तीफे के बाद अंतिम रिलीज ऑर्डर दाखिल नहीं कर सके। टीएमसी और ममता बनर्जी इस अधिकारी पर लगातार हमलावर रहे थे।

हालाँकि, बीजेपी को पहले से ही इसका अंदाज़ा था और इसको भाँपते हुए बीजेपी ने आख़िरी दिन देबतनु भट्टाचार्य का नामांकन फाइनल कर दिया था। मीडिया रिपोर्टों में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि अब वह बीजेपी के आधिकारिक उम्मीदवार होंगे। वह आरएसएस के पूर्व प्रचारक रहे हैं।

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इस तरह दो भाजपा नेताओं ने बीरभूम लोकसभा सीट के लिए नामांकन दाखिल किया था। लेकिन बीजेपी ने औपचारिक तौर पर इस सीट से पूर्व आईपीएस अधिकारी देबाशीष धर को उम्मीदवार बनाया था।

अप्रैल 2021 में जब विधानसभा चुनाव चल रहे थे तब धर कूचबिहार के एसपी थे। सीआईएसएफ़ ने 10 अप्रैल को सीतलकुची में एक बूथ पर गोलीबारी की थी, जिसमें चार मतदाताओं की मौत हो गई थी। धर को राज्य सरकार ने निलंबित कर दिया था लेकिन उन्होंने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण का रुख किया और आदेश रद्द कर दिया गया था।

सितंबर 2022 में राज्य सरकार ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत बैरकपुर पुलिस में एक मामला शुरू किया था, जिसका उल्लेख धर ने अपने हलफनामे में किया था कि मामला उनके खिलाफ लंबित था।
इसी हफ़्ते मंगलवार को बीरभूम में अपने चुनाव अभियान के दौरान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने धर का नाम लिए बिना एक बार फिर उन पर निशाना साधा और दोहराया कि कैसे बीजेपी 'हत्यारों' को अपने उम्मीदवारों के रूप में नामित कर रही है।
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इससे पहले, उन्होंने कहा था कि राज्य सरकार ने कोई मंजूरी नहीं दी क्योंकि धर के खिलाफ विभागीय कार्यवाही चल रही थी।

इस वजह से धर के लिए स्थिति कठिन हो गई थी। तकनीकी आधार पर उनकी उम्मीदवारी रद्द किए जाने की संभावना को देखते हुए ही भाजपा की ओर से भट्टाचार्य ने भी नामांकन भरा ताकि यह सीट तृणमूल की शताब्दी रॉय के लिए वॉकओवर में न बदल जाए। टीएमसी 2009 से लगातार तीन बार बीरभूम से जीत चुकी है।

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क़मर वहीद नक़वी
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