चुनाव आयोग (ईसी) ने बूथ लेवल एजेंट (बीएलए) की नियुक्ति के नियमों में बदलाव किया है। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने आरोप लगाया है कि यह बदलाव भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को फायदा पहुंचाने के लिए चुनाव आयोग ने किया है। चुनाव आयोग ने घोषणा की है कि राजनीतिक दल SIR के लिए बीएलए को विधानसभा क्षेत्र में कहीं भी तैनात कर सकते हैं।
नियम में क्या बदलाव हुआ?
पुराना नियम (2023 के दिशानिर्देश) था कि बीएलए को अनिवार्य रूप से उस विशेष चुनावी रोल (बूथ) का पंजीकृत मतदाता होना चाहिए था जिसके लिए उन्हें चुनावी कार्य सौंपा गया था। यानी अगर किसी बूथ के बीएलए की नियुक्ति उसी क्षेत्र में बतौर मतदाता दर्ज शख्स को ही बीएलए बनाया जा सकता है।
नया नियम (ईसी का आदेश): ईसी ने मंगलवार को आदेश दिया था कि "अगर बीएलए उस बूथ वाले इलाके से उपलब्ध नहीं है, तो उसे उसी विधानसभा क्षेत्र के किसी भी पंजीकृत मतदाता में से नियुक्त किया जा सकता है।" बीएलए से अपेक्षा की जाती है कि वह उस भाग के मतदाता सूची की जांच करे जिसके लिए वह नियुक्त किया गया है, ताकि मृत या स्थानांतरित मतदाताओं की पहचान की जा सके।
टीएमसी का चुनाव आयोग पर हमला
टीएमसी ने चुनाव आयोग पर आरोप लगाते हुए कहा- 'बीजेपी को खुश करने के लिए बदला गया नियम।' टीएमसी ने इस बदलाव को तुरंत खारिज कर दिया और इसे बीजेपी के पक्ष में बताया। पार्टी के सांसद और वरिष्ठ वकील कल्याण बनर्जी ने कहा कि यह नियम बीजेपी को खुश करने के लिए बदला गया है। उन्होंने तर्क दिया: "पहले, नियम था कि बीएलए को उसी बूथ से होना चाहिए ताकि वे अधिकारियों की ठीक से सहायता कर सकें। चूंकि बीजेपी अधिकतर मामलों में विशिष्ट बूथों से एजेंट उपलब्ध कराने में असमर्थ है, इसलिए ईसी ने बीजेपी के पक्ष में यह आदेश जारी किया है।"
बनर्जी ने बीजेपी के नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी की फौरी प्रतिक्रिया पर भी सवाल उठाया और कहा कि अधिकारी ने आयोग के नए आदेश की घोषणा के 2-3 मिनट के भीतर ही इसका स्वागत करते हुए पोस्ट कर दिया, जो यह साबित करता है कि यह "पहले से तय" था। उन्होंने चुनाव आयोग पर पूरी तरह से पक्षपाती होने का आरोप लगाया।
बीजेपी ने बीएलए फैसले का किया स्वागत
बीजेपी के नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने चुनाव आयोग के इस निर्णय का स्वागत किया। उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा कि यह 'प्रगतिशील कदम' है। उसी विधानसभा क्षेत्र से बीएलए की अनुमति देना बहुत बेहतर कदम है। उन्होंने कहा कि यह कदम चुनावी प्रक्रिया की प्रतिष्ठा को मजबूत करेगा और सटीक मतदाता सूची तैयार करने में राजनीतिक दलों को अधिक प्रभावी ढंग से योगदान करने के लिए सशक्त बनाएगा।
ईसी का यह नियम संशोधन ऐसे समय में आया है जब टीएमसी ने बीएलए नियुक्त करने के मामले में बीजेपी और सीपीएम को पीछे छोड़ दिया है। बुधवार को बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय के आंकड़ों के अनुसार, बंगाल में अब तक नियुक्त 1,40,000 बीएलए में से, 54,153 टीएमसी से हैं, जबकि 47,782 बीएलए के साथ बीजेपी दूसरे स्थान पर है।
बहरहाल, यह विवाद पश्चिम बंगाल में 2026 विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची की शुद्धता पर सवाल उठा रहा है। दोनों पार्टियां एक-दूसरे पर आरोप लगा रही हैं, जबकि चुनाव आयोग ने अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है।