पश्चिम बंगाल में दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र में बीते क़रीब तीन दशकों से हर चुनाव में सबसे अहम मुद्दा रहा गोरखालैंड अबकी विधानसभा चुनाव में परिदृश्य से ग़ायब है। अब यहाँ विकास और बेरोज़गारी की बात हो रही है। हालाँकि कुछ छोटी पार्टियों ने इस बार भी अलग गोरखालैंड के गठन का मुद्दा उठाने का प्रयास किया था, लेकिन आम लोगों पर इस बार इसका कोई भावनात्मक असर देखने को नहीं मिल रहा है। इस बार यहाँ दो पूर्व दोस्तों की दुश्मनी का फ़ायदा उठाते हुए बीजेपी जीत का सपना देख रही है। ये दोनों हैं गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) के नेता बिमल गुरुंग और कभी उनके सबसे क़रीबी रहे विनय तमांग।