West Bengal SIR: पश्चिम बंगाल में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के खिलाफ 4 नवंबर को कोलकाता में टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी एक बड़ा विरोध प्रदर्शन करने जा रही हैं। गैर बीजेपी शासित राज्यों में एसआईआर विरोधी माहौल बन रहा है।
पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) अध्यक्ष ममता बनर्जी 4 नवंबर को कोलकाता में विशेष गहन संशोधन (SIR) प्रक्रिया के खिलाफ बड़ा विरोध प्रदर्शन करेंगी। यह प्रदर्शन चुनाव आयोग (ईसीआई) द्वारा शुरू किए जा रहे एसआईआर के खिलाफ है, जिसकी घर-घर जाकर गणना 4 नवंबर से शुरू हो रही है। टीएमसी का आरोप है कि यह प्रक्रिया वैध मतदाताओं को हटाने का माध्यम बन सकती है, जो राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) की याद दिलाती है। बंगाल ऐसा दूसरा राज्य है जो एसआईआर के खिलाफ खुलकर सामने आ गया है। तमिलनाडु में रविवार को डीएमके प्रमुख एम के स्टालिन ने सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। जिसमें एसआईआर को अदालत में चुनौती देने का फैसला हुआ था। इससे पहले 1 नवंबर को महाराष्ट्र में वहां के विपक्षी दलों ने वोट चोरी के खिलाफ एक बड़ी रैली आयोजित की थी।
प्रदर्शन की अगुवाई ममता बनर्जी और उनके भतीजे व टीएमसी महासचिव अभिषेक बनर्जी करेंगे। रैली रेड रोड से जोरासंको तक चलेगी, जो SIR की गणना प्रक्रिया के पहले ही दिन शुरू हो रही है। यह अभियान 12 राज्यों में चल रही SIR प्रक्रिया का हिस्सा है, जो 4 नवंबर से 4 दिसंबर तक चलेगी। टीएमसी ने चेतावनी दी है कि यदि वैध मतदाताओं के नाम हटाए गए, तो पार्टी हर स्तर पर इसका विरोध करेगी।
एसआईआर पर टीएमसी-भाजपा आमने-सामने
टीएमसी का कहना है कि SIR प्रक्रिया के तहत मृत मतदाताओं के नाम हटाने के नाम पर निर्दोष लोगों को निशाना बनाया जा रहा है। पार्टी नेताओं ने कुछ मामलों में आत्महत्या की घटनाओं का हवाला देते हुए कहा कि यह प्रक्रिया लोगों को मानसिक आघात पहुंचा रही है। ममता बनर्जी ने पहले ही ईसीआई से अपील की है कि वैध मतदाताओं को हटाने की कोई कार्रवाई न की जाए। वहीं, भाजपा ने SIR का समर्थन किया है और कहा है कि अवैध मतदाताओं की पहचान कर उन्हें हटाना जरूरी है। हालांकि राज्य भाजपा अध्यक्ष समिक भट्टाचार्य ने कहा, "भाजपा का मानना है कि अवैध मतदाताओं को खोजा जाए और हटाया जाए। टीएमसी मृत मतदाताओं सहित किसी भी नाम हटाने का विरोध कर रही है।"
सुवेंदु अधिकारी पर BLOs को धमकी का आरोप
31 अक्टूबर को टीएमसी ने राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) को शिकायत सौंपी थी। शिकायत में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी पर बूथ लेवल अधिकारी (BLOs) को धमकाने का आरोप लगाया गया है। राज्य मंत्री और वरिष्ठ टीएमसी नेता अरूप बिस्वास ने पत्र में लिखा, "सुवेंदु अधिकारी ने खुलेआम BLOs को धमकी दी कि यदि वे उनके निर्देशों का पालन नहीं करेंगे, तो उन्हें जेल हो जाएगी।" उन्होंने बिहार का उदाहरण देते हुए अधिकारी के बयान का हवाला दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि "कमीशन के दिशानिर्देशों का पालन न करने वाले 54 सीईओ को जेल के पीछे डाल दिया गया।"
सुवेंदु अधिकारी ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा, "मैंने कुछ भी अवैध नहीं कहा और मैं यह बातें बार-बार दोहराऊंगा। BLOs को स्वतंत्र रूप से काम करना चाहिए, न कि किसी राजनीतिक दल के पक्ष में।" टीएमसी ने मांग की है कि अधिकारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए।
बंगाल में राजनीतिक तनाव बढ़ा
4 नवंबर का प्रदर्शन पश्चिम बंगाल में टीएमसी और भाजपा के बीच बढ़ते राजनीतिक तनाव को और बढ़ाने वाला है। SIR प्रक्रिया को लेकर दोनों पार्टियां आमने-सामने हैं। ईसीआई ने स्पष्ट किया है कि यह अभियान मतदाता सूची को अपडेट करने के लिए है, लेकिन टीएमसी इसे केंद्र सरकार का राजनीतिक हथियार बता रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह मुद्दा आगामी चुनावों में बड़ा विवाद बन सकता है।
ममता बनर्जी ने समर्थकों से अपील की है कि वे शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन में शामिल हों और लोकतंत्र की रक्षा करें। बता दें कि एसआईआर प्रक्रिया सबसे पहले बिहार में शुरू हुई तो वहां भी इसका विरोध और नेता विपक्ष राहुल गांधी ने बताया कि मतदाता सूची में गलत और अवैध तरीकों से संशोधन कर वोट चोरी की जा रही है। राहुल गांधी ने आरजेडी नेता तेजस्वी यादव के साथ मिलकर बिहार में वोटर अधिकार यात्रा भी निकाली थी। बिहार में चुनाव प्रक्रिया जारी रहने के दौरान अंतिम मतदाता सूची का प्रकाशन चुनाव आयोग ने किया था। विपक्ष का आरोप है कि बिहार में कई जीवित, वैध और खासकर मुस्लिम मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से उड़ा दिए गए।