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बंगाल: चौथे चरण में मुसलिम-महिला मतदाता तय करेंगे सियासी किस्मत

पश्चिम बंगाल में चौथे चरण के लिए मतदान जारी है। इस चरण में 44 सीटों पर वोट डाले जा रहे हैं। ये सीटें कूचबिहार, अलीपुर दुआर, दक्षिण 24 परगना, हावड़ा और हुगली के जिलों में पड़ती हैं। 

इस चरण में बड़ा सवाल यह है कि क्या मुसलमानों से वोट नहीं बँटने देने की ममता बनर्जी की अपील चौथे चरण के मतदान का सबसे बड़ा फैक्टर बन कर उभरेगी? क्या 40 प्रतशित से अधिक मुसलिम मतदाता एकजुट होकर सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस को वाकई वोट देंगे? क्या सांप्रदायिक कही जाने वाली बीजेपी को रोकने के लिए उनके पास टीएमसी को वोट देने के अलावा कोई चारा नहीं है? क्या मुसलमानों की पार्टी कही जाने वाले इंडियन सेक्युलर फ्रंट को मुसलमान ही बड़ी तादाद में वोट नहीं देंगे?

इन सवालों के जवाब 2 मई को होने वाली मतगणना के बाद ही मिल सकेंगे। 

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क्या कहा ममता ने?

बता दें कि मुख्यमंत्री ने 3 अप्रैल को एक जनसभा में मुसलमानों से कहा था कि वे अपना वोट न बंटने दें। इस पर चुनाव आयोग ने उन्हें बुधवार को नोटिस जारी कर 48 घंटे में जवाब देने को कहा। लेकिन ममता बनर्जी अपने कहे पर अड़ी हुई हैं और उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि उन्हें एक नहीं 10 नोटिस मिले तो भी वह यह कहती रहेंगी कि धर्म के आधार पर वोटों का बंटवारा नहीं होना चाहिए। 

ममता बनर्जी ने जो कुछ कहा और उस पर वह जिस तरह अड़ी हुई हैं, वह चौथे चरण के मतदान के लिए बेहद अहम है। इसकी वजह यह है कि दक्षिण चौबीस परगना, हावड़ा, हुगली, कूचबिहार और अलीपुर दुआर में जहाँ शनिवार को मतदान होना है, मुसलिमों की अच्छी खासी आबादी है। 

muslims to decide fourth phase polling in west bengal assemblu electionn 2021 - Satya Hindi

दक्षिण चौबीस परगना, हावड़ा और हुगली में तो मुसलिम मतदाताओं की तादाद 40 प्रतिशत के आसपास है, पर अलीपुर दुआर में यह तादाद उससे अधिक है और कूचिबहार में यह तादाद 45 प्रतिशत के आसपास है। 

आईएसएफ़ का असर?

ज़ाहिर है, ममता बनर्जी इस विशाल वोट बैंक को ध्यान में रख कर ही अपनी बात पर अड़ी हुई हैं। 

फुरफुरा शरीफ़ दरगाह का असर हावड़ा, हुगली और दक्षिण चौबीस परगना ज़िलों के मुसलमानों पर है, लेकिन यही बात कूचबिहार और अलीपुर दुआर के बारे में नहीं कही जा सकती है। 

खुद फ़ुरफुरा शरीफ दरगाह की राजनीति करने वाला परिवार बंटा हुआ है। पीरज़ादा अब्बास सिद्दीक़ी ने इंडियन सेक्युलर फ्रंट की स्थापना चुनाव के ठीक पहले की क्योंकि वह ममता बनर्जी से मनमाफिक मोल तोल कर सीट नहीं ले सके। 

लेकिन उनके चाचा और दरगाह के प्रमुख ममता बनर्जी के साथ खड़े हैं। वह राजनीति में नहीं हैं, न ही उन्होंने चुनाव प्रचार किया है, लेकिन उनका मानना साफ है कि कई खामियों के बावजूद तृणमूल कांग्रेस पर ही भरोसा किया जा सकता है। 

दूसरी ओर, मुसलमानों का एक बड़ा तबका यह मानता है कि बीजेपी को रोकने के लिए तृणमूल का कोई विकल्प नहीं है क्योंकि आईएसएफ़ सरकार नहीं बना सकती, उसको गया मुसलमानों का वोट बीजेपी को ही मजबूत करेगा।

अमित शाह का प्रचार

नतीजा यह है कि फुरफुरा शरीफ के स्थानीय मुसलमान भी इस मुद्दे पर बंटे हुए हैं।

चुनाव प्रचार के अंतिम समय अमित शाह ने मध्य हावड़ा, डोमजूर, बेहाला पूर्व और सिंगुर में सभाएं कीं। डोमजूर से बीजेपी उम्मीदवार राजीब बनर्जी हैं जो हाल फिलहाल तक टीएमसी में थे और ममता बनर्जी सरकार में मंत्री थे। टीएमसी कार्यकर्ताओं का एक छोटा गुट ही उनके साथ गया और वह कड़ी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।

इसी तरह सिंगुर से चार बार के टीएसमी विधायक रवींद्रनाथ भट्टाचार्य 88 साल के हो चुके हैं और इस कारण पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया तो वे बीजेपी से उम्मीदवार बन गए।

उनके साथ उम्र के साथ यह दिक्क़त भी है कि उनके सहयोगी और सिंगुर आन्दोलन में उनके साथ कंधे से कंधा मिला कर लड़ने वाले बेचाराम मान्ना टीएमसी से उम्मीदवार हैं। बीजेपी उम्मीदवार सिंगुर की उपेक्षा का सवाल जोर शोर से उठा रहे हैं तो लोग यह भी पूछ रहे हैं कि आप तो चार बार विधायक थे, आपने क्यों विकास नहीं किया। 

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कूचबिहार-अलीपुर दुआर

उत्तर बंगाल के कूचबिहार और अलीपुर दुआर में मुसलमानों के अलावा जो महत्वपूर्ण कारक है, वह है आर्थिक पिछड़ापन। कूचिबहार की 9 और अलीपुर दुआर की पाँच यानी कुल मिला कर 14 सीटों पर शनिवार को मतदान है। बांग्लादेश से सटे इस इलाक़े में आर्थिक पिछड़ापन है, लेकिन बीजेपी इसे मुद्दा नहीं बना सकी।

बीजेपी को भरोसा है बांग्लादेश से आए उन हिन्दुओं पर, जिनके बीच बीजेपी यह प्रचार करती रही है कि यह सीमाई इलाक़ा जल्द ही मुसलिम-बहुल हो जाएगा। उसने घुसपैठियों के मुद्दे को उठाने की कोशिश की। लेकिन यह मुद्दा परवान नहीं चढ़ सका।

कोच राजबंशी

बीजेपी के लिए संतोष की बात यह है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में उसने यह सीट जीती थी। 

इस ज़िले के मूल निवासी कोच राजबंशी आदिवासी हैं, जो खुद को बंगाली नहीं मानते और अलग कामतापुर राज्य की माँग लंबे समय से करते रहे हैं। मोटे तौर पर बुद्धिजीवियों, कलाकारों और साहित्यकारों के जगत में कामतापुर राज्य की माँग 50 साल से चलती रही है, एक समय इसने हिंसक रूप भी लिया है, पर फिलहाल यह आन्दोल सुप्त है।

कोच राजबंशी राजघराने के वंशज तृणमूल कांग्रेस से जुड़े हुए हैं। कोच राजबंशियों को अपनी ओर लाने के लिए प्रधानमंत्री ने कहा है कि इन्हें लेकर सेना मे अलग नारायणी बटालियन का गठन किया जाएगा।

यह इलाक़ा किसी समय फ़ॉरवर्ड ब्लॉक का गढ़ रहा है। अभी भी उसका असर है, खास कर, कूचबिहार उत्तर में। 

पश्चिम बंगाल सरकार के मंत्री रवींद्रनाथ घोष नटबाड़ी से टीएमसी टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं जबिक उन्हें चुनौती दे रहे  हैं टीएमसी छोड़ कर बीजेपी में शामिल हुए मिहिर गोस्वामी। 

अलीपुर दुआर में आदिवासियों की तादाद अच्छी ख़ासी है, यहा चाय बागान हैं और चाय बागानों व आदिवासियों के बीच किसी समय वामपंथियों की अच्छी मौजूदगी थी। ममता बनर्जी ने इस इलाक़े के विकास के लिए अलग स्थानीय बोर्ड बनाने का एलान कर रखा है।

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सरकार ने 'चा सुंदरी' नामक आवास परियोजना का एलान किया है। दूसरी और बीजेपी ने चाय बागानों के लिए एक हज़ार करोड़ रुपए के अनुदान का एलान कर रखा है। 

अलीपुर दुआर से टीएमसी के सौरभ चक्रवर्ती मैदान में हैं तो उन्हें चनौती दे रहे हैं बीजेपी के सुमन कांजीलाल। बीजेपी ने यहाँ से पहले अर्थशास्त्री अशोक लाहिड़ी को उम्मीदवार बनाया था, लेकिन स्थानीय कार्यकर्ताओं के विरोध को देखते हुए उन्हें बालुरहाट से उम्मीदवार बनाया गया है। 

महिला मतदाता किसके साथ?

चौथे चरण में जिन 44 सीटों पर मतदान शनिवार को होना है, उनमें से 11 सीटें ऐसी हैं, जहाँ महिलाओं की तादाद पुरुषों से ज़्यादा है। इसके आलावा लगभग 10 सीटों पर महिला-पुरुष मतदाता लगभग बराबर है। लेकिन पश्चिम बंगाल की महिलाओं में राजनीतिक जागरुकता अधिक होने के कारण वे कम से कम इन इलाक़ों में अहम हैं। 

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महिलाओं में लोकप्रिय कौन?

सवाल यह है कि कौन पार्टी इन तक पहुँची है और ये किस ओर झुकी हुई हैं। नरेंद्र मोदी ने इसी कारण इस इलाक़े में उज्ज्वला योजना का प्रचार अधिक किया। इसी तरह उन्होंने एक बार नहीं कई बार कहा है कि पश्चिम बंगाल में महिलाएं सुरक्षित नहीं है, उनके साथ बलात्कार व यौन उत्पीड़न पूरे देश में सबसे ज़्यादा यहीं होता है। हालांकि मोदी ने इसके पक्ष में कोई आँकड़ा नहीं दिया। 

लेकिन ममता बनर्जी महिलाओं में अधिक लोकप्रिय हैं, इसे बीजेपी वाले भी मानते हैं।

राज्य सरकार ने लड़कियों के लिए साइकिल, उनके 18 साल होने पर शादी के लिए 60 हज़ार रुपए देने और स्कूल जाने वाली बच्चियों को उनके बैंक खाते में सीधे पैसे डालने की जो योजनाएं चलाई हैं।

पर्यवेक्षकों का कहना है कि उससे उनकी स्थिति कम से कम महिलाओं के बीच बहुत ही मजबूत है। 

हालांकि बीजेपी ने स्मृति ईरानी की सभाएं कराई थीं, लेकिन उन्हें खास नोटिस नहीं लिया गया। 

सबको इंतजार दो मई का है, लेकिन बीजेपी के लिए कोई बहुत बड़ा उलटफेर करना मुश्किल होगा। 

राज्य के उत्तरी इलाक़े कूचबिहार में एक जनसभा में ममता बनर्जी ने कहा कि सीआरपीएफ़ के जवानों ने मतदान के दौरान महिलाओं से छेड़खानी की है और लोगों को पीटा है। 

उन्होंने कहा, "सीआरपीएफ़ के लोग मतदाताओं को वोट डालने से रोक रहे हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उन्हें ऐसा करने का निर्देश दिया है।"

मममता बनर्जी ने कहा कि चुनाव के दौरान राज्य में 10 लोग मारे गए हैं।

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क़मर वहीद नक़वी
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