पश्चिम बंगाल में एक और बूथ लेवल अधिकारी (BLO) ने बुधवार को खुदकुशी कर ली। बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने इस संबंध में ट्वीट किया है। आरोप है कि रंगामती पंचायत की निवासी शांति मुनि एक्का मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision - SIR) के काम से असहनीय दबाव में थीं। 
पुलिस के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्र में BLO के रूप में कार्यरत शांति मुनि एक्का ने अपने आवास के पास एक पेड़ से लटककर आत्महत्या की। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है। मृतक के परिजनों ने आरोप लगाया है कि डोर-टू-डोर मतदाता सूची पुनरीक्षण और फॉर्म वितरण के काम के दबाव को वह सहन नहीं कर पा रही थीं। परिजनों का दावा है कि SIR ड्यूटी उनके लिए असहनीय हो गई थी, जिसके कारण वह अवसाद (डिप्रेशन) में चली गई थीं।

CM ममता बनर्जी ने ECI पर साधा निशाना 

BLO की मौत के कुछ घंटों बाद ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भारतीय चुनाव आयोग (ECI) पर जमकर हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि SIR प्रक्रिया से उत्पन्न काम के दबाव और तनाव के कारण कीमती जानें जा रही हैं। मुख्यमंत्री ने अपने 'एक्स' हैंडल पर पोस्ट करते हुए कहा, "आज (बुधवार), माल, जलपाईगुड़ी में हमने एक और बूथ लेवल अधिकारी श्रीमती शांति मुनि एक्का, जो एक आदिवासी महिला और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता थीं को SIR के असहनीय काम के दबाव में अपनी जान लेते हुए खो दिया है।" उन्होंने आगे दावा किया, "जब से SIR शुरू हुआ है, तब से पहले ही 28 लोगों की जान जा चुकी है। कुछ डर और अनिश्चितता के कारण, तो कुछ तनाव और काम के अत्यधिक बोझ के कारण।"

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ममता बनर्जी ने ECI पर बरसते हुए कहा कि यह "अनाप-शनाप काम का बोझ थोपा जा रहा है, जिसकी वजह से बहुमूल्य जानें जा रही हैं।" उन्होंने मांग की कि चुनाव आयोग को "इस अनियोजित अभियान को तुरंत रोकना चाहिए, इससे पहले कि और लोगों की जानें जाएँ।" मुख्यमंत्री ने यह भी आरोप लगाया कि जो प्रक्रिया पहले तीन साल में पूरी होती थी, उसे अब "राजनीतिक आकाओं को खुश करने के लिए" चुनाव की पूर्व संध्या पर दो महीने में जबरन पूरा कराया जा रहा है, जिससे BLOs पर अमानवीय दबाव पड़ रहा है।

10 दिनों में बीएलओ के खुदकुशी की दूसरी घटना 

यह घटना ऐसे समय में हुई है जब करीब 10 दिन पहले 9 नवंबर को पूर्वी बर्दवान में भी एक BLO की कथित तौर पर लगातार काम के दबाव के कारण सेरेब्रल अटैक से मौत हो गई थी। मृतक की पहचान नमिता हांसदा के रूप में हुई थी, जो एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता थीं और उन्हें चक बलरामपुर, मेमारी में बूथ संख्या 278 के लिए BLO के रूप में नियुक्त किया गया था। एसआईआर से जुड़ी अब तक 28 मौतें शामिल हैं। अधिकांश लोगों ने मतदाता सूची से नाम कटने के डर में जान दे दी।
SIR का दूसरा चरण वर्तमान में 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में चल रहा है, जिनमें पश्चिम बंगाल के अलावा तमिलनाडु, केरल, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ शामिल हैं। यह प्रक्रिया 4 दिसंबर तक जारी रहने वाली है।

चुनाव आयोग सवालों के घेरे में

चुनाव आयोग (ECI) ने असम (जहाँ 2026 में चुनाव होने हैं) में SIR को लागू करने से परहेज किया है। इसकी जगह, स्पेशल रिवीजन (SR) का आदेश दिया गया है। असम में नागरिकता के लिए विशिष्ट कानूनी प्रावधानों (NRC प्रक्रिया) के चलते यह निर्णय लिया गया। SR में BLOs घर-घर जाकर पहले से भरे हुए रजिस्टरों के आधार पर सत्यापन करेंगे, जबकि SIR में मतदाताओं को नए सिरे से फॉर्म भरकर दस्तावेज जमा करने होते हैं।
विपक्षी दलों कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस (TMC), DMK और वाम दल SIR प्रक्रिया का कड़ा विरोध कर रहे हैं। विपक्षी दलों का सबसे बड़ा आरोप यह है कि SIR को जानबूझकर टारगेट वर्गों (मुस्लिम, दलित, आदिवासी) के नाम मतदाता सूची से हटाने के लिए एक "साजिश" के रूप में डिज़ाइन किया गया है। विपक्ष इसे "वोट चोरी" बता रहा है।

कई विपक्षी नेताओं ने आरोप लगाया है कि ECI इस गहन पुनरीक्षण के माध्यम से नागरिकता सत्यापन या राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) जैसा काम कर रहा है, जो उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है। बिहार एसआईआर पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान भी यह बात उठी थी कि एसआईआर की आड़ में मतदाताओं की नागरिकता जांची जा रही है।

विपक्ष इस प्रक्रिया के लिए तय की गई कठोर समय-सीमा का विरोध कर रहे हैं, उनका कहना है कि यह प्रक्रिया BLOs पर अत्यधिक दबाव डालती है (जैसा कि पश्चिम बंगाल में BLO की आत्महत्या की घटना से स्पष्ट है) और मानसून या त्योहारों के समय (जैसे तमिलनाडु में) इस तरह का काम करना अनुचित है। विपक्ष ने पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सत्यापन फॉर्म जमा करते समय रसीद/पावती पर्ची देने और डेटा सुरक्षा बनाए रखने की मांग की है।

बिहार SIR में क्या हुआ और सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियाँ क्या थीं? 

ECI ने बिहार विधानसभा चुनाव से पहले SIR प्रक्रिया पूरी की, जिसकी वजह से लगभग  65 लाख नाम हटाए गए। विपक्षी दलों (DMK, TMC, कांग्रेस के नेताओं और गैर-सरकारी संगठनों ने SIR की वैधानिकता और क्रियान्वयन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।

सुप्रीम कोर्ट की मुख्य टिप्पणियाँ


सुप्रीम कोर्ट ने SIR के प्रति व्यापक संदेह व्यक्त करने के लिए याचिकाकर्ताओं पर सवाल उठाया। जजों ने कहा कि ECI एक संवैधानिक संस्था है और हमें यह नहीं मान लेना चाहिए कि यह अनियमितता बरतेगा। कोर्ट ने कहा कि यदि कोई प्रक्रियात्मक कमी है, तो उसे इंगित किया जा सकता है और सुधारा जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह ECI के इस अधिकार की जाँच करेगा कि क्या उसे SIR के दौरान नागरिकता का निर्धारण करने की पावर है। कोर्ट ने मतदाता डेटा की गोपनीयता और सुरक्षा बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए अन्य राज्यों के उच्च न्यायालयों से SIR से संबंधित समानांतर सुनवाई को टालने का अनुरोध किया कि सर्वोच्च न्यायालय इस मामले को समग्र रूप से देख रहा है।

कांग्रेस की रणनीति

बिहार में वोट चोरी अभियान विफल होने के बावजूद, कांग्रेस ने इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर उठाने का फैसला किया है। राहुल गांधी ने जोर देकर कहा है कि पार्टी को SIR के खिलाफ "राजनीतिक, सांगठनिक और कानूनी" रूप से लड़ना होगा। कांग्रेस ने ECI पर BJP के इशारे पर काम करने का आरोप लगाते हुए दिसंबर के पहले सप्ताह में दिल्ली के रामलीला मैदान में एक विशाल रैली करने की घोषणा की है।