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प्रतीकात्मक तसवीर।

चीन के 18 प्रोविंस में फैला डेल्टा वैरिएंट, लाखों लोग लॉकडाउन में

कोरोना संक्रमण फैलने के शुरुआती दिनों के बाद बेहतरीन तरीक़े से नियंत्रण करने का दावा करने वाले चीन में अब फिर से कोरोना का खौफ है। लाखों लोग लॉकडाउन जैसे प्रतिबंधों के कारण घरों से बाहर नहीं निकल सकते, यात्रा प्रतिबंध भी लगाए गए हैं और बड़े पैमाने पर जाँच की जा रही है। बीज़िंग सहित कई शहरों में मास टेस्टिंग की जा रही है। ऐसा इसलिए कि देश में संक्रमण के मामले तेज़ी से फैले हैं। डेल्टा वैरिएंट के मामले आ रहे हैं। 18 प्रोविंस यानी राज्यों के कम से कम 20 शहरों में डेल्टा वैरिएंट के मामले आ चुके हैं।

चीन में सोमवार को ही 55 नये मामले सामने आए हैं। रविवार को 75 नये मामले सामने आए थे उनमें से 53 स्थानीय स्तर पर फैले थे। पिछले दस दिनों में 300 संक्रमण के मामले ऐसे आए हैं जो स्थानीय स्तर पर फैले हैं। स्थानीय स्तर पर संक्रमण के फैलने का मतलब है कि संक्रमित व्यक्ति ने न तो विदेश का दौरा किया है और न ही वह ज्ञात रूप से किसी ऐसे व्यक्ति से संक्रमित हुआ हो जिसने विदेश का दौरा किया है।

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बीजिंग सहित प्रमुख शहरों में स्थानीय सरकारों ने अब लाखों लोगों का परीक्षण किया है, जबकि आवासीय परिसरों को बंद कर दिया गया है और निकट संपर्कों को क्वारंटीन में रखा गया है। एएफ़पी की रिपोर्ट के अनुसार एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि हुनान प्रांत के केंद्रीय शहर झूझोउ ने सोमवार को 12 लाख लोगों से अधिक निवासियों को अगले तीन दिनों के लिए सख्त लॉकडाउन के तहत घर में रहने का आदेश दिया है, क्योंकि इसने एक शहरव्यापी टेस्टिंग और टीकाकरण अभियान शुरू किया है।

दरअसल, सबसे सख़्त लॉकडाउन, शानदार टेस्टिंग, सख्ती से कोरोना नियमों की पालना और दुनिया में सबसे तेज़ी से टीकाकरण करने वाले चीन में डेल्टा वैरिएंट से अधिकारियों में हलचल मच गई है।

हलचल मचना भी लाजमी है क्योंकि उस देश में जहाँ सबसे पहले कोरोना संक्रमण का मामला 2019 में ही आया था, जहाँ दुनिया की सबसे बड़ी आबादी है वहाँ अब तक सिर्फ़ 92 हज़ार संक्रमण के मामले आए हैं और वह सबसे ज़्यादा संक्रमण के मामले में 107वें नंबर पर है। ऐसा इसलिए कि कोरोना को नियंत्रित करने में वह काफ़ी हद तक कामयाब रहा।

बीजिंग ने वुहान शहर में पहली बार कोरोनो के मामले आने के बाद संक्रमण के मामले को लगभग शून्य पर लाने में अपनी सफलता का दावा किया था।

लेकिन ताज़ा प्रकोप उस पर सवाल खड़े करता है। ये संक्रमण के मामले नानजिंग शहर में एक साथ कई संक्रमण के मामले सामने से जुड़ा है जहाँ एक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर नौ सफ़ाईकर्मियों में 20 जुलाई को कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई थी। बाद में पता चला कि डेल्टा संक्रमण के मामले चीन में पहुँच गए।

विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना वायरस का डेल्टा वैरिएंट अब तक सबसे ज़्यादा तेज़ फैलने वाला और सबसे ज़्यादा घातक भी है। फ़ोर्ब्स की एक रिपोर्ट के अनुसार चीन के वुहान में सबसे पहले मिले कोरोना संक्रमण से 50 फ़ीसदी ज़्यादा तेज़ी से फैलने वाला अल्फा वैरिएंट था। यह वैरिएंट सबसे पहले इंग्लैंड में पाया गया था। इस अल्फा से भी 40-60 फ़ीसदी ज़्यादा तेज़ी से फैलने वाला डेल्टा वैरिएंट है। यह सबसे पहले भारत में मिला था और अब तक दुनिया के अधिकतर देशों में फैल चुका है। 

china 18 provinces reports covid delta variants, restrictions in cities and mass testing in place - Satya Hindi

यह डेल्टा वैरिएंट वही है जिसे भारत में कोरोना की दूसरी लहर में तबाही लाने के लिए ज़िम्मेदार माना गया। भारत में जब दूसरी लहर अपने शिखर पर थी तो हर रोज़ 4 लाख से भी ज़्यादा संक्रमण के मामले रिकॉर्ड किए जा रहे थे। देश में 6 मई को सबसे ज़्यादा 4 लाख 14 हज़ार केस आए थे। यह वह समय था जब देश में अस्तपाल बेड, दवाइयाँ और ऑक्सीजन जैसी सुविधाएँ भी कम पड़ गई थीं। ऑक्सीजन समय पर नहीं मिलने से बड़ी संख्या में लोगों की मौतें हुईं। अस्पतालों में तो लाइनें लगी ही थीं, श्मशानों में भी ऐसे ही हालात थे। इस बीच गंगा नदी में तैरते सैकड़ों शव मिलने की ख़बरें आईं और रेत में दफनाए गए शवों की तसवीरें भी आईं।

चीन में संक्रमण के मामले तब आ रहे हैं जब शानदार टेस्टिंग की व्यवस्था है, क्वारंटीन के सख़्त नियम हैं और चीन में बड़े पैमाने पर टीकाकरण अभियान चलाया गया है।

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ब्लूमबर्ग वैक्सीन ट्रैकर की रिपोर्ट के अनुसार चीन में 1 अरब 65 करोड़ से ज़्यादा लोगों को वैक्सीन लगाई जा चुकी है। टीकाकरण कितनी तेज़ी से हुआ है इसका अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि दुनिया भर में लगाए गए 4 अरब 13 करोड़ टीकों में से 1.65 अरब तो अकेले चीन में ही लगाए गए हैं। दुनिया के किसी भी देश में इसके आधे भी टीके नहीं लगाए जा सके हैं। भारत में तो 50 करोड़ टीके भी नहीं लगाए जा सके हैं।

वैसे, कोरोना का डेल्टा वैरिएंट पूरे टीके लिए हुए लोगों को भी संक्रमित कर रहा है, अब लगातार ऐसे मामले आ रहे हैं। हालाँकि, इसके बावजूद वैक्सीन लेने की सलाह दी जा रही है क्योंकि वैक्सीन लेने पर मरीज़ के गंभीर स्थिति में पहुँचने की आशंका नहीं रहती है।

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