वैश्विक जलवायु संकट के पीछे सिर्फ अमीरों की उपभोग की आदतें ही नहीं, बल्कि उनकी संपत्ति और निवेश भी प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं। बुधवार को जारी ‘क्लाइमेट इनइक्वैलिटी रिपोर्ट 2025’ (Climate Inequality Report 2025) के अनुसार, दुनिया के शीर्ष 1% अमीर लोग वैश्विक उपभोग-आधारित उत्सर्जन (consumption-based emissions) का 15% हिस्सा रखते हैं, लेकिन निजी पूंजी स्वामित्व से जुड़े 41% उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, अमीरों की संपत्ति और निवेश जलवायु परिवर्तन को गहराने में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं, क्योंकि उनके पास ऐसे निवेश हैं जो उच्च-कार्बन उद्योगों से जुड़े हुए हैं। रिपोर्ट ने चेतावनी दी है कि यदि अगले दशकों में जलवायु से संबंधित निवेशों पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो 2050 तक वैश्विक शीर्ष 1% के हाथों में संपत्ति की हिस्सेदारी बढ़कर 46% तक पहुंच सकती है, जो फिलहाल 38.5% है।
इस रिपोर्ट का शीर्षक ‘Climate Change: A Capital Challenge – Why Climate Policy Must Tackle Ownership’ है। जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि जलवायु नीति को केवल उत्सर्जन घटाने तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि संपत्ति के स्वामित्व और निवेश की दिशा पर भी ध्यान देना आवश्यक है।
रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि उच्च-कार्बन संपत्तियों (high-carbon assets) पर ‘कार्बन कंटेंट इन्वेस्टमेंट टैक्स’ लगाया जाए, ताकि पूंजी प्रवाह को उच्च-कार्बन उद्योगों से दूर किया जा सके, विशेषकर तब जब इन निवेशों पर पूर्ण प्रतिबंध लागू करना कठिन है।
विशेषज्ञों के अनुसार, यह रिपोर्ट स्पष्ट करती है कि जलवायु परिवर्तन केवल पर्यावरणीय नहीं बल्कि आर्थिक असमानता का भी प्रश्न बन चुका है, जिसमें अमीर वर्ग की संपत्ति और निवेश का प्रभाव गरीब और विकासशील देशों पर असमान रूप से पड़ रहा है।

रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष 

  • वर्तमान स्थिति: वैश्विक शीर्ष 1 प्रतिशत के पास वर्तमान में कुल संपत्ति का 38.5 प्रतिशत हिस्सा है। 
  • भविष्य का अनुमान: यदि आने वाले दशकों में जलवायु निवेशों को ये अमीर ही करेंगे और स्वामित्व रखेंगे, तो 2050 तक उनकी संपत्ति हिस्सेदारी बढ़कर 46 प्रतिशत हो सकती है। इससे जलवायु परिवर्तन धन असमानता को और गहरा देगा। 
  • उत्सर्जन का विभाजन: उपभोग-आधारित उत्सर्जन में शीर्ष 1 प्रतिशत का योगदान 15 प्रतिशत, लेकिन निजी पूंजी स्वामित्व से जुड़े उत्सर्जन में 41 प्रतिशत।

रिपोर्ट में दिए गए सुझाए 

रिपोर्ट ने उच्च-कार्बन निवेशों पर पूर्ण प्रतिबंध न होने की वजह से पूंजी प्रवाह को कम-कार्बन क्षेत्रों की ओर मोड़ने के लिए संपत्तियों के कार्बन कंटेंट पर वित्तीय निवेश टैक्स लगाने का प्रस्ताव दिया है। अन्य सिफारिशें हैं: 
  • नई जीवाश्म ईंधन निवेशों पर वैश्विक प्रतिबंध। 
  • कम-कार्बन इंफ्रास्ट्रक्चर में बड़े पैमाने पर सार्वजनिक निवेश। 
रिपोर्ट चेतावनी देती है कि जलवायु नीतियां केवल उत्सर्जन कटौती पर केंद्रित नहीं रहें, बल्कि स्वामित्व और पूंजी वितरण को भी संबोधित करें। विशेषज्ञों का मानना है कि ये कदम न केवल पर्यावरण संरक्षण करेंगे, बल्कि वैश्विक असमानता को कम करने में भी मददगार साबित होंगे।
यह रिपोर्ट वर्ल्ड इनइक्वैलिटी लैब (World Inequality Lab) के अर्थशास्त्री और सह-निदेशक लुकास चैंसल (Lucas Chancel) और पर्यावरण निदेशक कॉर्नेलिया मोहरन (Cornelia Mohren) ने तैयार की है।