अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा को हथकड़ी लगवा दी! लेकिन सिर्फ़ तस्वीर में। ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर एक ऐसा वीडियो शेयर किया है, जिसने सबको हैरान कर दिया। इस वीडियो में पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा को एफबीआई एजेंट्स हथकड़ी लगाते दिख रहे हैं! जी हाँ, आपने सही पढ़ा। लेकिन रुकिए, ये कोई असली वीडियो नहीं, बल्कि एक एआई-जनरेटेड डीपफेक वीडियो है। तो आखिर ये माजरा क्या है? क्यों ट्रंप ने ऐसा वीडियो शेयर किया? और इसका अमेरिकी राजनीति पर क्या असर होगा? आइये आपको बताते हैं।

टिकटॉक पर बनाया गया क़रीब डेढ़ मिनट का ओबामा के इस वीडियो में व्हाइट हाउस का वो मशहूर कमरा दिखाया गया है, जिसे ओवल ऑफिस के रूप में जाना जाता है। इसमें बराक ओबामा बैठे हैं और अचानक एफबीआई एजेंट्स आते हैं और उन्हें हथकड़ी लगा देते हैं। पास में डोनाल्ड ट्रंप बैठे हैं, मुस्कुराते हुए दिखते हैं। यह किसी फ़िल्म के सीन की तरह दिखता है! वीडियो की शुरुआत में जो बाइडेन, नैंसी पेलोसी, और एलिजाबेथ वॉरेन जैसे कुछ बड़े डेमोक्रेटिक नेता कहते हैं, "कोई भी कानून से ऊपर नहीं है।" लेकिन इसके बाद माहौल बदल जाता है। और फिर अचानक से एक क्लाउन वर्जन का पेपे द फ्रॉग मीम स्क्रीन पर आता है, जो इन नेताओं के बयानों का मजाक उड़ाता है। और फिर, वीडियो का सबसे चौंकाने वाला हिस्सा- बराक ओबामा को नारंगी जेल जंपसूट में, जेल की सलाखों के पीछे दिखाया जाता है! 
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अब सवाल ये है कि ट्रंप ने इस वीडियो को बिना किसी चेतावनी के शेयर किया है। यानी, कोई डिस्क्लेमर नहीं कि ये एक काल्पनिक या एआई-जनरेटेड वीडियो है। आप भी सोच रहे होंगे कि ट्रंप ने ऐसा किया क्यों?

तुलसी गबार्ड का दावा

दरअसल, 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव को लेकर एक नई राजनीतिक हलचल मच गई है। ट्रंप प्रशासन की ओर से यह दावा किया गया है कि पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा और उनकी टीम ने एक बड़ी साज़िश रची थी। ट्रंप की राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड का कहना है कि पूर्व डीएनआई जेम्स क्लैपर, सीआईए निदेशक जॉन ब्रेनन, एफबीआई प्रमुख जेम्स कोमी और सलाहकार सुसान राइस जैसे ओबामा के करीबी अधिकारी ने मिलकर यह झूठ फैलाया कि ट्रंप और रूस के बीच मिलीभगत थी। 

गबार्ड का दावा है कि ट्रंप सरकार के पास 100 से ज़्यादा खुफिया दस्तावेज हैं, जो ओबामा की टीम की साजिश के सबूत हैं।

गबार्ड का कहना है कि ये साजिश ओबामा ने खुद शुरू की थी, जब वे व्हाइट हाउस छोड़ने वाले थे, ताकि ट्रंप की जीत को बदनाम किया जा सके और उनकी सरकार की नींव हिलाई जा सके। गबार्ड इन दस्तावेजों को न्याय विभाग और एफ़बीआई को सौंपना चाहती हैं ताकि इसकी आपराधिक जाँच हो सके।

रूसी दखल के दावा का विवाद

लेकिन मामला यहीं ख़त्म नहीं होता। राष्ट्रीय खुफिया निदेशक कार्यालय (ODNI) की एक ताजा रिपोर्ट गबार्ड के दावों पर सवाल खड़े करती है। इस 114 पन्नों की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2016 के चुनाव से पहले अमेरिकी एजेंसियों को रूस द्वारा किसी साइबर हस्तक्षेप के सबूत नहीं मिले थे। यहाँ तक कि 8 दिसंबर 2016 के राष्ट्रपति के दैनिक ब्रीफ में भी यही बात कही गई थी। हालांकि, जनवरी 2017 में एक दूसरी रिपोर्ट सामने आई, जिसने रूसी हस्तक्षेप का दावा किया और यहीं से जांच की शुरुआत हुई। कुल मिलाकर, सच अभी भी पूरी तरह सामने नहीं आया है और यह मामला अमेरिका की राजनीति में एक और बड़े टकराव की तरफ इशारा कर रहा है।
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सोशल मीडिया पर जहां एक तरफ़ वो लोग हैं जो ट्रंप के इस कदम को सही ठहरा रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ वो हैं जो इसे ख़तरनाक और भ्रामक बता रहे हैं। खास बात ये है कि ओबामा और उनके पूर्व प्रशासन ने अभी तक इस वीडियो या इन आरोपों पर कोई जवाब नहीं दिया है। तो सवाल ये है कि क्या ओबामा की ये चुप्पी कुछ छुपा रही है, या ये बस तूफान के पहले की शांति है?

ट्रंप और ओबामा के रिश्ते

ट्रंप और ओबामा के बीच की तनातनी कोई नई बात नहीं है। दोनों ही, सालों से एक-दूसरे पर बयानबाज़ी करते रहे हैं। लेकिन जनवरी 2025 में कुछ ऐसा हुआ जिसने सबको चौंका दिया। पूर्व राष्ट्रपति जिमी कार्टर के अंतिम संस्कार में इन दोनों को दोस्ताना अंदाज़ में बातचीत करते हुए देखा गया। तस्वीरें वायरल हो गईं और ट्रंप ने ये तक कह दिया कि, ‘हम दोनों को देखकर लग रहा था कि हम एक-दूसरे को पसंद करते हैं। और शायद हम करते भी हैं।’ लेकिन अब जो वीडियो सामने आया है, वो जनवरी वाले वीडियो के बिल्कुल उलट है। वीडियो में ट्रंप और ओबामा के बीच की खटपट साफ नज़र आ रही है। लोगों का कहना है कि इस तरह के वीडियो पहले से ही बँटी हुई अमेरिकी जनता को और बाँट सकते हैं। अब तुलसी गबार्ड के दावों ने आग में घी डाल दिया है और ओबामा की चुप्पी ने और सवाल खड़े कर दिए हैं। ट्रंप का ये कदम क्या बस एक और राजनीतिक स्टंट और एक मज़ाक है या इसके पीछे कुछ और है?