पिछले साल पहली बार जब संक्रमण फैला था तो इतनी स्थिति ख़राब हो गई थी कि कोरोना मरीज़ों को बेड नहीं मिल पा रहे थे और नर्सों और डॉक्टरों की कमी हो गई थी।
पहली लहर ख़त्म होने के बाद जब स्थिति सामान्य होने लगी थी तब यूरोप के हालात।
वैसे, यूरोप की चिंताओं से अमेरिका, ब्राज़ील, भारत सहित दुनिया के दूसरे देशों की भी चिंताएँ बढ़ेंगी ही। हर रोज़ संक्रमण के मामले अमेरिका, ब्राज़ील में काफ़ी ज़्यादा आने लगे हैं। इन दोनों देशों में 40-45 हज़ार संक्रमण के मामले आ रहे हैं।