अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ ने पाकिस्तान की शासन व्यवस्था में भ्रष्टाचार को स्थायी समस्या करार दिया है। इसने एक रिपोर्ट जारी की है और इसमें कहा गया है कि मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में कार्रवाई कमजोर है, न्यायिक संस्थाएं 'भ्रष्ट' मानी जाती हैं और भ्रष्टाचार-रोधी संस्थाओं का राजनीतिक प्रभाव का इतिहास रहा है। यह रिपोर्ट पाकिस्तान सरकार के अनुरोध पर तैयार की गई और आर्थिक प्रदर्शन को कमजोर करने वाली शासन की कमजोरियों व भ्रष्टाचार का विश्लेषण करती है। रिपोर्ट के प्रकाशन को अगले महीने 1.2 अरब डॉलर जारी करने की शर्त बनाया गया है।

आईएमएफ की इस 'गवर्नेंस एंड करप्शन डायग्नोस्टिक' रिपोर्ट का प्रकाशन इस सप्ताह की शुरुआत में हुआ। रिपोर्ट में वर्ल्ड बैंक के विशेषज्ञों के सहयोग से जनवरी 2025 में शुरू हुए आठ महीने के अध्ययन के निष्कर्ष शामिल हैं। यह अध्ययन दो फील्ड मिशनों के दौरान किया गया और 25 सितंबर 2024 को मंजूर 37 महीने के 7 अरब डॉलर के एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी कार्यक्रम के संदर्भ में तैयार हुआ।
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रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब पाकिस्तान में विवादास्पद 27वें संवैधानिक संशोधन पर बहस चल रही है, जो पाकिस्तानी सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर को अधिक शक्तियां देता है और सुप्रीम कोर्ट की शक्तियों को सीमित करते हुए उसके ऊपर एक नया कोर्ट स्थापित करता है। पाकिस्तान इस वर्ष 4.2 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि का लक्ष्य रख रहा है, लेकिन आईएमएफ का अनुमान है कि यदि अगले तीन से छह महीनों में शासन सुधारों का पैकेज लागू किया जाए, तो पांच वर्षों में वृद्धि 5 से 6.5 प्रतिशत तक बढ़ सकती है।

भ्रष्टाचार का आर्थिक वृद्धि पर नकारात्मक असर

रिपोर्ट में साफ़ तौर पर कहा गया है कि भ्रष्टाचार पाकिस्तान की शासन व्यवस्था का एक स्थायी हिस्सा है और इसका आर्थिक वृद्धि, निवेश और जनता के विश्वास पर महत्वपूर्ण नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। पाकिस्तान के शासन वाले इंडिकेटर लगातार खराब रैंकिंग दिखाते हैं।
द इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार इस रिपोर्ट में देश की अर्थव्यवस्था में सरकारी डोमिनेंट रोल पर चिंता जताई गई है, जिसमें उद्यमों का व्यापक अधिकार और अहम क्षेत्रों पर नियंत्रण शामिल है। रिपोर्ट सेना और सरकार के बीच धुंधली सीमाओं का संकेत देते हुए कहती है कि इससे विशेषाधिकार प्राप्त लोगों को अनुचित लाभ मिलने का माहौल बनता है। रिपोर्ट की अहम बातें हैं-
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भ्रष्टाचार पाकिस्तान में हर जगह है

रिपोर्ट कहती है कि पाकिस्तान की सरकार और सिस्टम में भ्रष्टाचार हमेशा से चलता आया है। इससे देश की अर्थव्यवस्था को बहुत नुकसान हो रहा है, निवेश कम आ रहा है और आम लोगों का सरकार पर भरोसा खत्म हो रहा है।

अमीर और ताकतवर लोगों को ही फायदा

सरकार का बहुत सारा कारोबार अपने हाथ में है। सेना और सरकार के बीच की लाइन साफ नहीं है। जिसके पास ताकत है, वही फायदा उठा लेता है। बाकी लोगों को कुछ नहीं मिलता।

टैक्स का सिस्टम बहुत उलझाऊ

टैक्स देने में बहुत धांधली होती है। टैक्स विभाग वाले मनमर्जी करते हैं, कोई पूछने वाला नहीं। इसी वजह से सरकार को बहुत कम टैक्स मिलता है।

न्याय का सिस्टम

लोग कोर्ट को भी भ्रष्ट मानते हैं। जो विभाग भ्रष्टाचार पकड़ने के लिए बने हैं, उन पर भी राजनीतिक दबाव रहता है।
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काला धन

पाकिस्तान को आतंकवाद के पैसों की लिस्ट (ग्रे लिस्ट) से बाहर निकाला गया, लेकिन अब भी काले धन के बड़े-बड़े मामले पकड़े नहीं जाते।

अगर सुधार कर लिए तो फायदा बहुत

आईएमएफ ने कहा है कि अगर पाकिस्तान अगले 3-6 महीने में सख्त सुधार कर ले (भ्रष्टाचार रोके, सिस्टम साफ करे) तो 5 साल में उसकी अर्थव्यवस्था 5-6.5% तक तेजी से बढ़ सकती है। अभी सिर्फ 4.2% का लक्ष्य है।

बहरहाल, जानकारों का कहना है कि रिपोर्ट का प्रभाव अगले ईएफएफ ट्रान्च पर पड़ेगा। यदि सुधार न हुए, तो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ेगा। आईएमएफ ने सिफारिश की है कि भ्रष्टाचार-रोधी संस्थाओं को स्वतंत्र बनाया जाए, कर प्रणाली को सरल किया जाए और सार्वजनिक संसाधनों के उपयोग में पारदर्शिता लाई जाए। अब अगले महीनों में आईएमएफ कार्यकारी बोर्ड की बैठक पर सभी की नजरें टिकी हैं।