ईरान इसराइल तनाव के बीच ईरान ने दावा किया है कि उसने इसराइल पर अपनी पहली स्वदेशी हाइपरसोनिक मिसाइल फतह-1 से ताबड़तोड़ हमले किए। इसके बाद इसराइल के तेल अवीव और मध्य इसराइल में धमाकों और आग की ख़बरें सामने आईं। और तो और, ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामेनेई ने साफ-साफ कह दिया कि, "युद्ध शुरू हो चुका है!" बस, ये बात सुनकर पूरे इलाक़े में तनाव और भी ज्यादा बढ़ गया है। तो क्या यह फतह-1 इसराइल के लिए काफ़ी घातक साबित हो रही है? ये इतनी ख़तरनाक़ क्यों मानी जा रही है?

फतह शब्द का फारसी में मतलब होता है "विजेता", और ये ईरान की पहली हाइपरसोनिक मिसाइल है। यह मध्यम दूरी तक वार कर सकती है। आसान भाषा में कहें तो ये एक सुपरफास्ट बैलिस्टिक मिसाइल है, जो दुश्मन के रडार को चकमा दे सकती है। फतह-1 मिसाइल को दो साल पहले जून में ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामेनेई ने नाम दिया और दुनिया के सामने पेश किया। ये मिसाइल खास तौर पर इसराइल के आयरन डोम जैसे मजबूत डिफेंस सिस्टम को चकमा देने के लिए बनाई गई है। ये मिसाइल 12 मीटर लंबी है लेकिन 1,400 किलोमीटर दूर तक बैठे दुश्मन को मार गिरा सकती है। इतना ही नहीं, यह 200 किलो विस्फोटक भी ढो सकती है।
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हाइपरसोनिक मिसाइल एक बेहद तेज़ गति से चलने वाली मिसाइल होती है, जो आमतौर पर आवाज की रफ्तार से 5 गुना या उससे ज्यादा तेज रफ़्तार से जाती है। यानी, ये इतनी तेज होती है कि रडार के लिए इसे पकड़ना और रोकना बहुत मुश्किल हो जाता है। फतह-1 भी हाइपरसोनिक मिसाइल है और यह आवाज़ की रफ्तार से 15 गुना तेज़ है। हाइपरसोनिक मिसाइल की खास बात ये है कि ये न सिर्फ तेज होती है, बल्कि उड़ते वक्त अपनी दिशा भी बदल सकती है, जिससे दुश्मन के डिफेंस सिस्टम, जैसे इसराइल का आयरन डोम, इसे आसानी से निशाना नहीं बना पाते। ये मिसाइलें दूर के टारगेट पर भी सटीक निशाना लगाकर मार सकती हैं और भारी नुक़सान पहुँचा सकती हैं।
 
फतह-1 मिसाइल एक खास तरह का हथियार है, जिसमें हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल यानी एचजीवी लगा है। ये एचजीवी इसे 17,900 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार देता है, यानी आवाज की रफ्तार से 15 गुना तेज! ये मिसाइल ठोस ईंधन पर चलती है और इसमें एक सिंगल-स्टेज इंजन है, जो इसे तेज और फुर्तीला बनाता है।

ईरान कहता है कि ये मिसाइल पूरी तरह उनके देश में बनी है, लेकिन कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इसमें रूस, चीन या उत्तर कोरिया की तकनीकि की थोड़ी-बहुत मदद भी ली गई है।

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक़ यह पहली बार नहीं है जब ईरान ने फतह-1 का इस्तेमाल किया हो। इसने पहली बार पिछले साल अक्टूबर  में "ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस II" के दौरान इसराइल पर फतह-1 मिसाइलें दागी थीं। ईरान ने हमास नेता इस्माइल हानियेह की तेहरान में हत्या के जवाब में फतह-1 को लॉन्च किया था। 

कुछ पश्चिमी विशेषज्ञ कहते हैं कि ईरान अपनी इस मिसाइल की ताकत को कुछ ज्यादा ही बढ़ा-चढ़ाकर बताता है। लेकिन फिर भी, जैसे फतह-1 जैसी हाइपरसोनिक मिसाइलें अपनी बेहद तेज़ गति और सटीक निशाने की वजह से आम मिसाइलों से कहीं ज्यादा खतरनाक होती हैं।
वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इसराइल के पास ऐसी मिसाइलों की कमी है जो दुश्मन की मिसाइलों को हवा में ही मार गिराए। ऐसे में फतह-1 जैसी लंबी दूरी की मिसाइलों को रोकना इसराइल लिए टेढ़ी खीर हो सकता है। 

ईरान ने दुनिया के कड़े प्रतिबंधों के बावजूद अपनी मिसाइल तकनीकि को गजब का मजबूत कर लिया है। जानकारों का कहना है कि ईरान के पास अभी करीब 1,200 मिसाइलें हैं, जबकि पहले ये संख्या 2,000 थी। मतलब, भले ही कुछ मिसाइलें कम हुई हों, लेकिन ईरान की ताकत अभी भी जबरदस्त मानी जा रही है।
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फतह-1 के अलावा ईरान अब फतह-2 जैसी और हाइपरसोनिक मिसाइलें बनाने में जुटा है। 2022 में ईरान की IRGC के तत्कालीन कमांडर जनरल अमीर अली हाजीज़ादेह ने दावा किया था कि उनके पास हाइपरसोनिक मिसाइल है, जिसे कोई नहीं रोक सकता। उस वक्त उन्होंने कोई पक्का सबूत तो नहीं दिया था, लेकिन अब फतह-1 को देखकर लगता है कि ईरान सचमुच कुछ बड़ा कर रहा है!

ईरान और इसराइल के बीच का ये झगड़ा अब बहुत गंभीर हो गया है। ऐसा लग रहा है कि पश्चिम एशिया में बड़ा युद्ध शुरू हो सकता है। दुनिया के बड़े देश इस तनाव को कम करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन ईरान और इसराइल की बढ़ती दुश्मनी पूरी दुनिया की शांति के लिए खतरा बन रही है। इसी बीच फतह-1 मिसाइल का इस्तेमाल के दावे से ईरान दुनिया को यह दिखाना चाहता है कि ईरान अपनी फौजी ताकत को दुनिया के सामने लाने और इसराइल से दो-दो हाथ करने के लिए तैयार है। ईरान इसराइल दोनों ही अपनी ताकत दिखाने की होड़ में हैं और जब तक यह होड़ चलेगी तब तक तो तनाव खत्म होने के आसार नज़र नहीं आ रहे हैं।