ईरान की संसद ने एक ऐतिहासिक और विवादास्पद निर्णय में होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने के प्रस्ताव को सर्वसम्मति से मंजूरी दे दी है। हालाँकि, इस निर्णय पर अंतिम मुहर ईरान की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद और देश के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाह अली ख़ामेनई को लगानी है। रायटर्स ने प्रेस टीवी के हवाले से यह ख़बर दी है। यह जलडमरूमध्य वैश्विक तेल व्यापार के लिए एक अहम गलियारा है। इसके माध्यम से प्रतिदिन लगभग 20 मिलियन बैरल से अधिक कच्चा तेल और अन्य ऊर्जा संसाधन वैश्विक बाज़ारों तक पहुँचते हैं। यदि होर्मुज को बंद करने का अंतिम फ़ैसला होता है तो पूरी दुनिया पर इसका गंभीर असर होगा। यही वजह है कि ईरान के इस क़दम ने वैश्विक स्तर पर हलचल मचा दी है, क्योंकि इसकी वजह से तेल की क़ीमतों में भारी उछाल और वैश्विक अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ सकता है।

होर्मुज जलडमरूमध्य फारस की खाड़ी को हिंद महासागर से जोड़ता है। यह दुनिया के सबसे अहम समुद्री मार्गों में से एक है। यह संकरा जलमार्ग सऊदी अरब, कुवैत, कतर, संयुक्त अरब अमीरात और ईरान जैसे प्रमुख तेल उत्पादक देशों से तेल और प्राकृतिक गैस के निर्यात के लिए एकमात्र रास्ता है। अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के अनुसार, वैश्विक तेल आपूर्ति का लगभग 20-25% हिस्सा इसी मार्ग से होकर गुजरता है। इसके अलावा, तरलीकृत प्राकृतिक गैस यानी एलएनजी का एक बड़ा हिस्सा भी इस जलडमरूमध्य के माध्यम से निर्यात किया जाता है। यदि यह मार्ग बंद होता है तो वैश्विक ऊर्जा सप्लाई चेन में गंभीर रुकावट आ सकती है।
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ईरान के निर्णय के पीछे की वजह

ईरान का यह फ़ैसला तब आया है जब अमेरिका ने इसके तीन परमाणु ठिकानों पर हमले किए हैं। ईरान और इसराइल के बीच चल रहे तनाव और अमेरिका व पश्चिमी देशों के साथ बढ़ती कटुता, इस निर्णय के पीछे प्रमुख कारण माने जा रहे हैं। हाल में इसराइल द्वारा ईरान पर किए गए कथित हमलों और अमेरिका द्वारा लगाए गए कड़े प्रतिबंधों ने ईरान को यह कड़े क़दम उठाने के लिए प्रेरित किया है। ईरानी सांसद अली याज्दिखाह ने समाचार एजेंसी मेहर से हाल ही में कहा था, 'यदि अमेरिका और उसके सहयोगी इसराइल के साथ मिलकर ईरान पर दबाव बढ़ाते हैं, तो हम होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करके जवाब देंगे। यह हमारा अधिकार है और हम इसका इस्तेमाल करेंगे।'

ईरान की संसद का यह फ़ैसला क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर तनाव को और बढ़ा सकता है। जानकारों का मानना है कि यह क़दम न केवल ईरान के विरोधियों, बल्कि खाड़ी देशों और वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए भी नुक़सानदायक हो सकता है।

वैश्विक तेल बाज़ार पर प्रभाव

होर्मुज जलडमरूमध्य के बंद होने से वैश्विक तेल बाज़ार में तत्काल और गंभीर असर पड़ने की आशंका है। यह मार्ग बंद होने पर तेल की क़ीमतें आसमान छू सकती हैं, क्योंकि सऊदी अरब, इराक, कुवैत और अन्य खाड़ी देशों से तेल की आपूर्ति रुक जाएगी।

होर्मुज मार्ग के बंद होने से अपनी तेल ज़रूरतों का बड़ा हिस्सा खाड़ी देशों से आयात करने वाले भारत जैसे देश इससे ज़्यादा प्रभावित होंगे। भारत ने हाल के महीनों में रूस से तेल आयात बढ़ाया है, लेकिन होर्मुज के बंद होने से वैकल्पिक मार्गों पर भी दबाव बढ़ेगा।

भारत अपनी तेल ज़रूरतों का लगभग 80% आयात करता है। इसका बड़ा हिस्सा मध्य पूर्व से ही आता है। यह इस संकट से सबसे अधिक प्रभावित होने वाले देशों में से एक हो सकता है। जानकारों का कहना है कि भारत को इस स्थिति पर नज़र रखने और वैकल्पिक आपूर्ति मार्गों की तलाश करना चाहिए। 
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अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी ने चेतावनी दी है कि होर्मुज के बंद होने से तेल की क़ीमतों में 50% से अधिक की वृद्धि हो सकती है, जिसका असर उपभोक्ताओं पर पड़ेगा। इससे न केवल ईंधन की क़ीमतें बढ़ेंगी, बल्कि परिवहन, विनिर्माण और अन्य उद्योगों पर भी असर पड़ेगा। इसके अलावा, वैश्विक सप्लाई चेन में बाधा आने से खाद्य और अन्य ज़रूरी सामानों की क़ीमतें भी बढ़ सकती हैं।

खाड़ी देशों पर असर

होर्मुज जलडमरूमध्य के बंद होने से खाड़ी देशों की अर्थव्यवस्थाएँ भी प्रभावित होंगी, क्योंकि ये देश अपनी आय का बड़ा हिस्सा तेल और गैस निर्यात से पाते हैं। सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देशों ने पहले ही इस संभावित संकट को लेकर चिंता जताई है। जानकारों का कहना है कि खाड़ी देश लाल सागर जैसे वैकल्पिक मार्गों से तेल निर्यात की संभावनाएं तलाश सकते हैं, लेकिन यह लागत और समय दोनों के मामले में महंगा होगा।
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ईरान का अगला क़दम

ईरान की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद और सर्वोच्च नेता आयतुल्लाह ख़ामेनई के अंतिम फ़ैसले का इंतज़ार अब पूरी दुनिया को है। यदि यह निर्णय लागू होता है तो यह मध्य पूर्व में तनाव को और बढ़ा सकता है और वैश्विक अर्थव्यवस्था को अस्थिर कर सकता है। जानकारों का मानना है कि ईरान इस क़दम को राजनयिक दबाव के रूप में इस्तेमाल कर सकता है लेकिन इसे लागू करना आसान नहीं होगा, क्योंकि इससे ईरान की अपनी अर्थव्यवस्था को भी नुक़सान पहुँचेगा।
ईरान का होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने का प्रस्ताव वैश्विक ऊर्जा बाजार और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के लिए एक गंभीर चुनौती है। यह निर्णय न केवल तेल उत्पादक देशों, बल्कि भारत जैसे आयातक देशों और पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकता है। अब सभी की निगाहें ईरान की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद और सर्वोच्च नेता के फ़ैसले पर टिकी हैं।