ईरान से सीजफायर की घोषणा होते ही इसराइल का विपक्ष प्रधानमंत्री नेतन्याहू पर हमलावर हो गया है। उसने पहले ही दिन नेतन्याहू पर तमाम सवालों की बौछार कर दी। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार देर रात ईरान और इसराइल के बीच युद्धविराम की घोषणा की थी। इसराइल के प्रमुख विपक्षी नेताओं ने ग़ज़ा में जारी लड़ाई को भी फौरन खत्म करने की मांग की है। मुख्य विपक्षी नेता यायर लैपिड (येश अटिड पार्टी) और डेमोक्रेटिक पार्टी के अध्यक्ष यायर गोलान ने सरकार पर दबाव बनाते हुए युद्ध खत्म करने और बंधकों की सुरक्षित वापसी की मांग की है।

नेतन्याहू पर ग़ज़ा युद्ध को लंबा खींचने का आरोप

इसराइल का विपक्ष लंबे अर्से से नेतन्याहू को घेरने का मौका देख रहा था। ग़ज़ा में जारी युद्ध से इसराइल के लोग काफी परेशान हैं। कई बंधक हमास के कब्जे में अभी भी हैं। कुछ की मौतें हो चुकी हैं। उनके परिवार के लोग आए दिन इसराइल में प्रदर्शन कर रहे हैं। नेतन्याहू पर यह आरोप लग रहा है कि अपनी कुर्सी बचाने और भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना करने से बचने के लिए उन्होंने ग़ज़ा की लड़ाई लंबी छेड़ दी है। इसके बाद नेतन्याहू ने ईरान पर हमला कर दिया। विपक्ष फिर चुप हो गया। लेकिन जैसे ही सीजफायर की घोषणा हुई, विपक्ष ने मंगलवार को मीडिया के सामने नेतन्याहू से सीधे सवाल पूछ डाले।

ग़ज़ा में युद्ध कब खत्म होगाः लैपिड

यायर लैपिड ने कहा, “अब ग़ज़ा की बारी है। समय आ गया है कि हम वहाँ भी इस युद्ध को खत्म करें। बंधकों को लौटाएं और युद्ध खत्म करें। इसराइल को अब पुनर्निर्माण की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए। उन्होंने नेतन्याहू से पूछा कि ग़ज़ा में युद्ध कब खत्म होगा।”
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लैपिड ने सीजफायर का समर्थन किया, लेकिन इसे "अस्थायी राहत" करार देते हुए नेतन्याहू सरकार की रणनीति पर सवाल उठाए। लैपिड ने कहा कि नेतन्याहू ने युद्ध के दौरान ईरान के परमाणु कार्यक्रम को पूरी तरह नष्ट करने का अवसर गँवा दिया, और अब इसराइल को दीर्घकालिक सुरक्षा चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।

ईरान के साथ सीजफायर समझौते की जांच होः गोलान

उधर, डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता यायर गोलान ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर सवाल पूछते हुए लिखा, “ईरान के खिलाफ अभियान एक उपलब्धि के साथ खत्म हुआ। यह तभी संभव हुआ जब इसराइल एक लोकतांत्रिक, सशक्त और एकजुट राष्ट्र था। अब ज़रूरी है कि ईरान के साथ सीजफायर समझौते की जांच की जाए। क्या यह सीजफायर ईरान को परमाणु हथियार हासिल करने से रोकेगा? अगर ईरान इसका उल्लंघन करता है तो कौन से प्रतिबंध और दंडात्मक एक्शन तय किए गए हैं?”
उन्होंने आगे कहा, “और अब समय आ गया है कि मिशन को पूरा किया जाए। सभी बंधकों की वापसी तय की जाए, ग़ज़ा में युद्ध खत्म किया जाए और उस प्रयास को रोका जाए जो इसराइल को कमज़ोर, विभाजित और असुरक्षित बना रहा है।”

नेतन्याहू ने नागरिकों की सुरक्षा खतरे में डालीः लेबर पार्टी

लेबर पार्टी और मेरेट्ज़ जैसे वामपंथी दल सीजफायर को क्षेत्रीय स्थिरता की दिशा में सकारात्मक कदम मानते हैं, लेकिन उन्होंने नेतन्याहू पर युद्ध को अनावश्यक रूप से बढ़ाने और नागरिकों की सुरक्षा को खतरे में डालने का आरोप लगाया। विपक्षी दलों ने यह भी चेतावनी दी कि सीजफायर का उल्लंघन होने पर नेतन्याहू की विश्वसनीयता और सवालों के घेरे में आएगी।
ग़ज़ा में हमास द्वारा पकड़े गए इसराइली नागरिकों और सैनिकों की वापसी विपक्ष की मुख्य मांग बनी हुई है। यायर लैपिड और यायर गोलान दोनों ने यह बात दोहराई है। इसी तरह विपक्ष की मांग सीजफायर की शर्तें जानने को लेकर भी है। क्योंकि ईरान के साथ इसराइल का सीज फायर ट्रंप ने कराया लेकिन इसराइल का विपक्ष नहीं जानता कि आखिर इसराइल को हासिल क्या हुआ। यह ठीक है कि इसराइली सेना ने ईरान को काफी नुकसान पहुंचाया लेकिन उसकी परमाणु ताकत खत्म हो गई है, इस पर संदेह जताया जा रहा है। 

नेतन्याहू की कुर्सी कितनी सुरक्षित

बेंजामिन नेतन्याहू की कुर्सी की स्थिरता कई वजहों पर निर्भर करती है। सीजफायर की घोषणा के बाद उनकी सरकार ने दावा किया कि ईरान के परमाणु ठिकानों और सैन्य ढाँचे को गंभीर नुकसान पहुँचाया गया। इसे नेतन्याहू ने अपनी रणनीतिक जीत बताया। हालांकि, विपक्ष और कुछ विश्लेषकों का मानना है कि युद्ध के बाद आर्थिक और सामाजिक प्रभाव, जैसे रक्षा खर्च में वृद्धि (जीडीपी का 7%) और नागरिक क्षेत्रों में तबाही नेतन्याहू की लोकप्रियता को कमजोर कर सकते हैं। युद्ध के दौरान नेतन्याहू ने विपक्षी नेताओं, जैसे लैपिड और राष्ट्रपति इसहाक हर्ज़ोग, को सुरक्षा अपडेट देकर एकता का संदेश देने की कोशिश की, लेकिन विपक्षी दलों ने उनकी सरकार को "अक्षम" करार दिया। अगर सीजफायर टिकाऊ रहा और क्षेत्रीय तनाव कम हुआ, तो नेतन्याहू की स्थिति कुछ समय के लिए स्थिर रह सकती है। लेकिन, अगर ईरान या उसके समर्थित समूह (जैसे हिज़बुल्लाह) फिर से हमले शुरू करते हैं, तो नेतन्याहू पर इस्तीफे का दबाव बढ़ सकता है।

नेतन्याहू के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आ सकता है

नेतन्याहू की कुर्सी जनता के भरोसे पर टिकी है। वर्तमान में, उनकी लिकुड पार्टी और धार्मिक-राष्ट्रवादी सहयोगी संसद में बहुमत बनाए हुए हैं, लेकिन युद्ध के बाद आर्थिक संकट और जनता में असंतोष बढ़ने की आशंका है। विपक्षी दल पहले से ही नेतन्याहू के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की रणनीति बना रहे हैं, खासकर अगर सीजफायर विफल होता है या ईरान के खिलाफ कोई नया विवादास्पद कदम उठाया जाता है। विश्लेषकों का अनुमान है कि नेतन्याहू की कुर्सी अगले कुछ महीनों तक सुरक्षित रह सकती है, बशर्ते कोई बड़ा कूटनीतिक या सैन्य चूक न हो। हालांकि, दीर्घकालिक रूप से, उनकी सरकार को आंतरिक और बाहरी दोनों मोर्चों पर कठिन चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा, जो उनकी सत्ता को अस्थिर कर सकती हैं।
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बहरहाल, ट्रंप की घोषणा के अनुसार, ईरान और इसराइल के बीच मध्यस्थता के बाद एक सीमित युद्धविराम पर सहमति बनी है। हालांकि इसमें ग़ज़ा का जिक्र नहीं है, लेकिन राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि ईरान से खतरे के समाप्त होते ही अब नेतन्याहू सरकार पर ग़ज़ा युद्ध को भी रोकने का दबाव बढ़ेगा।