इसराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने गुरुवार को एक विवादास्पद बयान में कहा कि "कोई फिलिस्तीनी राज्य नहीं होगा।" यह बयान उन्होंने कब्जे वाले वेस्ट बैंक में माले अदुमिम बस्ती में एक प्रमुख सेटलमेंट परियोजना के हस्ताक्षर समारोह के दौरान दिया। नेतन्याहू ने कहा, "हम अपना वादा पूरा करेंगे कि कोई फिलिस्तीनी राज्य नहीं होगा, यह जगह हमारी है।" उन्होंने इस क्षेत्र को इजरायल की विरासत, भूमि और सुरक्षा का हिस्सा बताते हुए कहा कि माले अदुमिम की आबादी को दोगुना किया जाएगा। यह समारोह उनके कार्यालय द्वारा लाइव स्ट्रीम किया गया।

अंतरराष्ट्रीय निंदा और चिंता 

नेतन्याहू के इस बयान की संयुक्त राष्ट्र ने कड़ी निंदा की है। संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि यह सेटलमेंट परियोजना वेस्ट बैंक को दो हिस्सों में बांट सकती है और एक फिलिस्तीनी राज्य की संभावना के लिए "अस्तित्वगत खतरा" पैदा करती है। अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत, 1967 से कब्जे वाले वेस्ट बैंक में इसराइल की सभी बस्तियां अवैध मानी जाती हैं, भले ही उनके पास इसराइल की योजना अनुमति हो या नहीं।

माले अदुमिम और E1 परियोजना 

माले अदुमिम, यरुशलम के पूर्व में स्थित एक इसराइली बस्ती है, और E1 क्षेत्र में 3,400 घरों के निर्माण की योजना है। यह क्षेत्र यरुशलम और माले अदुमिम के बीच स्थित है, जो फिलिस्तीनी क्षेत्र के उत्तरी और दक्षिणी हिस्सों को जोड़ने वाले मार्गों के पास है। इस परियोजना को लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय विरोध का सामना करना पड़ा है, लेकिन इसराइल ने अब इसे आगे बढ़ाने का फैसला किया है। इसराइली एनजीओ पीस नाउ के अनुसार, E1 में बुनियादी ढांचे का काम कुछ महीनों में शुरू हो सकता है, और आवास निर्माण लगभग एक साल में।
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अंतरराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया 

ब्रिटेन, फ्रांस और कनाडा जैसे कई पश्चिमी देशों ने संयुक्त राष्ट्र में फिलिस्तीनी राज्य को मान्यता देने की योजना की घोषणा की है। ब्रिटेन ने कहा है कि अगर इसराइल ग़ज़ा में युद्धविराम के लिए सहमत नहीं होता है, तो वह यह कदम उठाएगा। ग़ज़ा में युद्ध, जो अक्टूबर 2023 में हमास के हमले से शुरू हुआ, अभी भी जारी है और इसके परिणामस्वरूप ग़ज़ा में 60 हजार लोग मारे गए हैं।

इसराइल की नीति और आलोचना 

नेतन्याहू के बयान ने क्षेत्रीय तनाव को और बढ़ा दिया है। हाल ही में, इसराइली सेना ने कतर की राजधानी दोहा में हमास के एक परिसर पर हमला किया, जिसमें पांच हमास सदस्य और एक कतरी सैनिक मारे गए। इस हमले को कतर ने अंतरराष्ट्रीय कानून का "घोर उल्लंघन" बताया। इसराइल के कुछ मंत्रियों ने वेस्ट बैंक के कब्जे वाले क्षेत्रों के पूर्ण विलय की वकालत की है, जिससे अंतरराष्ट्रीय समुदाय में चिंता बढ़ गई है।

इसराइल का बढ़ता जुल्म 

एमनेस्टी इंटरनेशनल ने दिसंबर 2024 में अपनी रिपोर्ट में दावा किया कि इसराइल ने ग़ज़ा में फिलिस्तीनियों का नरसंहार किया है। इस रिपोर्ट में कहा गया कि इसराइल ने जानबूझकर ग़ज़ा में ऐसी परिस्थितियाँ बनाईं, जो फिलिस्तीनियों के खात्मे के लिए थीं, जैसे भुखमरी, पानी की कमी और बुनियादी ढांचे का विनाश। मई 2025 में, संयुक्त राष्ट्र के 20 स्वतंत्र विशेषज्ञों और चार कार्य समूहों ने इसराइल पर ग़ज़ा में नरसंहार का आरोप लगाया, जिसमें नागरिकों की सामूहिक हत्या, जबरन विस्थापन और भुखमरी को हथियार के रूप में उपयोग करने की नीति शामिल थी।
जुलाई 2025 में, इसराइली मानवाधिकार संगठन बी’ट्सेलेम ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि इसराइल की ग़ज़ा में नीतियाँ नरसंहार की परिभाषा को पूरा करती हैं, जिसमें नागरिक समाज को नष्ट करने का इरादा स्पष्ट है।
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नेतन्याहू का यह बयान और सेटलमेंट परियोजना क्षेत्र में शांति प्रक्रिया के लिए एक बड़ा झटका मानी जा रही है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय, विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र और कई पश्चिमी देश, इस कदम की निंदा कर रहे हैं और इसे फिलिस्तीनी राज्य की संभावनाओं के लिए खतरा मानते हैं। इस बीच, ग़ज़ा और वेस्ट बैंक में तनाव और हिंसा का दौर जारी है, जिससे क्षेत्र में स्थिरता की उम्मीदें और कमजोर हो रही हैं।