नरेंद्र मोदी, व्लादिमीर पुतिन और शी जिनपिंग।
डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ़ के बाद भारत और अमेरिका के बीच आए तनाव को लेकर अब अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने कहा है कि 'दो महान देश इसे हल कर लेंगे।' उनका यह बयान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ मुलाक़ात के बाद आई है। बेसेंट अकेले शख्स नहीं हैं जिन्होंने इस तरह का आशावादी रूख दिखाया है। विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भी भारत और अमेरिका को पक्का दोस्त बताया। भारत के ख़िलाफ़ लगातार ज़हर उगलने वाले व्हाइट हाउस के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने भी दबी जुबान में कहा कि भारत को अमेरिका के साथ रहने की ज़रूरत है, न कि रूस के साथ।
यह सब घटनाक्रम अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 50% टैरिफ़ लगाने के बाद आया है। इसमें 25% टैरिफ़ रूस से तेल और हथियार खरीदने की सजा के रूप में शामिल है।
अमेरिका का दावा है कि भारत का रूस के साथ तेल व्यापार यूक्रेन में रूस के युद्ध प्रयासों को अप्रत्यक्ष रूप से फंड मुहैया कर रहा है। 2022 में रूस-यूक्रेन संघर्ष शुरू होने के बाद से भारत के कुल तेल आयात में रूसी कच्चे तेल की हिस्सेदारी 35-40% तक बढ़ गई है। भारत ने इन आरोपों को लगातार खारिज किया है, यह तर्क देते हुए कि उसकी ऊर्जा खरीद राष्ट्रीय हितों और बाजार के हिसाब से है।
स्कॉट बेसेंट ने क्या कहा?
फॉक्स न्यूज को दिए साक्षात्कार में बेसेंट ने भारत-अमेरिका संबंधों की मजबूती पर विश्वास जताया और दोनों देशों के बीच साझा लोकतांत्रिक मूल्यों पर जोर दिया। उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि आख़िरकार भारत दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला लोकतंत्र है। उनके मूल्य रूस की तुलना में हमारे और चीन के बहुत करीब हैं।' हालाँकि, उन्होंने यह कहते हुए भारत के रूसी तेल खरीद की आलोचना की कि 'भारतीयों ने रूसी तेल खरीदने और फिर इसे बेचने के मामले में अच्छा व्यवहार नहीं किया है, जिससे यूक्रेन में रूस के युद्ध प्रयासों को वित्तपोषण मिल रहा है।'
बेसेंट ने तियानजिन में आयोजित एससीओ शिखर सम्मेलन को भी कम करके आंका। उन्होंने इस शिखर सम्मेलन को दिखावे वाला बताया। उन्होंने कहा कि नेताओं के बीच का सौहार्द प्रतीकात्मक से अधिक कुछ नहीं था। उनकी टिप्पणियाँ टैरिफ विवाद और भारत के रूस के साथ निरंतर जुड़ाव के बीच भारत-अमेरिका संबंधों की स्थिति पर सवालों के जवाब में आईं।
विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा है, 'हमारे दोनों देशों के लोगों के बीच स्थायी मैत्री हमारे सहयोग का आधार है और यह हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है। हम अपने आर्थिक संबंधों की अपार क्षमता को समझते हैं।'
भारत में अमेरिकी दूतावास ने कहा है, 'संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत के बीच साझेदारी लगातार नई ऊँचाइयों को छू रही है। यह 21वीं सदी का एक निर्णायक रिश्ता है। इस महीने, हम उन लोगों, प्रगति और संभावनाओं पर प्रकाश डाल रहे हैं जो हमें आगे बढ़ा रहे हैं। नवाचार और उद्यमिता से लेकर रक्षा और द्विपक्षीय संबंधों तक, यह हमारे दोनों देशों के लोगों के बीच की स्थायी मित्रता ही है जो इस यात्रा को ऊर्जा देती है।'
पीटर नवारो ने क्या कहा?
व्हाइट हाउस के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने तीखा रुख अपनाते हुए भारत से आग्रह किया कि वह रूस के बजाय अमेरिका, यूरोप और यूक्रेन के साथ गठजोड़ करे। पत्रकारों से बात करते हुए नवारो ने एससीओ शिखर सम्मेलन में मोदी की पुतिन और शी के साथ मुलाकात की आलोचना की और इसे शर्मनाक बताया। उन्होंने कहा, 'यह शर्मनाक था कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के नेता के रूप में मोदी, दुनिया के दो सबसे बड़े तानाशाही शासकों - पुतिन और शी जिनपिंग के साथ एकजुट दिखे।'
ट्रंप ने की आलोचना
मोदी-पुतिन की मुलाक़ात के बाद राष्ट्रपति ट्रंप ने रूप से अमेरिकी सामानों पर उच्च टैरिफ़ के प्रति अपनी नाराजगी को खुलकर व्यक्त किया है। ट्रुथ सोशल पर एक पोस्ट में
ट्रंप ने भारत के साथ व्यापार संबंध को एकतरफा आपदा करार दिया। उन्होंने यह आरोप लगाया कि भारत के टैरिफ किसी भी देश में सबसे अधिक हैं। उन्होंने कहा कि इसने अमेरिकी व्यवसायों को भारतीय बाजार तक पहुंचने से रोका है। उन्होंने दावा किया कि 'भारत ने अपने टैरिफ को ज़ीरो करने की पेशकश की है, लेकिन अब बहुत देर हो चुकी है। उन्हें यह कई साल पहले करना चाहिए था।'
भारत रणनीतिक संतुलन में जुटा
एससीओ शिखर सम्मेलन में भारत की भागीदारी और रूस और चीन के साथ उसका निरंतर जुड़ाव पश्चिम के साथ बढ़ते तनाव के बीच एक रणनीतिक पुनर्संतुलन का संकेत देता है। विश्लेषकों का कहना है कि भारत के कदम वैचारिक नहीं, बल्कि व्यावहारिक हैं जो ऊर्जा आपूर्ति को सुरक्षित करने और आर्थिक स्थिरता बनाए रखने की ज़रूरतों को ध्यान में रखते हैं।