नेपाल को आख़िरकार अंतरिम प्रधानमंत्री मिल गया। पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की नेपाल की पहली महिला पीएम बन गई हैं। राष्ट्रपति ने उनको पद की शपथ दिलाई। शुक्रवार शाम को ही भ्रष्टाचार विरोधी Gen Z प्रदर्शनों के बाद मची राजनीतिक उथल-पुथल के बीच पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की के नाम की घोषणा की गई थी। इसके साथ ही देश में अब राजनीतिक अस्थिरता ख़त्म होती दिख रही है।

राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल की सलाह पर उनका शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया गया। यह नेपाल के इतिहास में पहली बार है जब कोई पूर्व न्यायाधीश अंतरिम सरकार का नेतृत्व कर रही हैं। Gen Z प्रदर्शनकारियों के हंगामे के बाद के.पी. शर्मा ओली ने इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद शांति बहाली की दिशा में क़दम उठाए जा रहे हैं। 
Gen Z प्रदर्शनकारी अंतरिम पीएम के लिए पिछले कई दिनों से कई नामों पर चर्चा कर रहे थे। गुरुवार को आई ख़बरों के अनुसार, प्रदर्शनकारियों के बीच मतभेद थे और नेपाल के बिजली संकट को सुलझाने के लिए जाने जाने वाले इंजीनियर कुलमान घिसिंग का नाम अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में आगे रखा जा रहा था। काठमांडू के मेयर बालेंद्र शाह को भी एक प्रमुख दावेदार के रूप में देखा जा रहा था। हालाँकि, अधिकांश प्रदर्शनकारियों के बीच लोकप्रिय शाह अंतरिम प्रधानमंत्री की भूमिका निभाने के इच्छुक नहीं थे और उन्होंने कार्की का समर्थन भी किया था।

कार्की नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश थीं और 2016 से 2017 के बीच कार्यरत रहीं। वह युवा Gen Z प्रदर्शनकारियों के बीच लोकप्रिय हैं।

सुशीला कार्की कौन हैं?

65 वर्षीय सुशीला कार्की नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश रहीं। उन्होंने 2016 में इतिहास रचा जब उन्हें यह पद मिला। 2017 में सेवानिवृत्ति के बाद वे राजनीति से दूर रहीं और सामाजिक कार्यों में सक्रिय हैं। 2017 में नेपाली कांग्रेस और माओवादी सेंटर द्वारा उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया गया, लेकिन जन दबाव और सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश से इसे वापस ले लिया गया। 

कार्की भ्रष्टाचार विरोधी फैसलों के लिए प्रसिद्ध रही हैं। 2012 में उन्होंने भ्रष्टाचार के आरोपों में जय प्रकाश गुप्ता को दोषी ठहराने का आदेश दिया, जिससे वे नेपाल में भ्रष्टाचार के लिए जेल जाने वाले पहले मंत्री बन गये थे। बता दें कि सुशीला कार्की ने 1975 में वाराणसी के बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की। उन्होंने 1978 में काठमांडू के त्रिभुवन विश्वविद्यालय से कानून में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। युवा उन्हें 'निष्पक्ष नेता' मानते हैं, जो संवैधानिक संकट सुलझा सकती हैं।

Gen Z के प्रदर्शन का असर

इस हफ़्ते शुरू हुए Gen Z प्रदर्शन ने नेपाल को हिला दिया। भ्रष्टाचार, सरकारी अक्षमता और सोशल मीडिया साइटों पर लगाए गए अचानक प्रतिबंध के खिलाफ भड़के इस आंदोलन ने हिंसक रूप ले लिया। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक़ प्रदर्शनों में कम से कम 31 लोगों की मौत हो चुकी है और बड़ी संख्या में लोग घायल हुए हैं। काठमांडू की सड़कों पर युवाओं का हुजूम उमड़ पड़ा। इसने प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली को इस्तीफा देने पर मजबूर कर दिया। ओली का इस्तीफा 10 सितंबर को स्वीकार कर लिया गया। 

प्रदर्शनकारियों ने डिस्कॉर्ड और जूम जैसे प्लेटफॉर्म्स पर वर्चुअल बैठकें आयोजित कीं, जहां प्रधानमंत्री पद के लिए सुशीला कार्की नाम के नाम पर सहमति बनी। कार्की के नाम पर सभी प्रमुख राजनीतिक दलों और जेन जेड विरोध समूह के प्रतिनिधियों के बीच आम सहमति के आधार पर सहमति बनी।