जिस तरह न्यूज़ीलैंड में श्वेत नस्लवादी ब्रेन्टन टैरंट ने दो मसजिदों पर हमले कर ऐसे 49 निर्दोष लोगों को मौत के घाट उतार दिया, जिन्हें वह जानता तक नहीं था, वैसी वारदात क्या भारत में भी मुमकिन है? जिस देश में गोमांस रखने या खाने और यहाँ तक कि गाय बेचने के लिए ले जा रहे लोगों पर भीड़ हमला कर देती है, उन्हें पीट-पीट कर मार डालती है और ऐसा करने वालों पर ज़्यादातर मामलों में ठोस कार्रवाई नहीं की जाती है, क्या उस देश में भी वैसा ही वातावरण नहीं बन रहा है, जैसा ब्रेन्टन टैरंट चाहता था? हिन्दू धर्म की व्याख्या अपने ढंग से करने और उससे असहमत लोगों को ट्रोल करने या उन पर हमला करने वालों के दिमाग में क्या उसी तरह का नफ़रत पल रहा है, जैसा टैरंट के मन में था? भारत के लोगों को इस पर ठंडे दिमाग से सोचना चाहिए।
भारत में इसलाम विरोधी माहौल बनाना बंद करो, हो सकता है न्यूज़ीलैंड जैसा हमला
- दुनिया
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- 16 Mar, 2019
श्वेत-नस्लवादी ब्रेन्टन टैरंट ने आख़िर क्यों 49 निर्दोष लोगों को मौत के घाट उतार दिया, जिन्हें वह जानता तक नहीं था? उसके दिमा में में उस वक़्त क्या चल रहा था?
