पाकिस्तान के सिंध प्रांत में हिंदू अल्पसंख्यक समुदाय की नाबालिग लड़कियों का अपहरण, जबरन इस्लाम में धर्मांतरण और बुजुर्ग मुस्लिम पुरुषों से जबरन निकाह कराना एक लंबे समय से चली आ रही समस्या है। यह प्रथा मुख्य रूप से सिंध के ग्रामीण इलाकों में प्रचलित है, जहां हिंदू आबादी का लगभग 90% हिस्सा रहता है। 
मानवाधिकार संगठनों के अनुसार, हर साल सिंध में लगभग 1,000 गैर-मुस्लिम लड़कियां (जिनमें अधिकांश हिंदू) इस तरह के अपराधों का शिकार होती हैं। यह समस्या आर्थिक असमानता, सामाजिक भेदभाव, धार्मिक कट्टरता और प्रशासनिक मिलीभगत से उपजती है। गरीब और निचली जाति की हिंदू लड़कियां विशेष रूप से खतरे में हैं, क्योंकि वे शिक्षा और कानूनी सहायता से वंचित रहती हैं।
यह प्रथा न केवल बाल विवाह और यौन शोषण को बढ़ावा देती है, बल्कि हिंदू समुदाय की आबादी को कम करने का एक प्रमुख कारण भी बन रही है। संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने 2023 में पाकिस्तान सरकार से इस पर तत्काल कार्रवाई की मांग की थी, लेकिन समस्या बरकरार है।

कैसे अंजाम दिया जा रहा है इस निन्दनीय कार्य को

जबरन धर्मांतरण की यह प्रक्रिया एक संगठित तरीके से की जाती है:

अपहरण का तरीका: हिन्दू लड़कियों को अक्सर बंदूक की नोक पर अगवा किया जाता है। उन्हें दूरस्थ इलाकों में ले जाया जाता है, जहाँ जबरन धर्मांतरण कराया जाता है। धर्मांतरण के बाद उनका निकाह अपहरणकर्ता या उसके सहयोगियों से करा दिया जाता है। जिनमें उम्रदराज लोग होते हैं।

दस्तावेजी जालसाजी: कई मामलों में, नकली दस्तावेज़ (जैसे उम्र का फर्जी प्रमाण-पत्र) तैयार कर कोर्ट में विवाह को “स्वैच्छिक” साबित किया जाता है।

कौन-कौन शामिल: इस "कारोबार" में कट्टरपंथी मौलवी, स्थानीय ज़मींदार, धार्मिक संस्थाएँ (जैसे सरहिंदी समूह) और भ्रष्ट पुलिस अधिकारी शामिल पाए जाते हैं। ये अधिकारी पैसे लेकर ऐसे मामलों को दबा देते हैं।

गंभीर प्रभाव: पीड़ित हिन्दू लड़कियाँ शारीरिक और मानसिक यातनाओं का शिकार होती हैं। उनके परिवारों को धमकियाँ मिलती हैं, और आवाज उठाने वाले मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की जान को खतरा होता है। इससे हिंदू समुदाय में भय का माहौल है, और कई परिवार अपनी बेटियों को घर से बाहर नहीं जाने देते।

2021-2022 में 202 मामले दर्ज हुए, जिनमें 120 हिंदू लड़कियां शामिल थीं। 2023 में 136 मामले दर्ज, जिनमें 110 हिंदू। अधिकांश पीड़िताएं 18 वर्ष से कम उम्र की हैं, और 55 मामले 14 वर्ष से कम उम्र के हैं।

हाल के प्रमुख मामलों का विवरण
यहाँ कुछ हालिया और ऐतिहासिक मामलों का संक्षिप्त विवरण दिया गया है, जो समस्या की गंभीरता को बता रहे हैं:

पार्थी (सैमा नवंबर 2024, संघर जिला): 15 वर्षीय पार्थी का अपहरण, जबरन धर्मांतरण और 50 वर्षीय बाघ अली जल्बानी से निकाह। परिवार ने शिकायत की, लेकिन नकली हलफनामे से कोर्ट में "स्वैच्छिक" साबित किया गया।

सुनीता कुमारी महाराज (अगस्त 2025, जिला उमरकोट): 15 वर्षीय सुनीता का अपहरण, रेप, धर्मांतरण और बुजुर्ग मुस्लिम पुरुष से निकाह। तीन महीने बाद अदालत में उसने परिवार के पास लौटने की गुहार लगाई, जिसके बाद कोर्ट ने सुनीता को परिवार को सौंपा और मुख्य आरोपी फरार। शिवा काछी ने मामले की पैरवी की थी। 

सोनिया काछी (नवंबर 2025, झोल, संघर): नाबालिग सोनिया का बंदूक के बल पर अपहरण, धर्मांतरण और निकाह। सरहिंदी समूह का कथित संरक्षण। एफआईआर दर्ज होने के बावजूद आरोपी फरार।

रीना (बदिन जिला नवंबर 2024): हिन्दू लड़की रीना का अपहरण, धर्मांतरण और निकाह। अदालत में आरोपी पक्ष ने धमकी दी कि गलत बयान न दिया तो परिवार को मार दिया जाएगा। शिवा काछी ने केस दर्ज कराया। आरोपी गिरफ्तार, रीना परिवार को सौंपी गई।

सिंहिया मेघवार (सुक्कुर) मई 2025ः 15 वर्षीय स्कूली छात्रा सिंहिया का अपहरण। तीन दिन बाद मीडिया में डरी हुई अवस्था में “हाजरा” नाम से धर्मांतरण घोषित किया। परिवार की एफआईआर पर पुलिस निष्क्रिय। मामला लंबित। कार्यकर्ताओं ने अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप की मांग की।

रेशमान (जाकोबाबाद) जून 2020ः नाबालिग हिंदू लड़की रेशमान का अपहरण, धर्मांतरण और अपहरणकर्ता वजीर हुसैन से निकाह। 19 वर्ष की उम्र का फर्जी हलफनामा पेश। निकाह वैध घोषित, लेकिन मामला विवादास्पद रहा।

रीना और रवीना (घोटकी) 2019ः दो हिंदू बहनें (कथित 13-14 वर्षीय) का अपहरण, धर्मांतरण और निकाह। मीडिया में कलमा पढ़ते वीडियो वायरल। सरकार ने जांच का आदेश दिया, लेकिन बहनें “वयस्क” बताकर मुक्त। भारत में विवाद।

पूजा कुमारी (सुक्कुर) मार्च 2022ः 18 वर्षीय पूजा का घर में घुसकर अपहरण। जबरन निकाह। मामला दर्ज, लेकिन आरोपी भाग गए।
ये मामले दिखाते हैं कि समस्या दशकों पुरानी है, लेकिन हाल के वर्षों में बढ़ी है। 2023 में 107 मामले सिंध में दर्ज हुए।

कानूनी स्थिति और बाधाएँ

मौजूदा कानूनः सिंध चाइल्ड मैरिज रेस्ट्रेंट एक्ट 2013: इसके तहत 18 वर्ष से कम उम्र पर विवाह निषिद्ध है।

पाकिस्तान पीनल कोड: इसमें धारा 498बी (जबरन विवाह) और अपहरण संबंधी धाराएँ लागू होती हैं।

प्रयास विफल: 2016 में सिंध विधानसभा ने जबरन धर्मांतरण बिल (5 वर्ष की सजा) पास किया, लेकिन गवर्नर ने मंजूरी नहीं दी।

प्रमुख कानूनी बाधाएँ

राजनीतिक विरोध: कट्टर इस्लामी समूहों (जैसे जमात-ए-इस्लामी) का कड़ा विरोध, जिसके कारण 2020 में सीनेट में बिल खारिज हो गया।

अदालती प्रक्रिया: नकली दस्तावेज़ों के कारण कोर्ट अक्सर आरोपी पक्ष को फायदा देते हैं।

विशेष कानून का अभाव: कोई विशेष केंद्रीय कानून मौजूद नहीं है।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया: यूएन ने 2023 में पाकिस्तान से जांच और सजा का आदेश दिया। कनाडा की डिप्टी लीडर कैंडिस बर्गेन ने “चिंताजनक” बताया।

सामाजिक कार्यकर्ताओं की भूमिका और खतरे

स्थानीय हिंदू संगठन जैसे माइनॉरिटी राइट्स ऑर्गनाइजेशन और पाकिस्तान हिंदू काउंसिल इस मुद्दे को उठाते हैं। शिवा काछी (सिवा काछी) प्रमुख कार्यकर्ता हैं, जिन्होंने दर्जनों लड़कियों को परिवार से मिलवाया। वे पाकिस्तान दरावर इत्तेहाद के चेयरमैन हैं। शिवा काछी की अपील का पूरा वीडियो इस लाइन को क्लिक करके देखिए।

शिवा काछी को किनसे खतरा, उनकी वीडियो अपील ज़रूर देखिए

2 दिसंबर 2025 को एक्स पर पोस्ट में उन्होंने बताया कि सरहिंदी समूह उन्हें “इस्लाम-विरोधी” और “राज्य-विरोधी” बताकर झूठे आरोप लगा रहा है। वे डॉ. शाहनवाज कुंभर (जिनकी हत्या ब्लास्फेमी के झूठे आरोप में हुई) की तरह उनकी हत्या की साजिश रच रहे हैं। काछी का “अपराध” सिर्फ हिंदू लड़कियों के लिए आवाज उठाना है। उन्होंने राज्य संस्थाओं से सुरक्षा और न्याय की मांग की। यह पोस्ट वायरल हुई, जिसमें हजारों लाइक्स और शेयर मिले।
अन्य कार्यकर्ता जैसे दिलीप कुमार मंगलानी भी नकली दस्तावेजों के खिलाफ लड़ते हैं, लेकिन उन्हें धमकियां मिलती हैं।
यह समस्या पाकिस्तान के संविधान (जो धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है) का उल्लंघन है। प्रशासनिक मिलीभगत के कारण अपराधी बेखौफ हैं, जबकि कार्यकर्ता खतरे में जीते हैं।