हाल तक डिफॉल्ट के कगार पर पहुँच चुकी पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था क्या भारत से किसी तरह का झटका सह पाएगी? अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ़ से मिले अरबों डॉलर के कर्ज और हाल के आर्थिक सुधारों के बाद पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था 2022 में डिफॉल्ट के कगार से उबर रही थी, लेकिन यह अब एक नए संकट का सामना कर रही है। भारत के साथ तनाव चरम पर पहुँच गया है। भारत ने सिंधु जल समझौता स्थगित कर दिया है जिससे कृषि के पड़े पैमाने पर प्रभावित होने की संभावना है और पाकिस्तान ने भारत के लिए एयरस्पेस बंद कर खुद का भी बड़ा नुक़सान कर लिया है। मौजूदा तनाव के बीच पाकिस्तान का शेयर बाज़ार बुधवार को धड़ाम गिरा है। तो क्या पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए यह बड़े संकट की चेतावनी है?

दरअसल, भारत के हालिया राजनयिक और आर्थिक क़दमों ने पाकिस्तान की स्थिति को और नाजुक कर दिया है। कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने द्विपक्षीय व्यापार रोकने, पाकिस्तानी अधिकारियों को निष्कासित करने, सार्क वीजा छूट योजना रद्द करने और सिंधु जल संधि को निलंबित करने जैसे कड़े क़दम उठाए हैं। इन फ़ैसलों का पाकिस्तान की पहले से कमजोर अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ने की संभावना है।

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2025 में पाकिस्तान की जीडीपी 348.72 बिलियन डॉलर होने का अनुमान है। यह भारत की 4.2 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का दसवां हिस्सा भी नहीं है। पाकिस्तानी रुपया कमजोर हुआ है। 1 अमेरिकी डॉलर अब 280.95 पाकिस्तानी रुपये पर पहुँच गया है।

पाकिस्तान पर कुल कर्ज 2024 तक लगभग 75 ट्रिलियन पाकिस्तानी रुपये या 223-264 बिलियन अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान है। चीन सबसे बड़ा कर्जदाता है और उसने 29 बिलियन अमेरिकी डॉलर है और यह कुल बाहरी कर्ज का 22% है। कर्ज-जीडीपी अनुपात देखा जाए तो 2024 में 65% हो गया। यह अनुपात और बढ़ने की संभावना है।

पाकिस्तान का कुल विदेश मुद्रा भंडार भी बेहद कम है। स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान का आँकड़ा है कि 18 अप्रैल 2025 तक पाकिस्तान का कुल विदेशी मुद्रा भंडार 15.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर ही है।

विश्व बैंक ने पाकिस्तान की आर्थिक वृद्धि के अनुमान को 2.7% तक कम कर दिया है और चेतावनी दी है कि शहबाज शरीफ सरकार अपने बजट घाटे के लक्ष्यों को पूरा करने में विफल हो सकती है। 

भुखमरी जैसे हालात का ख़तरा

विश्व बैंक की एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि 2025 में पाकिस्तान में 1 करोड़ से अधिक लोग अत्यधिक खाद्य असुरक्षा और भुखमरी का सामना कर सकते हैं। ख़राब जलवायु परिस्थितियों के कारण चावल और मक्का जैसे प्रमुख फ़सलों का उत्पादन प्रभावित होने की संभावना है। ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोग सबसे अधिक प्रभावित होंगे।

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ऐसे हालात के बावजूद पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था हाल ही में कुछ सकारात्मक संकेत दिखा रही थी। मार्च 2025 में आईएमएफ़ ने 2 अरब डॉलर के ऋण को मंजूरी दी थी और पाकिस्तान ब्यूरो ऑफ़ स्टैटिस्टिक्स के अनुसार, महंगाई मई 2023 में 38% के रिकॉर्ड उच्च स्तर से घटकर 0.7% के तीन दशक के निचले स्तर पर आ गई थी। हालाँकि, भारत के क़दमों के बाद यह प्रगति ख़तरे में है। पाकिस्तान के सेंट्रल बैंक ने चेतावनी दी है कि जून 2025 को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष के लिए औसत महंगाई 5.5% से 7.5% के बीच रह सकती है।

महंगाई बढ़ी

चावल, आटा, सब्जियाँ, फल और चिकन जैसी ज़रूरी खाद्य वस्तुओं की क़ीमतों में तेज़ उछाल देखा गया है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, चावल की क़ीमत 340 रुपये प्रति किलोग्राम और चिकन की क़ीमत 800 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई है। भारत के एक रुपया पाकिस्तान के 3.31 रुपये के बराबर होता है। भारत-पाकिस्तान व्यापार के रुकने से यह समस्या और गंभीर होने की आशंका है।

2024 में पाकिस्तान ने भारत से क़रीब 304.93 मिलियन डॉलर का आयात किया था। इसमें मुख्य रूप से जैविक रसायन (164.19 मिलियन डॉलर) और फ़ार्मास्यूटिकल उत्पाद (120.86 मिलियन डॉलर) शामिल थे। भारत से ज़रूरी दवाओं, रसायनों, फलों, सब्जियों और सूखे मेवों का आयात बंद होने से पाकिस्तान में इन सामानों की कमी हो सकती है, जिससे आम नागरिकों का जीवन और कठिन हो जाएगा।

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सिंधु जल संधि रुकने से पाक के लिए मुश्किल

भारत द्वारा सिंधु जल संधि को निलंबित करने का फ़ैसला पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ा झटका हो सकता है। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में कृषि का योगदान 24% है और यह 37.4% रोजगार देती है। सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों से पानी की आपूर्ति में किसी भी तरह की रुकावट से कृषि उत्पादन बुरी तरह प्रभावित हो सकता है। जानकारों का कहना है कि भारत ने अभी तक पानी के प्रवाह को प्रतिबंधित नहीं किया है, लेकिन वह ऐसा करने का अधिकार रखता है।

कुछ दिन पहले ही झेलम नदी में अचानक पानी छोड़े जाने से पाकिस्तान में निचले हिस्सों में बाढ़ आ गई थी। फ़सलें बर्बाद हो गईं और काफ़ी तबाही आई। माना जा रहा है कि संधि नहीं होने से पाकिस्तान के सामने ऐसी चुनौतियाँ लगातार बनी रहेंगी और कृषि बड़े पैमाने पर प्रभावित होगी।

हवाई क्षेत्र बंद करने का पाक को ही बड़ा नुक़सान!

पाकिस्तान ने भारतीय विमानों के लिए अपने हवाई क्षेत्र को बंद कर दिया है। यह एक जवाबी क़दम लगता है, लेकिन यह पाकिस्तान को ही अधिक नुक़सान पहुँचा सकता है। 2019 में पुलवामा हमले के बाद भी पाकिस्तान ने ऐसा किया था और लगभग 100 मिलियन डॉलर का नुक़सान उठाया था। तब उस दौरान हर रोज़ क़रीब 400 उड़ानें प्रभावित हुईं। 

अनुमान था कि पाकिस्तान को ओवरफ्लाइट शुल्क से प्रतिदिन लगभग 232,000 डॉलर का नुक़सान हो रहा था। लैंडिंग और पार्किंग शुल्क से अतिरिक्त नुक़सान के साथ, कुल दैनिक नुक़सान लगभग 300,000 डॉलर तक पहुंच गया था। इसके अलावा, पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस को अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के निलंबन और लंबे घरेलू मार्गों के कारण प्रतिदिन लगभग 460,000 डॉलर का नुक़सान हो रहा था। कुल मिलाकर, सीएए और पीआईए के लिए संयुक्त दैनिक नुक़सान क़रीब 760,000 डॉलर था। हवाई क्षेत्र बंद होने के अंत तक पाकिस्तान को लगभग 100 मिलियन डॉलर का नुकसान हो चुका था।

इस बार भी, ओवरफ्लाइट शुल्क और अन्य शुल्कों से होने वाली आय में कमी से पाकिस्तान की एविएशन इंडस्ट्री को बड़ा झटका लग सकता है।

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पहले से ही कई चुनौतियों से जूझ रही है और भारत के हालिया क़दमों ने इन समस्याओं को और बढ़ा दिया है। आतंकवाद के समर्थन ने न केवल पाकिस्तान की वैश्विक छवि को नुकसान पहुंचाया है, बल्कि उसकी आर्थिक स्थिरता को भी ख़तरे में डाल दिया है। व्यापार, पानी और हवाई क्षेत्र से जुड़े भारत के फ़ैसले पाकिस्तान के लिए लंबे समय तक आर्थिक संकट का कारण बन सकते हैं। अगर स्थिति और बिगड़ती है तो पाकिस्तान को नए व्यापारिक साझेदार ढूंढने और अपनी आर्थिक नीतियों को मज़बूत करने में बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।