ग्लोबल टाइम्स के लेख में जिंगचुन के हवाले से आगे कहा गया है- “रूस-यूक्रेन संघर्ष पर अमेरिका और पश्चिम ने चीन की खूब आलोचना की और दबाव डाला। लेकिन उसके मुकाबले भारत को रूस की निंदा नहीं करने और रूस पर प्रतिबंध लगाने में पश्चिम के साथ शामिल नहीं होने के लिए कम आलोचना का सामना करना पड़ा है। भारत ने रूस के साथ संबंध बनाए रखा और उससे तेल खरीदकर यूरोपीय देशों को बेचा।“