भारत के पड़ोस नेपाल में बवाल मच गया है। सरकार से ग़ुस्साए सैकड़ों प्रदर्शनकारी सोमवार को नेपाल के संसद भवन में घुस गए। हिंसा हुई। कम से कम 19 लोगों की मौत हो गई और 100 से ज़्यादा लोग घायल हुए हैं। स्थिति काबू में करने के लिए सेना बुलाई गई है। वे सोशल मीडिया पर प्रतिबंध और भ्रष्टाचार से ग़ुस्से में हैं। सरकार ने अतिरिक्त सैन्य बल तैनात करने और काठमांडू में कर्फ्यू लगा दिया गया है। इसको देखते हुए सरकार ने आपातकालीन सुरक्षा बैठक बुलाई है। इस बीच नेपाल के गृह मंत्री रमेश लेखक ने इतने लोगों की मौतें 400 से ज़्यादा लोगों के घायल होने के बाद नैतिक आधार पर प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को अपना इस्तीफ़ा सौंप दिया है। काठमांडू पोस्ट के अनुसार, उन्होंने सोमवार शाम ओली के बलुवतार स्थित आवास पर हुई कैबिनेट बैठक के दौरान अपना इस्तीफ़ा सौंपा।

पिछले कुछ दिनों से नेपाल में सरकार के ख़िलाफ़ असंतोष बढ़ रहा था। कहा जा रहा है कि भ्रष्टाचार और सरकार के सत्तावादी रवैये को लेकर लोगों में बेहद नाराज़ी थी। इसी बीच सरकार ने सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगा दिया। इसका नतीजा यह हुआ कि युवाओं में ग़ुस्सा फूट पड़ा। वे सड़कों पर उतर आए। यह प्रदर्शन 26 साल से कम उम्र के युवाओं का है जिन्हें जेनरेशन Z कहा जाता है। इस वजह से इस प्रदर्शन को जेन Z का प्रोटेस्ट कहा जा रहा है।
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सोशल मीडिया पर प्रतिबंध का मुद्दा तब और गंभीर हो गया, जब सरकार ने संसद में काम से घर यानी 'वर्क फ्रॉम होम' की नीति को लागू करने का प्रस्ताव रखा। इसे प्रदर्शनकारियों ने जनता की आवाज को अनसुना करने की कोशिश के रूप में देखा। इसके अलावा बढ़ते कर, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और सांसदों द्वारा विशेषाधिकारों की मांग ने भी जनता के ग़ुस्से को भड़काया है।

सोमवार सुबह हजारों प्रदर्शनकारी काठमांडू की सड़कों पर उतरे और संसद भवन की ओर मार्च किया। स्थिति तब बेकाबू हो गई, जब कुछ प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षा घेरा तोड़कर संसद भवन में प्रवेश कर लिया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, प्रदर्शनकारी नारे लगा रहे थे और सरकार से सोशल मीडिया प्रतिबंध हटाने, भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने और जनता के हित में नीतियां बनाने की मांग कर रहे थे।

पुलिस ने किया बल प्रयोग

पुलिस ने प्रदर्शन को नियंत्रित करने के लिए बल प्रयोग किया। इसमें आंसू गैस, लाठीचार्ज और कुछ जगहों पर कथित तौर पर गोलीबारी भी शामिल थी। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर निहत्थे लोगों पर हिंसा करने और बख्तरबंद वाहनों व स्नाइपर्स की तैनाती कर डराने का आरोप लगाया है। एक प्रदर्शनकारी ने सोशल मीडिया पर लिखा, 'हमारी आवाज सुनने के बजाय, सरकार ने हमें गुंडों और हिंसा से जवाब दिया।'

प्रदर्शनकारी सरकार पर भ्रष्टाचार करने, सत्तावादी नीतियाँ अपनाने, नागरिकों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दबाने और सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाने का आरोप लगा रहे हैं।

कई प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सरकार ने सोशल मीडिया को बंद कर उनकी आवाज़ को दबाने की कोशिश की है, जो एक लोकतांत्रिक देश में अस्वीकार्य है। एक प्रदर्शनकारी ने कहा, 'जो देश लोकतंत्र की नींव पर बना है, वहाँ सरकार अपनी जनता की आवाज को दबाने के लिए हिंसा और सेंसरशिप का सहारा ले रही है। यह निराशाजनक है।' सरकार ने फ़ेसबुक, वाट्सऐप जैसे सोशल मीडिया इंटरमीडियरी को नेपाल में रजिस्टर कराने को कहा था, लेकिन इन कंपनियों ने ऐसा नहीं किया। इसके बाद इन पर प्रतिबंध लगा दिया गया।

नेपाल द्वारा फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब और व्हाट्सएप समेत 26 प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगाने के बाद काठमांडू में जेनरेशन Z के नेतृत्व में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हुए। शुरुआत में प्रदर्शन शांतिपूर्ण थे, लेकिन बाद में हिंसक हो गए क्योंकि प्रदर्शनकारियों ने संसद के पास बैरिकेड्स तोड़ दिए, गेट तोड़ दिए और पुलिस से भिड़ गए।

सरकार का जवाब

प्रदर्शनकारियों के संसद भवन में प्रवेश के बाद सरकार ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त सैन्य बल तैनात करने की घोषणा की है। सूत्रों के अनुसार, काठमांडू में कर्फ्यू लागू करने की भी योजना बन रही है। सरकार का कहना है कि यह क़दम क़ानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए ज़रूरी है। हालाँकि, प्रदर्शनकारी इसे लोकतंत्र पर हमला बता रहे हैं।
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नेपाल में हाल के महीनों में असंतोष की लहर देखी गई है। बढ़ते कर, नौकरी के अवसरों की कमी, भ्रष्टाचार के मामले और सांसदों द्वारा जनता को 'मूर्ख' कहने जैसे बयानों ने लोगों का ग़ुस्सा बढ़ाया है। इसके अलावा, एक टैक्सी चालक की पुलिस वाहन से कुचलकर मौत और कुछ सांसदों के देश छोड़कर भागने की ख़बरों ने स्थिति को और तनावपूर्ण बना दिया है।

यह घटना नेपाल के लोकतंत्र के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है। प्रदर्शनकारी सरकार से तत्काल कार्रवाई की मांग कर रहे हैं, जिसमें सोशल मीडिया प्रतिबंध हटाना, भ्रष्टाचार पर जांच और जनहित में नीतियां शामिल हैं। दूसरी ओर, सरकार का कड़ा रुख और सैन्य बल की तैनाती स्थिति को और मुश्किल बना सकती है। काठमांडू में तनावपूर्ण माहौल के बीच, यह साफ़ है कि जनता और सरकार के बीच विश्वास की कमी गहरी हो चुकी है।