रूस ने यूक्रेन की राजधानी कीव पर रविवार को अब तक का सबसे बड़ा हवाई हमला किया। इस हमले में ड्रोन और मिसाइलों से सरकारी भवनों को निशाना बनाया गया, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई। इस घटना के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस के खिलाफ 'दूसरे चरण' की पाबंदियों की बात कही है। अगर पाबंदियां फौरन लागू हुईं तो रूसी तेल खरीदने वाले देशों जैसे भारत को भी प्रभावित कर सकती हैं। वैसे तो खबरें हैं कि रूस पर दबाव बनाने के लिए ट्रंप भारत पर भी अतिरिक्त पाबंदियां लगा सकते हैं।

ट्रंप की बढ़ती नाराज़गी

ट्रंप ने व्हाइट हाउस में रूस पर पूछे गए सवाल पर संक्षिप्त जवाब देते हुए कहा, "हां, मैं तैयार हूं।" उन्होंने रूस या उसके तेल खरीदारों पर नई पाबंदियों के बारे में विस्तार से कुछ नहीं बताया, लेकिन उनके बयान से प्रशासन में बढ़ती नाराजगी साफ झलक रही है। युद्ध लंबा खिंच रहा है और ट्रंप के पहले शांति प्रयास विफल हो चुके हैं।

मॉस्को की बर्बादी का सपना देख रहे हैं यूएस ट्रेजरी चीफ

अमेरिकी ट्रेजरी चीफ स्कॉट बेसेंट ने एनबीसी को दिए इंटरव्यू में कहा, "रूसी तेल खरीदने वाले देशों पर 'अधिक' अतिरिक्त पाबंदियां लगाई जा सकती हैं, जो मॉस्को की अर्थव्यवस्था को गहरा नुकसान पहुंचा सकती हैं।" उन्होंने तर्क दिया कि रूस की अर्थव्यवस्था का पतन ही राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को वार्ता की मेज पर ला सकता है। बेसेंट ने यूरोपीय संघ के साथ मिलकर इन 'अतिरिक्त टैरिफ' को लागू करने की बात कही।
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यूएस ट्रेजरी चीफ बेसेंट ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप और उपराष्ट्रपति जे.डी. वेंस ने यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन के साथ एक बहुत ही अच्छी बातचीत की। इससे पहले शुक्रवार को भी लेयेन ने उनसे बात की और उन्होंने इस बात पर चर्चा की कि रूस पर अधिक दबाव डालने के लिए अमेरिका और यूरोपीय संघ (ईयू) क्या कर सकते हैं।

ट्रंप का बयान क्या भारत पर असर डालेगा

पिछले महीने ही वॉशिंगटन ने भारत के अमेरिकी निर्यात पर 25 प्रतिशत की दंडात्मक टैरिफ लगाई थी, जिससे कुल आयात शुल्क 50 प्रतिशत हो गया। ट्रंप ने बार-बार नई दिल्ली पर "रूसी युद्ध मशीन को ईंधन" देने का आरोप लगाया है और इन टैरिफ को जरूरी बताया है। हालांकि, भारत ने रूसी कच्चे तेल की खरीद को राष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा का हवाला देकर उचित ठहराया है और अमेरिकी कदमों को अन्यायपूर्ण करार दिया है। भारत रूस के ऊर्जा निर्यात का प्रमुख खरीदार है, जबकि पश्चिमी देश युद्ध के जवाब में इनकी खरीद घटा चुके हैं। लेकिन अब जिस तरह से नई स्थिति पैदा हुई है और ट्रंप का बयान आया है, उसका प्रभाव भारत पर पड़ना स्वाभाविक है। 

हालांकि ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच हाल ही में रिश्तों में गर्मजोशी के संकेत मिले थे। दोनों एक दूसरे के लिए एक्स पर पॉजिटिव बातें लिखी थीं। लेकिन अब रूस के साथ व्यापार करने वाले देशों पर नई पाबंदियों का फोकस इस पॉजिटिव माहौल को प्रभावित कर सकता है।

यूक्रेन पर अब तक का सबसे बड़ा हवाई हमला 

रविवार को रूस ने यूक्रेन पर 810 ड्रोन और डिकॉय के साथ हमला किया, जो युद्ध शुरू होने के बाद सबसे बड़ा हवाई हमला था। यूक्रेन के एयरफोर्स के अनुसार, उन्होंने 747 ड्रोन और चार मिसाइलें मार गिराईं। कीव में एक प्रमुख सरकारी परिसर को नुकसान पहुंचा, और पूरे देश में चार लोगों की जान चली गई।

जेलेंस्की का बयान

इस हमले के जवाब में यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमिर जेलेंस्की ने कहा कि वह रूसी राष्ट्रपति पुतिन से शांति समझौते के लिए मिलने को तैयार हैं। उन्होंने ट्रंप से रूस पर कठोर पाबंदियां लगाने की अपील की, ताकि मॉस्को युद्ध समाप्त करने के लिए मजबूर हो। जेलेंस्की ने कहा, "अमेरिका की सख्ती ही पुतिन को बातचीत के लिए बाध्य करेगी।"

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विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप की यह चेतावनी रूस की अर्थव्यवस्था पर दबाव बनाने की रणनीति का हिस्सा है, लेकिन इससे ग्लोबल ऊर्जा बाजार और भारत जैसे विकासशील देशों पर असर पड़ सकता है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय अब शांति वार्ता की उम्मीद कर रहा है, लेकिन युद्ध की आग अभी भी भड़क रही है।