अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 20 सूत्री ग़ज़ा शांति योजना पेश की है। इसराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने योजना से सहमति जताई है। पीएम मोदी, अरब और अन्य मुस्लिम देशों के अलावा दुनिया के प्रमुख नेताओं ने इस योजना का स्वागत किया है। विश्व नेताओं ने हमास से आग्रह किया है कि वे इस योजना को स्वीकार किया। 20-सूत्री योजना में फौरन युद्धविराम, बंधकों की रिहाई, फिलिस्तीनी कैदियों के बदले में समझौता, चरणबद्ध ढंग से इसराइली सेना की वापसी, हमास को बिना हथियार करना और अंतरराष्ट्रीय निकाय के तहत अस्थाई सरकार की स्थापना जैसी बातें शामिल हैं। हालांकि, हमास की ओर से अभी इस योजना पर कोई बयान जारी नहीं किया गया है। 

फिलस्तीन पर भारत का स्पष्ट नज़रिया

भारत ने मंगलवार को ट्रंप की 20 सूत्री योजना का स्वागत किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह पहल फिलस्तीनी और इसराइली लोगों के लिए शांति और विकास के लिए एक "प्रेक्टिकल रास्ता" प्रदान करती है। भारत ने लगातार इसराइल-हमास संघर्ष को खत्म करने और दो-राज्य समाधान के प्रयासों का रास्ता साफ करने के लिए लगातार बातचीत और कूटनीति की ओर लौटने का आह्वान किया है। यही वजह है कि मोदी ने ट्रंप की पहल का फौरन समर्थन किया है। भारत उन पहले गैर-अरब देशों में से एक था, जिसने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल में 1974 में फिलिस्तीन मुक्ति संगठन (पीएलओ) को फिलिस्तीन के लोगों के एकमात्र और वैध प्रतिनिधि के रूप में मान्यता दी थी। 1988 में भारत फिलिस्तीन राज्य को मान्यता देने वाले पहले देशों में से एक बन गया था।

मुस्लिम देशों का ट्रंप के प्लान पर बयान 

एक संयुक्त बयान में, सऊदी अरब, जॉर्डन, संयुक्त अरब अमीरात, इंडोनेशिया, पाकिस्तान, तुर्की, कतर और मिस्र के विदेश मंत्रियों ने ट्रम्प के "नेतृत्व और ईमानदार प्रयासों" की तारीफ की। उन्होंने संघर्ष को समाप्त करने, ग़ज़ा के पुनर्निर्माण और पश्चिमी तट पर इसराइल के कब्ज़े को रोकने के लिए इस योजना का स्वागत किया। मंत्रियों ने अमेरिका के साथ "पॉजिटिव और रचनात्मक रूप से जुड़ने" का संकल्प लिया और किसी भी समझौते की प्राथमिकताओं को रेखांकित किया। जिनमें बिना रोकटोक मानवीय सहायता, फ़िलस्तीनी विस्थापन की रोकथाम, बंधकों की रिहाई, सभी पक्षों के लिए सुरक्षा गारंटी, ग़ज़ा से इसराइल की पूर्ण वापसी, एन्क्लेव का पुनर्निर्माण और पश्चिमी तट के साथ इसका एकीकरण शामिल है।
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पाकस्तानी पीएम शरीफ का बयान 

पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने ग़ज़ा में युद्ध समाप्त करने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की 20-सूत्रीय योजना का स्वागत किया। शरीफ इसे स्थायी शांति की दिशा में एक कदम बताया। एक्स पर एक पोस्ट में, शरीफ ने विश्वास व्यक्त किया कि ट्रंप इस समझौते को साकार करने के लिए "हर संभव मदद के लिए पूरी तरह तैयार" हैं। उन्होंने ट्रंप के नेतृत्व और अमेरिकी विशेष दूत स्टीव विटकॉफ की भूमिका की तारीफ की। शरीफ ने दो राज्य समाधान के लिए भी अपना समर्थन दोहराया और इसे "क्षेत्र में स्थायी शांति सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक" बताया।

यूरोप की ट्रंप योजना पर प्रतिक्रिया 

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने योजना का स्वागत करते हुए इसे युद्ध समाप्ति और बंधकों की रिहाई के लिए "महत्वपूर्ण अवसर" बताया। उन्होंने कहा, "मैं उम्मीद करता हूं कि इसराइल इस आधार पर दृढ़ता से आगे बढ़े। हमास का कोई विकल्प नहीं है। उसे तुरंत सभी बंधकों को रिहा करना होगा और योजना का पालन करना होगा।"
इटली सरकार ने इसे "महत्वपूर्ण मोड़" करार दिया, जो स्थायी युद्धविराम, सभी बंधकों की फौरन रिहाई और पूर्ण मानवीय सहायता सुनिश्चित करेगा। बयान में कहा गया, "हमास जिसने 7 अक्टूबर 2023 के क्रूर आतंकी हमले से इस युद्ध की शुरुआत की, अब बंधकों को रिहा कर, ग़ज़ा के भविष्य में अपनी कोई भूमिका न मानने और पूर्ण निरस्त्रीकरण के जरिए इसे समाप्त करने का अवसर पा सकता है।" इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी ने एक बयान में कहा कि यह प्रस्ताव "इस प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है"। उन्होंने कहा, "इटली सभी पक्षों से इस अवसर का लाभ उठाने और योजना को स्वीकार करने का आग्रह करती है।"
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने अमेरिकी प्रयासों का स्वागत किया और दोनों पक्षों से सहयोग की अपील की। उन्होंने कहा, "हम सभी पक्षों से आग्रह करते हैं कि वे अमेरिकी प्रशासन के साथ मिलकर इस समझौते को अंतिम रूप दें। हमास को अब योजना स्वीकार करनी चाहिए, हथियार डालने चाहिए और सभी बंधकों को रिहा करना चाहिए ताकि दुखों का अंत हो।"
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जर्मनी के विदेश मंत्री जोहान वाडेफुल ने कहा कि यह योजना ग़ज़ा में सैकड़ों हजारों पीड़ितों के लिए आशा की किरण है और हमास को इस अवसर को भुनाना चाहिए।
यूरोपीय काउंसिल के अध्यक्ष एंटोनियो कोस्टा ने नेतन्याहू की पॉजिटिव प्रतिक्रिया से प्रोत्साहित होते हुए सभी पक्षों से शांति के इस पल को हाथ से न जाने देने की अपील की।