Trump China tariffs pause: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन के साथ टैरिफ की समयसीमा 90 दिनों के लिए बढ़ा दी है, जिससे व्यापार तनाव कम हुआ है। लेकिन भारत को लेकर अभी कोई राहत की खबर ट्रंप ने नहीं सुनाई है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सोमवार को एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर कर चीन पर बढ़ाए जाने वाले टैरिफ की समय सीमा को 90 दिनों के लिए बढ़ा दिया। यह निर्णय उच्च टैरिफ लागू होने से कुछ घंटे पहले लिया गया, जिससे वैश्विक बाजारों में राहत महसूस की जा की जा रही है। व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने इसकी जानकारी दी। यह कदम ट्रम्प प्रशासन की व्यापार नीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है, जिसका उद्देश्य अमेरिकी व्यापार घाटे को कम करना और घरेलू बाजार को बढ़ावा देना है।
भारत के लिए कोई राहत की खबर नहीं है। ट्रम्प ने भारत पर टैरिफ को दोगुना कर 50% कर दिया है, जो रूस से तेल आयात के कारण लगाया गया है। यह अतिरिक्त 25% टैरिफ 27 अगस्त से प्रभावी होगा, हालांकि भारत को बातचीत के लिए 21 दिन का समय दिया गया है। व्हाइट हाउस ने कहा कि यह कदम रूस-यूक्रेन संघर्ष के संदर्भ में रूस की अर्थव्यवस्था को समर्थन देने वाले देशों पर दबाव बनाने के लिए उठाया गया है।
चीन के साथ टैरिफ की स्थिति
भारत के मुकाबले चीन, जो रूस का सबसे बड़ा तेल आयातक है, को 90 दिनों की टैरिफ छूट दी गई है। मई में अमेरिका और चीन ने तेज टैरिफ युद्ध से बचने के लिए एक अस्थायी समझौता किया था, जिसमें चीन पर टैरिफ को 145% से घटाकर 30% किया गया था। इस नए आदेश में चीन का उल्लेख नहीं है, लेकिन यह अन्य देशों पर नजर रखने और रूस से तेल आयात करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की बात करता है।
दुनिया के व्यापार पर प्रभाव
ट्रम्प की टैरिफ नीति ने दुनियाभर के कारोबार में अनिश्चितता पैदा की है। जापान, दक्षिण कोरिया, और यूरोपीय संघ जैसे देशों के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते किए गए हैं, जिनके तहत उन्हें 15% टैरिफ दरों पर राहत दी गई है। हालांकि, भारत को इस तरह की राहत नहीं मिली है, जिससे भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों में तनाव बढ़ गया है।
भारत, जो अमेरिका का एक प्रमुख व्यापारिक साझेदार है, 2024 में लगभग 87 बिलियन डॉलर के सामान का निर्यात करता था। नए टैरिफ से भारत के कपड़ा, रत्न और आभूषण, और ऑटोमोबाइल जैसे क्षेत्र प्रभावित होंगे। विशेषज्ञों का अनुमान है कि इससे भारत की जीडीपी वृद्धि पर 20-50 आधार अंकों का नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। भारतीय निर्यातक संगठनों ने चिंता जताई है कि यह टैरिफ उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता को कम करेगा, खासकर जब वियतनाम, बांग्लादेश और अब चीन जैसे देशों पर कम टैरिफ लागू हैं।
भारत के विदेश मंत्रालय ने इस कदम को "अनुचित, अवैध और अनुचित" करार दिया है। मंत्रालय ने कहा कि भारत का तेल आयात बाजार आधारित कारकों पर आधारित है और इसका उद्देश्य 1.4 अरब लोगों की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करना है। भारत ने अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने की बात कही है।
नई दिल्ली स्थित थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने बताया कि 2024 में चीन ने रूस से 62.6 बिलियन डॉलर का तेल आयात किया, जबकि भारत का आयात 52.7 बिलियन डॉलर था। फिर भी, अमेरिका ने भारत को निशाना बनाया, जबकि चीन को रियायत दी गई, जिसे जीटीआरआई ने अमेरिका की रणनीतिक प्राथमिकताओं से जोड़ा है।
भारत अब वैकल्पिक व्यापार साझेदारों के साथ बातचीत तेज करने और अल्पकालिक उपायों पर विचार कर रहा है। ट्रम्प ने कहा है कि वह भारत के साथ व्यापार वार्ता को लेकर आशावादी हैं, लेकिन भारत ने साफ किया है कि वह अपनी ऊर्जा नीति में बदलाव नहीं करेगा। इस कदम ने भारत-अमेरिका संबंधों के लिए एक नई चुनौती पेश कर दी है। अब सबकुछ आने वाले हफ्तों में दोनों देशों के बीच होने वाली व्यापार वार्ता पर निर्भर करता है।