कनाडा डिजिटल सर्विस टैक्स लागू कर रहा है तो ग़ुस्से में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडा के साथ सभी व्यापार बातचीत को तत्काल ख़त्म करने की घोषणा क्यों कर दी? ट्रंप द्वारा हाल ही में 'टैरिफ़ वार' शुरू किए जाने के बाद दोनों देशों के बीच बातचीत चल रही थी ताकि टैरिफ़ पर आपसी सहमति बनाई जाए। लेकिन, कनाडा के नये टैक्स के बाद दोनों देशों के बीच फिर से दरार आ गई।

दरअसल, ट्रंप ने कनाडा के इस डिजिटल सर्विस टैक्स को अमेरिकी टेक्नोलॉजी कंपनियों पर सीधा हमला क़रार दिया है और चेतावनी दी है कि वह जल्द ही कनाडाई सामानों पर नए टैरिफ़ लगाएंगे। इस क़दम ने दोनों देशों के बीच तनाव को बढ़ा दिया है और वैश्विक व्यापार में नई चुनौतियाँ खड़ी कर दी हैं।
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कनाडा का डिजिटल सर्विस टैक्स क्या है?

कनाडा का डिजिटल सर्विस टैक्स एक ऐसा कर है जो उन बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियों पर लागू किया जा है जो कनाडा में डिजिटल सेवाओं से भारी राजस्व अर्जित करती हैं। भले ही इन कंपनियों के दफ़्तर कनाडा में हों या नहीं, यदि वे डिजिटल रूप में सेवाएँ देती हैं तो उनपर टैक्स लगाया जा रहा है। इस टैक्स का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कनाडाई यूज़रों से अरबों डॉलर की कमाई करने वाली गूगल, फ़ेसबुक, अमेजन और ऐप्पल जैसी दिग्गज टेक कंपनियाँ कनाडा में सही कर का भुगतान करें। यह टैक्स 30 जून 2025 से प्रभावी होने वाला है और इसे कनाडा के वित्त मंत्रालय ने 2024 में पारित डिजिटल सर्विस टैक्स एक्ट के तहत लागू किया है।

डिजिटल सर्विस टैक्स उन कंपनियों पर 3% कर लगाता है, जिनका वैश्विक राजस्व 750 मिलियन यूरो यानी क़रीब 800 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक है और कनाडा में डिजिटल सेवाओं से 20 मिलियन कनाडाई डॉलर से अधिक की आय होती है। इसमें ऑनलाइन विज्ञापन, डिजिटल मार्केटप्लेस और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसी सेवाएँ शामिल हैं।

कनाडा को क्या फ़ायदा होगा?

कनाडा का कहना है कि यह टैक्स कर चोरी को रोकने और टेक दिग्गजों द्वारा अर्जित मुनाफे पर सही कर लगाने के लिए है। कनाडा का अनुमान है कि यह टैक्स 2024-25 में 1.2 बिलियन कनाडाई डॉलर और अगले पांच वर्षों में 7.2 बिलियन कनाडाई डॉलर का राजस्व देगा। यह टैक्स 2022 से रेट्रोएक्टिव रूप से लागू होगा, यानी कंपनियों को पिछले वर्षों के राजस्व पर भी कर देना होगा। 

ट्रंप की घोर आपत्ति के बीच कनाडा के वित्त मंत्री ने कहा है कि यह टैक्स न केवल विदेशी, बल्कि घरेलू टेक्नोलॉजी कंपनियों पर भी लागू होगा, ताकि टैक्स सिस्टम में निष्पक्षता आए।

ट्रंप की आपत्ति क्यों?

ट्रंप ने कनाडा के डिजिटल टैक्स को भेदभावपूर्ण और अमेरिका पर सीधा हमला क़रार दिया है। उन्होंने अपने ट्रुथ सोशल प्लेटफॉर्म पर लिखा, 'इस बेहद ज़्यादा टैक्स के आधार पर हम तत्काल प्रभाव से कनाडा के साथ सभी व्यापार बातचीत को ख़त्म कर रहे हैं।' ट्रंप का तर्क है कि यह टैक्स मुख्य रूप से अमेरिकी टेक कंपनियों को निशाना बनाता है और इससे अमेरिकी व्यवसायों को अरबों डॉलर का नुक़सान होगा।

कनाडा पर नये टैरिफ़ लगाएँगे ट्रंप

ट्रंप का दावा है कि डिजिटल सर्विस टैक्स अमेरिकी टेक दिग्गजों पर ग़लत बोझ डालेगा और इससे उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता प्रभावित हो सकती है। ट्रंप ने यह भी घोषणा की है कि वह सात दिनों के भीतर कनाडाई सामानों पर नए टैरिफ़ की घोषणा करेंगे, जब तक कि कनाडा इस टैक्स को वापस नहीं लेता। यह क़दम ऑटोमोबाइल, ऊर्जा और कृषि उत्पादों जैसे कनाडा के निर्यात पर भारी असर डाल सकता है।
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कनाडा क्या रुक जाएगा?

कनाडा ने साफ़ किया है कि वह अपने डिजिटल सर्विस टैक्स को स्थगित नहीं करेगा। कनाडा के वित्त मंत्रालय का कहना है कि यह टैक्स वैश्विक कर सुधारों के अनुरूप है और इसका उद्देश्य टेक कंपनियों को कनाडा में सही कर देने के लिए प्रेरित करना है। कनाडाई सरकार का तर्क है कि ये कंपनियाँ कनाडाई यूज़रों से भारी मुनाफा कमाती हैं, लेकिन कर चोरी के कारण कनाडा को उसका सही हिस्सा नहीं मिलता।

कनाडा-अमेरिका के बीच फिर तनाव

ट्रंप के इस क़दम ने कनाडा-अमेरिका संबंधों में तनाव पैदा कर दिया है, जो पहले से ही उत्तर अमेरिकी मुक्त व्यापार समझौते को लेकर नाजुक स्थिति में हैं। कनाडा अमेरिका का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और दोनों देशों के बीच 2024 में 1 ट्रिलियन डॉलर से अधिक का द्विपक्षीय व्यापार हुआ था। नए टैरिफ़ की धमकी से ऑटोमोबाइल और ऊर्जा क्षेत्र सहित कनाडाई अर्थव्यवस्था पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।

कनाडा के निर्यात का 80% से अधिक अमेरिका को जाता है। यदि ट्रंप टैरिफ लागू करते हैं तो कनाडाई व्यवसायों को भारी नुक़सान हो सकता है और इससे कनाडाई उपभोक्ताओं के लिए भी क़ीमतें बढ़ सकती हैं।

टैरिफ़ से अमेरिकी उपभोक्ताओं को भी नुक़सान हो सकता है, क्योंकि तेल और ऑटोमोबाइल पार्ट्स जैसे कनाडाई सामान की क़ीमतें बढ़ सकती हैं।

जानकारों का मानना है कि ट्रंप का यह क़दम उनकी 'अमेरिका फर्स्ट' नीति का हिस्सा है, जिसके तहत वह विदेशी करों और नीतियों को अमेरिकी हितों के लिए ख़तरा मानते हैं। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रंप का यह रुख कनाडा को डिजिटल सर्विस टैक्स पर पुनर्विचार करने के लिए दबाव डालने की रणनीति हो सकती है। हालांकि, कनाडा के दृढ़ रुख को देखते हुए यह विवाद और गहरा सकता है।
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कनाडा-अमेरिका संबंध

कनाडा का डिजिटल सर्विस टैक्स और ट्रंप की प्रतिक्रिया ने दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों में एक नया तनाव पैदा कर दिया है। हाल के महीनों में कनाडा और अमेरिका के बीच रिश्ते दोस्ताना लग रहे थे, क्योंकि वे व्यापार वार्ता जारी रखे हुए थे। पहले ट्रंप और पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के बीच 2018 के जी7 सम्मेलन में तनातनी हुई थी, जब ट्रंप ने ट्रूडो को बेईमान और कमजोर कहा था।

लेकिन नवनिर्वाचित कनाडाई प्रधानमंत्री कार्नी ने मई में व्हाइट हाउस में ट्रंप के साथ सौहार्दपूर्ण मुलाकात की थी, और ट्रम्प 16-17 जून को अल्बर्टा में जी7 सम्मेलन के लिए कनाडा गए थे। कार्नी ने सम्मेलन में कहा कि दोनों ने व्यापार वार्ता के लिए 30 दिन की समय सीमा तय की है। लेकिन अब कनाडा के डिजिटल सर्विस टैक्स को लेकर ट्रंप ने इस वार्ता को रोकने का फ़ैसला कर लिया है। प्रधानमंत्री कार्नी के कार्यालय ने ट्रंप की व्यापार वार्ता रोकने की नई धमकी पर कहा, 'कनाडाई सरकार कनाडाई श्रमिकों और व्यवसायों के हित में अमेरिका के साथ इन जटिल वार्ताओं में शामिल रहेगी।'