दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं अमेरिका और चीन के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस हफ्ते गुरुवार को दक्षिण कोरिया में आमने-सामने होंगे। यह बैठक एशिया-पैसिफिक इकोनॉमिक कोऑपरेशन (APEC) समिट के दौरान गुरुवार को है, जिसमें दोनों नेताओं के बीच व्यापार, तकनीक, रूस-यूक्रेन युद्ध, ताइवान और सुरक्षा जैसे अहम मुद्दों पर बातचीत होने की संभावना है।

ट्रम्प इस मुलाकात के लिए अपने एशिया दौरे के अंतिम पड़ाव पर हैं, जिसमें वे पहले ही मलेशिया और जापान का दौरा कर चुके हैं। दक्षिण कोरिया रवाना होने से पहले उन्होंने पत्रकारों से कहा, “हमारे पास राष्ट्रपति शी से बात करने के लिए बहुत कुछ है, और उनके पास भी हमारे लिए बहुत कुछ है। मुझे उम्मीद है कि यह बैठक पॉजिटिव रहेगी।”

हालांकि इससे पहले मलेशिया के कुआलालंपुर में आसियान शिखर सम्मेलन में चीन के बयान पर ध्यान दिया जाना चाहिए। यह बयान, चीन और अमेरिका द्वारा संभावित व्यापार समझौते पर "शुरुआती सहमति" पर पहुँचने की घोषणा के ठीक एक दिन बाद आया। आसियान के दौरान वाशिंगटन ने कहा था कि बीजिंग से आने वाले सामानों पर 100% टैरिफ लगाने की बात "विचाराधीन" है। लेकिन चीनी प्रधानमंत्री ली कियांग ने कहा और जिसे एएफपी ने कोट किया, "आर्थिक वैश्वीकरण को बदला नहीं जा सकता। दुनिया को जंगल के उस कानून की ओर नहीं लौटना चाहिए जहाँ ताकतवर कमज़ोर को धमकाते हैं।" उनका स्पष्ट संदर्भ डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन द्वारा चीन सहित कई देशों पर लगाए गए टैरिफ से था।
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दक्षिण कोरिया बैठक का प्रमुख एजेंडाबैठक में कई संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा होने की उम्मीद है। सबसे ऊपर है अमेरिका-चीन के बीच छिड़ा ट्रेड वॉर। ट्रंप ने नवंबर 1 तक व्यापार समझौता न होने पर चीनी सामानों पर अतिरिक्त 100 प्रतिशत शुल्क लगाने की धमकी दी थी। हालांकि, कुआलालंपुर में हाल ही में हुई अमेरिकी और चीनी अधिकारियों की बैठकों से प्रारंभिक सहमति बनी है, जिसके बाद अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने 100 प्रतिशत शुल्क के लिए ऑफ द टेबल  ( यानी 100 फीसदी वाली बात खत्म हो सकती है) शब्द इस्तेमाल किया है। ट्रम्प चाहते हैं कि चीन अमेरिकी सोयाबीन की खरीद बढ़ाए।

अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेन्ट ने रविवार को सीबीएस न्यूज को बताया कि चीनी वस्तुओं पर 100% अतिरिक्त टैरिफ लगाने की डोनाल्ड ट्रम्प की धमकी "खत्म हो गई है।"

दूसरा बड़ा मुद्दा है फेंटेनिल की तस्करी। वाशिंगटन ने बीजिंग पर लैटिन अमेरिकी ड्रग कार्टेल्स पर सख्ती करने का दबाव डाला है। अमेरिका फेंटेनिल को महामारी का एक प्रमुख कारण मानता है, और इस पर नियंत्रण के लिए चीन की सहयोग की मांग कर रहा है।

वहीं चीन ने दुर्लभ पृथ्वी खनिजों (रेयर अर्थ मिनरल्स) और तकनीकी उपकरणों के निर्यात पर नए नियम लागू कर दिए हैं, जिससे अमेरिका की तकनीकी सप्लाई चेन प्रभावित हो सकती है।

तकनीकी प्रतिस्पर्धा और टिकटॉक विवाद 

ट्रम्प प्रशासन अमेरिकी टेक कंपनियों के मुकाबले चीन की तेजी से बढ़ती तकनीकी ताकत को लेकर चिंतित है। टिकटॉक, हुआवेई और अन्य चीनी ऐप्स पर अमेरिकी निगरानी एजेंसियों की नजर बनी हुई है। इस मुद्दे पर दोनों नेताओं के बीच स्पष्ट चर्चा होने की संभावना है।

ताइवान और क्षेत्रीय सुरक्षा 

ताइवान को लेकर भी यह मुलाकात संवेदनशील रहेगी। चीन लगातार ताइवान को अपने नियंत्रण में लाने की बात करता रहा है, जबकि अमेरिका उसके अप्रत्यक्ष सुरक्षा सहयोगी के रूप में खड़ा है। अमेरिकी अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि वाशिंगटन “ताइवान कार्ड” छोड़ने के मूड में नहीं है।

रूस-यूक्रेन युद्ध और चीन की भूमिका 

ट्रम्प प्रशासन चाहता है कि चीन रूस पर कूटनीतिक दबाव डाले ताकि यूक्रेन युद्ध का समाधान निकले। लेकिन बीजिंग अब तक मॉस्को के साथ अपने आर्थिक रिश्ते बरकरार रखे हुए है। यह विषय भी वार्ता के दौरान उठने की उम्मीद है।
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विश्लेषक मानते हैं कि यह बैठक “ब्रेकथ्रू” के बजाय “बैलेंस” खोजने की दिशा में कदम होगी। दोनों देशों के रिश्ते 2018 की तुलना में कहीं अधिक जटिल हो चुके हैं, व्यापार, तकनीक, सुरक्षा और भू-राजनीतिक प्रभाव सभी इसमें शामिल हैं। ट्रम्प के दूसरे कार्यकाल की यह पहली आमने-सामने मुलाकात होगी। राजनीतिक पर्यवेक्षक मानते हैं कि इस बातचीत से कुछ पॉजिटिव संकेत जरूर निकल सकते हैं, पर रिश्तों की बहाली में समय लगेगा।