राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने नेशनल इंटेलिजेंस डायरेक्टर तुलसी गबार्ड के इस आकलन को खारिज कर दिया कि ईरान परमाणु हथियार नहीं बना रहा है। इसके बाद तुलसी ने भी अपना पुराना बयान वापस ले लिया। क्या है पूरा मामला, जानिएः
इस हफ्ते दूसरी बार, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सार्वजनिक रूप से नेशनल इंटेलिजेंस डायरेक्टर तुलसी गब्बार्ड की बातों को सिरे से दरकिनार कर दिया और ईरान की परमाणु क्षमता पर उनकी राय को ख़ारिज कर दिया।
शुक्रवार दोपहर जब ट्रंप न्यू जर्सी के मोरिसटाउन में लैंड करने के बाद पत्रकारों से बात कर रहे थे, तो उन्होंने एक बार फिर दावा किया कि ईरान परमाणु हथियार बना रहा है। उन्होंने मार्च में गब्बार्ड की दी गई उस गवाही को नज़रअंदाज़ किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम बम बनाने के क़रीब नहीं है।
"वो ग़लत हैं," ट्रंप ने सीधे तौर पर कहा, जब उनसे तुलसी गब्बार्ड की राय के बारे में पूछा गया। यह टिप्पणी सोमवार शाम एयर फोर्स वन में एक पत्रकार से बातचीत के दौरान दिए गए एक ऐसे ही बयान की याद दिलाती है। उन्होंने कहा था, "मुझे फ़र्क़ नहीं पड़ता वो क्या कहती हैं।"
सूत्रों के मुताबिक़, ट्रंप गब्बार्ड से नाराज़ चल रहे हैं, ख़ासकर उनके उस वीडियो को लेकर जिसमें उन्होंने "राजनीतिक अभिजात वर्ग और युद्ध भड़काने वाले नेताओं" पर ईरान के साथ तनाव भड़काने का आरोप लगाया था। यही नाराज़गी अब सार्वजनिक रूप ले चुकी है, क्योंकि ट्रंप इस हफ़्ते से इस मुद्दे पर और ज़्यादा आक्रामक रुख़ अपनाए हुए हैं।
राष्ट्रपति ने अब तक यह तय नहीं किया है कि वे इसराइल द्वारा तेहरान के परमाणु ठिकानों पर चलाए जा रहे सैन्य अभियान में शामिल होंगे या नहीं। गुरुवार को प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने कहा था कि ट्रंप अगले दो हफ़्ते इंतज़ार करना चाहते हैं ताकि हालात को और स्पष्ट रूप से देखा जा सके।
लेविट ने बताया कि इस देरी की वजह यह है कि ट्रंप अभी भी ईरान के साथ परमाणु कार्यक्रम को सीमित करने के किसी संभावित कूटनीतिक समझौते की उम्मीद को पूरी तरह खारिज नहीं करना चाहते।
ट्रंप ने शुक्रवार को दिए गए अपने बयान में इस बात को दोहराया, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि वे इसराइल से यह कहने के मूड में नहीं हैं कि वह ईरान पर सैन्य कार्रवाई रोक दे। "इस वक़्त ऐसा अनुरोध करना बहुत मुश्किल है," ट्रंप ने कहा। "अगर कोई जीत रहा हो तो कहना और मुश्किल हो जाता है, बनिस्बत इसके कि कोई हार रहा हो। लेकिन हम तैयार हैं, इच्छुक हैं और सक्षम हैं — और हमारी ईरान से बातचीत जारी है। अब देखते हैं आगे क्या होता है।" ट्रंप ने तेहरान के साथ किसी भी सीधे संवाद की प्रकृति पर ज़्यादा कुछ नहीं कहा।
उनसे ये भी पूछा गया कि दो दशक पहले उन्होंने बुश प्रशासन के उस दावे के बारे में क्या सोचा था जिसमें इराक पर सामूहिक विनाश के हथियार (WMDs) होने का आरोप लगाया गया था — जो बाद में गलत साबित हुआ और युद्ध का बहाना बना। साथ ही ये भी पूछा गया कि आज की स्थिति उस वक़्त से कैसे अलग है।
"देखिए, वहाँ कोई सामूहिक विनाश के हथियार नहीं थे। मुझे कभी नहीं लगा कि वहाँ थे। और वो ज़माना कुछ हद तक प्री-न्यूक्लियर था," ट्रंप ने कहा, ये दावा करते हुए कि बतौर आम नागरिक उन्होंने इराक युद्ध का विरोध किया था।
"वो एक न्यूक्लियर दौर था, मगर आज जैसी स्थिति नहीं थी," उन्होंने आगे कहा, और फिर ईरान की ओर लौटते हुए बोले, "लगता है कि मैं उस सामान को लेकर सही था जो उन्होंने इकट्ठा कर लिया है। वो बहुत बड़ी मात्रा में है। और मुझे लगता है कि कुछ ही हफ्तों में, या ज़्यादा से ज़्यादा कुछ महीनों में, उनके पास न्यूक्लियर हथियार हो सकता है। हम ऐसा नहीं होने दे सकते।"