भारत के रूसी तेल आयात को लेकर ट्रंप के सलाहकार पीटर नवारो के दावों की पोल खुल गई! एक्स के कम्युनिटी नोट में उनके दावों पर सवाल उठाया गया तो वह एलन मस्क पर भी आग बबूला हो गए। उन्होंने तो एक्स के मालिक एलन मस्क पर प्रोपेगेंडा फैलाने का आरोप तक लगा दिया। एक्स के कम्युनिटी नोट में नवारों के दावों का खंडन किया गया था और एक तरह से फ़ैक्ट चेक कर उनके दावों पर सवाल उठाए गए हैं। 

इस विवाद की शुरुआत पीटर नवारो की एक पोस्ट से हुई। उन्होंने 6 सितंबर को एक्स पर एक पोस्ट साझा की थी। यह पोस्ट वाशिंगटन पोस्ट के एक लेख पर प्रतिक्रिया में थी, जिसमें अमेरिका-भारत संबंधों में ट्रंप प्रशासन के आंतरिक मतभेदों का जिक्र था। नवारो ने लिखा, 'तथ्य: भारत के सबसे ऊंचे टैरिफ अमेरिकी नौकरियों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। भारत रूसी तेल को शुद्ध रूप से लाभ के लिए खरीद रहा है, राजस्व रूस की युद्ध मशीन को चला रहा है। यूक्रेनियन, रूसी मर रहे हैं। अमेरिकी करदाता और अधिक भुगतान कर रहे हैं। भारत सच्चाई को संभाल नहीं पा रहा, स्पिन दे रहा है। वाशिंगटन पोस्ट वामपंथी अमेरिकी फर्जी खबर।' इस पर एक्स के रीडर्स एडेड कंटेक्स्ट ने चेताया, 'दूसरों की निंदा करते हुए भी, अमेरिका अभी भी प्रतिवर्ष अरबों डॉलर का रूसी सामान आयात करता है, जिसमें उसके कृषि और ऊर्जा क्षेत्रों के लिए ज़रूरी उर्वरक और यूरेनियम शामिल हैं। यह उसके व्यापार रुख में साफ़ तौर पर दोहरे मापदंड को उजागर करता है।
इसके बाद तो नवारो बिफर पड़े। उन्होंने मस्क पर निशाना साधते हुए लिखा, 'वाह! एलन मस्क लोगों की पोस्ट में दुष्प्रचार को जगह दे रहे हैं। नीचे दिया गया घटिया नोट भी यही है। घटिया। भारत रूस से सिर्फ़ मुनाफ़ा कमाने के लिए तेल खरीदता है। रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण करने से पहले उसने कोई तेल नहीं खरीदा था। भारत सरकार की स्पिन मशीन तेज़ी से आगे बढ़ रही है। यूक्रेनियों को मारना बंद करो। अमेरिकियों की नौकरियाँ छीनना बंद करो।'

इसके बाद एक्स के कम्युनिटी नोट में फिर से चेताया गया, 'नवारो के दावे हिपोक्रिटिकल (पाखंडी) हैं। ऊर्जा सुरक्षा के लिए भारत द्वारा रूसी तेल की वैध, संप्रभु खरीद अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन नहीं करती। अमेरिका, भारत पर दबाव डालते हुए यूरेनियम जैसे अरबों डॉलर के रूसी सामान का आयात जारी रखे हुए है। यह उसके दोहरे मापदंड को सामने लाता है।'

पीटर नवारो एक्स पोस्ट

एक्स पर 'कम्युनिटी नोट' को प्लेटफॉर्म के यूजरों द्वारा जोड़ा जाता है। यह विवाद ट्रंप और मस्क के बीच पहले से मौजूद तनाव को और बढ़ा सकता है। 2024 चुनाव अभियान के दौरान ट्रंप और मस्क के बीच गहरी दोस्ती थी, जहां मस्क ने ट्रंप के 'डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी' यानी DOGE का नेतृत्व किया। लेकिन जून 2025 में ट्रंप के 'बिग ब्यूटीफुल बिल' पर मतभेद के बाद संबंध खराब हो गए। अप्रैल 2025 में मस्क ने नवारो को 'मोरन' (मूर्ख) और 'ईंटों के थैले से भी बेवकूफ' कहा था, जब नवारो ने टेस्ला को 'कार असेंबलर' बताया था।

अमेरिका-भारत तनाव

यह घटना अमेरिका-भारत संबंधों में बढ़ते तनाव को भी दिखाता है। ट्रंप ने 27 अगस्त 2025 से भारत पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ लगाया, जिससे कुल टैरिफ 50 प्रतिशत हो गया। ट्रंप ने इसे भारत के रूस से तेल खरीद को लेकर उचित ठहराया। नवारो ने हाल के दिनों में भारत पर कई हमले किए हैं। उन्होंने भारत को रूस-यूक्रेन युद्ध में 'मोदी का युद्ध' बताते हुए आरोप लगाया कि भारत रूस से सस्ता तेल खरीदकर उसे शोधित कर पश्चिमी देशों को ऊंची कीमत पर बेच रहा है, जिससे रूस की सैन्य कार्रवाई को फंडिंग मिल रही है। 
नवारो ने फॉक्स न्यूज पर कहा, 'भारत क्रेमलिन के लिए एक विशाल रिफाइनिंग हब और तेल मनी लॉन्ड्रोमैट बन गया है।' उन्होंने विवादास्पद रूप से कहा, 'ब्राह्मण भारतीय लोगों की कीमत पर लाभ कमा रहे हैं'। इन आरोपों को भारत ने बताकर खारिज कर दिया।

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायस्वाल ने कहा, 'हमने नवारो के अस्पष्ट और भ्रामक बयानों को देखा है और साफ़ तौर पर उन्हें खारिज करते हैं।' उन्होंने जोर दिया कि भारत-अमेरिका संबंध बहुआयामी वैश्विक रणनीतिक साझेदारी है।

ट्रंप का टोन बदला

ट्रंप ने खुद हाल ही में टोन बदला है। 6 सितंबर को व्हाइट हाउस में संवाददाताओं से बातचीत में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना 'मित्र' बताया और कहा, 'मैं मोदी के साथ बहुत अच्छा हूं। हमारा रिश्ता बहुत खास है।' ट्रंप ने कहा कि वे भारत पर टैरिफ लगाने से निराश हैं, लेकिन उम्मीद जताई कि एक व्यापार सौदा हो जाएगा। पीएम मोदी ने भी ट्रंप के बयान का जवाब देते हुए कहा, 'मैं ट्रंप के भावनाओं और हमारे संबंधों की सकारात्मक आकलन की सराहना करता हूं और पूर्ण रूप से इसका जवाब देता हूं।'

वैसे, जानकारों का मानना है कि नवारो के बयान अमेरिकी नीति के दोहरे मापदंड को दिखाते हैं। भारतीय तेल लॉबी ने भी नवारो के दावों को खारिज किया, कहा कि रूस से तेल खरीद ऊर्जा सुरक्षा के लिए है और कोई प्रतिबंध उल्लंघन नहीं। अमेरिका खुद रूस से यूरेनियम आयात करता रहा है, जो परमाणु ऊर्जा के लिए जरूरी है।