लेखक बैंकिंग मामलों के विशेषज्ञ हैं।
आज पूरे वातावरण में कोरोना वायरस का खौफ फैला हुआ है। आर्थिक मोर्चों पर लिए गए या लिए जा रहे निर्णय भी कभी निराशा तो कभी आशा के झूले में झुलाते रहते हैं। इस बीच 1 अप्रैल को बैंकों का मर्जर भी संपन्न हो गया। इससे क्या बदलेगा?
वित्त मंत्री के सराहनीय क़दमों के बाद भी अपनी अर्थव्यवस्था को पटरी पर आने में कम से कम दो से तीन वर्ष का समय लगेगा।