"राजनयिक अच्छे मौसम में उपयोगी होते हैं। लेकिन बारिश की हर बूंद में वे डूबते चले जाते हैं।" - चार्ल्स द गॉल
क्या विदेशी मंत्री के रूप में जयशंकर नाकाम रहे हैं?
- विश्लेषण
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- 13 Sep, 2021

राजनयिक से राजनेता बने एस. जयशंकर के नेतृत्व में भारतीय विदेश नीति का इतना बुरा हाल है कि न तो किसी पड़ोसी देश से इसके अच्छे रिश्ते हैं न ही पाँच बड़े देश इसे पूछते हैं। ऐसे में विदेश मंत्री कब तक पद पर बने रहेंगे?
भारत फिलहाल जिस तरह की राजनयिक दुर्बलता का शिकार है, उसे देखते हुए आधुनिक फ्रांस के पिता की कही गई यह बात ग़लत नहीं है। यदि कूटनीति एक दूसरे तरह का युद्ध है तो दक्षिण एशिया की कूटनीति पूरी तरह से अराजकता है।
जब तालिबान अपने आतंकवादी अतीत को दूर झटक कर अफ़ग़ानिस्तान पर नियंत्रण कर चुका है, भारत अपने कूटनीतिक तंत्र को ठीक कर स्थिति से निपटने की कोशिश कर रहा है। तालिबान और उसके हथियारबंद साथियों से भारत को जितना ख़तरा है, किसी दूसरे देश को नहीं है।