भारत का संविधान बराबरी का वादा करता है, लेकिन 21वीं सदी के 25वें साल में भी दलितों पर अत्याचार की कहानियाँ थम नहीं रही हैं। हरियाणा के वरिष्ठ IPS अधिकारी वाई. पुरन कुमार की आत्महत्या, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी.आर. गवई पर जूता फेंकने की घटना, और रायबरेली में हरिओम वाल्मीकि की लिंचिंग – ये घटनाएँ एक गहरे सामाजिक यथार्थ को उजागर करती हैं। यह ज़हर मनुस्मृति से निकलता है, जिसे धर्म बताकर RSS और बीजेपी के समर्थकों का बड़ा हिस्सा आज भी थामे हुए है। हरियाणा में एक IPS की आत्महत्या सामान्य मामला नहीं है, या शासन-प्रशासन को अपने फंदे में रखने वाली सवर्ण सामंती व्यवस्था का क्रूर उदाहरण है।
दलित आईपीएस की ख़ुदकुशी से तेज़ होगी मनुस्मृति और संविधान की जंग
- विश्लेषण
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- 11 Oct, 2025
देश में दलितों के साथ बढ़ती अपमानजनक घटनाएं चिन्ताजनक हैं।
Dalit IPS Y Puran Kumar Death Case: हरियाणा के दलित आईपीएस वाई पुरन कुमार, चीफ जस्टिस बीआर गवई पर हमले की कोशिश और रायबरेली में हरिओम वाल्मीकि की हत्या दलितों पर अत्याचार की चिन्ताजनक तस्वीरें हैं।