ईरान और इसराइल के बीच तनाव अब युद्ध का रूप ले चुका है। हालांकि औपचारिक युद्ध की घोषणा नहीं हुई, लेकिन दोनों देश एक-दूसरे पर मिसाइलें दाग रहे हैं। सैकड़ों लोग मारे जा चुके हैं। इसराइल को भरोसा था कि वह 24 घंटे में ईरान को धूल चटा देगा, लेकिन ईरान ने भी जवाबी हमलों से इसराइल को गंभीर नुकसान पहुँचाया है। ईरानी मिसाइलों ने इसराइल के आयरन डोम सुरक्षा तंत्र को भेदते हुए तेल अवीव, हाइफा और पेटाह टिकवा में कई इमारतों को नष्ट किया और दर्जनों लोगों की जान ली।
अकेला पड़ता ईरान और ‘उम्मत’ का छद्म!
- विश्लेषण
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- 18 Jun, 2025

इसराइल से जारी संघर्ष के बीच ईरान मुस्लिम दुनिया यानी ‘उम्मत’ से समर्थन की आस लगाए बैठा है, लेकिन सच्चाई यह है कि ईरान आज जमीनी स्तर पर अकेला पड़ता जा रहा है। क्या ‘उम्मत’ सिर्फ एक छद्म है?
इसराइल के पक्ष में जी-7
कनाडा में 16-17 जून 2025 को हुई जी-7 बैठक में इस युद्ध पर संयुक्त बयान जारी किया गया, जिसमें चार प्रमुख बिंदु थे:
- इसराइल का समर्थन: जी-7 देशों ने इसराइल के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन किया और उसकी सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता जताई।
- ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर चेतावनी: जी-7 ने कहा कि ईरान को किसी भी कीमत पर परमाणु हथियार विकसित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
- मध्य पूर्व में शांति की अपील: जी-7 ने गजा में युद्धविराम सहित मध्य पूर्व में शांति और स्थिरता की आवश्यकता पर बल दिया।
- ईरान को अस्थिरता का कारण बताया: जी-7 ने ईरान को पश्चिम एशिया में अस्थिरता का मूल कारण करार दिया।
हालांकि, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस बयान पर हस्ताक्षर नहीं किए और बैठक बीच में छोड़कर चले गए। ट्रंप ने ईरान को परमाणु समझौता न करने पर "तबाही" की चेतावनी दी और तेहरान को "खाली" करने की धमकी दी है। यह किसी बड़े हमले का संकेत हो सकता है। पश्चिमी देश एक सुर में इसराइल का समर्थन कर रहे हैं, जबकि ईरान को परमाणु हथियारों से रोकने की बात दोहरा रहे हैं।