नेपाल में हुए युवा विद्रोह और तख्तापलट के बाद यह सवाल उठ गया है कि क्या यह स्वत:स्फूर्त था या फिर पूरा दक्षिण एशिया किसी डिज़ाइन के तहत अशांत है। नेपाल में वही पैटर्न दिखा है जो श्रीलंका (2022) और बांग्लादेश (2024) में दिखा था जहाँ अचानक सड़कों पर उतरे नौजवानों ने ऐसा तख्तापलट किया कि शासकों को देश छोड़कर भागना पड़ा। निश्चित ही ये आंदोलन आर्थिक संकट, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, और असमानता के ख़िलाफ़ लोगों का ग़ुस्सा दिखाते हैं लेकिन जिस आसानी से तख्तापलट हुआ वह किसी और तरफ़ भी इशारा करता है। खासतौर पर तख्तापलट के बाद ऐसी सरकारें बनीं जो अमेरिका की तरफ़ नरम थीं जबकि पहले वहाँ की सरकार पर चीन का ज़्यादा प्रभाव था। ऐसे में दक्षिण एशिया में जो हो रहा है, वह चीन और अमेरिका के बीच जारी वर्चस्व की जंग का नतीजा भी हो सकता है।