आमतौर पर कहा जाता है कि पके हुए चावल देखने के लिए बर्तन से सिर्फ़ एक दाना निकाल कर समझा जा सकता है कि चावल कितने पके हैं, पूरे पक गए हैं या नहीं। जितना अनुभवी और समझदार रसोइया होता है, उतना अंदाज़ा सही होता है। लेकिन क्या यही बात चुनावों में वोटिंग के बाद हुए एग्ज़िट पोल या फिर वोटिंग से पहले होने वाले ओपिनियन पोल के लिए मानी जा सकती है या खरी उतरती है?
दिल्ली: हैट्रिक लगाएंगे केजरीवाल या सही साबित होंगे मनोज तिवारी?
- विश्लेषण
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- 10 Feb, 2020

मनोज तिवारी के इस बयान से मुझे बचपन के वे दिन याद आ गए जब इम्तिहान में बुरी तरह फेल होने वाले कुछ साथी भी परीक्षा के बाद फ़र्स्ट डिवीज़न आने का दावा करते थे और कहते थे कि पेपर्स बहुत अच्छे हुए हैं। लेकिन तब भी मैं जानता था कि दावा करने वाले साथी को ख़ुद पता है कि उसके इम्तिहान कैसे हुए हैं और नतीजा क्या आने वाला है, लेकिन इससे कम से कम रिजल्ट तक तो पिटाई से बचा जा सकता था।