यह आग भगवा नहीं है, यह भूख की आग है। यह धर्मयुद्ध नहीं, हक़ की लड़ाई है। काठमांडू की सड़कों से उठते धुएँ को जो लोग 'हिंदू राष्ट्र' का भगवा रंग देने के नाकाम और झूठे प्रयास से नेपाल की आपदा में अवसर तलाश रहे हैं, उन्हें प्रदर्शनों में मारे गए 31 युवाओं की सूची देखनी चाहिए। यह सूची नेपाल की आत्मा का आईना है, जिसमें हर जाति, हर रंग और हर समुदाय का चेहरा दिखता है।
नेपाल में हक की लड़ाई है, 'हिन्दुत्व' की नहीं!
- विश्लेषण
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- 12 Sep, 2025

नेपाल में बवाल: प्रदर्शनकारी संसद में घुसे
नेपाल में जारी आंदोलन धर्म से ऊपर उठकर हक़ की लड़ाई बन गया है। मरने वालों में शर्मा, गुरुंग, चौधरी और सलीम जैसे अलग-अलग समुदायों के युवा शामिल हैं, जो समान अधिकार की मांग कर रहे हैं।
इस आग में जलने वाले सिर्फ हिंदू नहीं, नेपाल का हर युवा है। मरने वालों की सूची देखिए - इसमें काठमांडू का सुनील शर्मा (ब्राह्मण) भी है, गोरखा की संगीता गुरुंग (जनजाति) भी, चितवन की अस्मिता चौधरी (मधेसी) भी और रौतहट से काठमांडू काम करने आया सलीम खान (मुस्लिम) भी। यह सूची उन साजिशों के ताबूत में आखिरी कील है जो इस जन-विद्रोह को सांप्रदायिक रंग देना चाहते हैं। सच तो यह है कि जब भ्रष्टाचार और बेरोजगारी किसी देश को दीमक की तरह खाते हैं तो उसकी पीड़ा का कोई धर्म नहीं होता। यह लड़ाई किसी मंदिर या मस्जिद के लिए नहीं, बल्कि एक नौकरी, सम्मान और अपनी बात कहने की डिजिटल आज़ादी के लिए है। यह उन 'नेपो किड्स' के ख़िलाफ़ एक बगावत है जिन्होंने पूरे देश के भविष्य को अपनी जागीर समझ लिया है।