जेन-जेड के नेतृत्व में भड़के आंदोलनों ने राजधानी काठमांडू को हिलाकर रख दिया। सोशल मीडिया पर बैन, भ्रष्टाचार और 20.8% बेरोजगारी दर ने युवाओं का गुस्सा भड़काया। संसद भवन, सुप्रीम कोर्ट, और मंत्रियों के घरों पर हमले हुए। 22 लोग मारे गए, 347 घायल। प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली को 9 सितंबर को इस्तीफा देना पड़ा, और सेना ने कमान सँभाल ली। इस बीच कुछ लोग राजशाही की वापसी की मांग कर रहे हैं, लेकिन क्या यह संभव है? वैसे नेपाल का इतिहास हत्याकांडों, साजिशों, और जनसंघर्षों का थ्रिलर जैसा है।