जेन-जेड के नेतृत्व में भड़के आंदोलनों ने राजधानी काठमांडू को हिलाकर रख दिया। सोशल मीडिया पर बैन, भ्रष्टाचार और 20.8% बेरोजगारी दर ने युवाओं का गुस्सा भड़काया। संसद भवन, सुप्रीम कोर्ट, और मंत्रियों के घरों पर हमले हुए। 22 लोग मारे गए, 347 घायल। प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली को 9 सितंबर को इस्तीफा देना पड़ा, और सेना ने कमान सँभाल ली। इस बीच कुछ लोग राजशाही की वापसी की मांग कर रहे हैं, लेकिन क्या यह संभव है? वैसे नेपाल का इतिहास हत्याकांडों, साजिशों, और जनसंघर्षों का थ्रिलर जैसा है।
नेपाल में अराजकता के बीच राजशाही की वापसी की बात में कितना दम?
- विश्लेषण
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- 11 Sep, 2025

नेपाल युवक प्रदर्शन करते हुए
नेपाल में जारी अराजकता और Gen Z आंदोलन के बीच राजशाही की वापसी की मांग तेज़ हो रही है। क्या नेपाल फिर से राजशाही की राह पर लौट सकता है या यह सिर्फ राजनीतिक शोर है?
धुआँ-धुआँ नेपाल
8 सितंबर को जेन-जेड (1997 के बाद जन्मे युवा) ने सोशल मीडिया बैन, भ्रष्टाचार, और बेरोजगारी के खिलाफ सड़कों पर उतरकर हिंसक प्रदर्शन किये। संसद भवन और सुप्रीम कोर्ट पर हमले हुए, मंत्रियों के घरों में आग लगाई गई। पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा और उनकी पत्नी आरजू देउबा पर हमला हुआ। वित्त मंत्री विष्णु प्रसाद पौडेल को दौड़ाकर पीटा गया। सबसे दुखद घटना पूर्व प्रधानमंत्री झलनाथ खनाल की पत्नी, प्रोफेसर राज्यलक्ष्मी चित्रकार को ज़िंदा जाने की थी, जिससे वह गंभीर रूप से झुलस गईं। 9 सितंबर को गृहमंत्री रमेश लेखक और पीएम के.पी. ओली ने इस्तीफा दे दिया। सेना प्रमुख जनरल अशोक राज सिगडेल ने हालात को नियंत्रित करने की कोशिश की और प्रदर्शनकारियों से बातचीत की अपील की। उन्होंने कहा, “राष्ट्र के सर्वोच्च हितों की रक्षा करना हमारा साझा कर्तव्य है।”
सवाल उठता है कि क्या यह आंदोलन स्वतःस्फूर्त था या इसके पीछे कोई बड़ा षड्यंत्र? कुछ लोग राजा ज्ञानेंद्र की वापसी की मांग कर रहे हैं, और मार्च 2025 में “राजा लाओ, देश बचाओ” के नारे के साथ प्रदर्शन भी हुए थे, जिसमें यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तस्वीरें दिखी थीं। यह भारत के हिंदुत्ववादी प्रभाव का संकेत माना गया, जो नेपाल में हिंदू राष्ट्र की मांग से जुड़ा है और इसकी जड़ें नेपाल के इतिहास में हैं।