भारत के किसी भी प्रधानमंत्री को विदेशों के इतने और बड़े सम्मान पहले कभी नहीं मिले, लेकिन यह भी सच है कि 30 हज़ार करोड़ रुपये जितने बड़े घोटाले से आज तक किसी भी प्रधानमंत्री का नाम नहीं जुड़ा।
इधर, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए रुस और यूएई के सर्वोच्च सम्मानों की घोषणा हो रही है और उधर पेरिस के प्रसिद्ध अख़बार ‘ल मोंद’ में हुआ रहस्योद्घाटन मोदी की छवि को धूल-धूसरित कर रहा है। चुनाव के दौरान इन ख़बरों के आने का विशेष महत्व है। भारत के किसी भी प्रधानमंत्री को विदेशों के इतने और बड़े सम्मान पहले कभी नहीं मिले लेकिन यह भी सच है कि 30 हज़ार करोड़ रुपये जितने बड़े घोटाले से आज तक किसी भी प्रधानमंत्री का नाम नहीं जुड़ा।
फ़्रांसीसी सरकार या वहाँ के किसी अख़बार ने यह दावा नहीं किया है कि मोदी ने रफ़ाल सौदे में अरबों रुपये खाए हैं लेकिन कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गाँधी उन्हें ‘चोर-चोर’ कहने से बाज़ नहीं आ रहे हैं। इसका अर्थ यह है कि अनिल अंबानी को बिचौलिया बनाकर रफ़ाल को दिया जाने वाला सरकारी पैसा वापस मोदी को मिल जाएगा, जिसका इस्तेमाल बीजेपी के लिए होगा। जब अंबानी को बिचैलिया बनाने से सरकार को इतना फायदा होगा तो वह अंबानी को फायदा क्यों नहीं पहुँचाना चाहेगी?
अंबानी की टेलिकाॅम कंपनी ‘रिलायंस एटलांटिक फ़्लैग फ़्रांस’ पर फ़्रांसीसी सरकार ने 1100 करोड़ रुपये का टैक्स कई वर्षों से ठोक रखा था। लेकिन अप्रैल 2015 में जैसे ही रफ़ाल सौदा हुआ, उसके छह माह के अंदर ही फ़्रांसीसी सरकार ने सिर्फ़ 56 करोड़ रुपये में मामला निपटा दिया। क्यों निपटा दिया, इसे आसानी से समझा जा सकता है।