प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गले लगाकर जितनी सुर्खियां राहुल गांधी ने बटोरी थीं और उस घटना को जितने लोग याद रखते हैं, उससे कहीं अधिक सुर्खियां राहुल ने ‘वसुधैव अटल’ जाकर बटोरी है और इस घटना को भुलाए नहीं भुलाया जा सकेगा। इसकी एक स्पष्ट वजह है कि संसद में मोदी से गले लगने में विचारों से समझौता वाला भाव नहीं था।
अटल से जुड़कर राहुल ने वैचारिक धरातल मजबूत किया है
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- 28 Dec, 2022


राहुल गांधी के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के समाधिस्थल पर जाने के बाद यह सवाल पूछा जा रहा है कि क्या वह अपने सिद्धांतों से समझौता कर रहे हैं और क्या राहुल ने अपने वैचारिक आधार को छोड़ दिया है?
नरेंद्र मोदी की प्रतिक्रिया से उक्त वक्त तब स्पष्ट हुई जब उन्होंने गले लगने को ‘गले पड़ना’ और गले लगने के लिए कुर्सी से उठने के आग्रह को ‘जनता की दी हुई कुर्सी से उठने को कहना’ बताया। मगर, क्या अब अटल बिहारी वाजपेयी की समाधिस्थल जाकर राहुल गांधी अपने सिद्धांतों से समझौता कर रहे हैं- यह बड़ा विमर्श है।


















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