गाय बहुमत हिंदुओं के लिए (सवर्ण और पिछड़ी जातियों में) सदियों से बेहद संवेदनशील मसला रहा है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश, जहाँ हिंदू मुस्लिम आबादी की हिस्सेदारी बेहद क़रीबी संख्या में है, यह एक विस्फोटक विषय है। दंगा करा कर उसकी राजनैतिक फ़सल काटने वाली राजनैतिक जमात इसके सफल प्रयोग पहले भी कर चुकी है। तमाम मीडिया रिपोर्ट इशारा कर रही हैं कि इस बार उनके पास यही सबसे अचूक हथियार है।
योगी सरकार ने सत्ता में आते ही इसका एलान कर दिया था। अवैध बूचड़खानों को बंद करने का सवाल उठा कर उन्होने मुसलमानों के प्रति हिंदुओं में पहले से मौजूद संदेह को बड़ी आवाज़ बनाने का प्रयास किया था। उसके परीक्षण का समय अब आ गया है।
सबसे पहले मौक़े पर पहुँचे स्याना के तहसीलदार राजकुमार भाष्कर ने कहा, 'जिस तरह गोवंश के शरीर के टुकड़ों को गन्ने के खेतों में बाँध कर लटकाया गया था, वह शरारत ही थी, भोजन के लिए गोवध नहीं !' जिस गाँव के खेतों में यह किया गया, वह जाट-बहुल है और बग़ल के गाँवों में ठाकुरों की बहुलता है। जिन तीन गाँवों में यह सूचना या अफ़वाह सबसे पहले जंगल के आग की तरह फैली, उनमें दो जाटों के और एक ठाकुरों का गांव है।
गोवंश के टुकड़े गन्ने के खेत में किसने लटकाए और क्यों?
- विश्लेषण
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- 29 Mar, 2025
गोकशी जैसे संवेदनशील मुद्दे को उठा कर हिन्दुओं को भड़काने का प्रयोग एक बार सफल हुआ, इस बर इस प्रयोग के लिए बुलंदशहर चुना गया।
